इलाहाबाद : उप्र लोकसेवा आयोग से हुई भर्तियों की जांच कर रहे सीबीआइ अधिकारियों ने पीसीएस 2010 परीक्षा का डाटा भी प्राप्त कर लिया है। इस परीक्षा में भी गड़बड़ी होने का संदेह है, क्योंकि इसका परिणाम
2012 में आया था और उस समय वही लोग आयोग के सदस्य थे जिनकी मौजूदगी में हुई सभी अन्य भर्तियों की जांच पड़ताल हो रही है। अब सीबीआइ की जांच में यह बात साफ हो जाएगी कि आयोग से अभ्यर्थियों के चयन में गड़बड़ी एक अप्रैल 2012 से नहीं, बल्कि इससे पहले भी हुई है।
आयोग में डा. अनिल यादव ने तीन अप्रैल 2013 को बतौर अध्यक्ष कार्यभार संभाला था, जबकि वे 2006 से 2012 तक यहां सदस्य रहे यानि वे केवल तीन महीने ही आयोग से बाहर रहे। डा. अनिल यादव पर ही गंभीर आरोप हैं कि उनके नेतृत्व में आयोग से जितनी भी भर्तियों के परिणाम निकले उनमें गड़बड़ी हुई। इसमें प्रतियोगी परीक्षा के अलावा सीधी भर्ती से हुए चयन में व्यापक रूप से गड़बड़ी का संदेह है। प्रदेश सरकार इसीलिए पांच साल तक यानि एक अप्रैल 2012 से 31 मार्च 2017 तक हुई सभी भर्ती परिणामों की सीबीआइ जांच करा रही है। सीबीआइ के नोटिफिकेशन में यह साफ है कि इस अवधि में सभी परीक्षा के आए परिणामों की जांच होगी ऐसे में पीसीएस 2010 परीक्षा भी सीबीआइ जांच की जद में आ गई।
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