लखनऊ : पुरानी पेंशन व्यवस्था के बदले लागू की गई नई पेंशन प्रणाली को
धोखा करार देते हुए इसके विरोध में राज्य कर्मचारियों ने सोमवार को काला
दिवस मनाया। प्रदेश के सभी जिलों में सभी कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन
व्यवस्था बहाल करने की मांग को लेकर धरना देकर सभा की और को तेज करने की
चेतावनी दी।
1राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के बैनर तले लखनऊ व अन्य जिलों
में सभा में कहा गया कि देश में दोहरी संवैधानिक व्यवस्था चल रही है। एक
तरफ जनप्रतिनिधियों की पेंशन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है तो वहीं 20 से
30 साल की सेवा के बाद शासकीय सेवकों को पेंशन से वंचित किया जा रहा है।
लखनऊ में कर्मचारी नेता बीएन सिंह की प्रतिमा पर आयोजित आम सभा में कहा गया
कि नई पेंशन व्यवस्था लागू कर कर्मचारियों को छला जा रहा है। सभा में
कर्मचारी नेताओं ने नई पेंशन व्यवस्था को न मानने और जल्द ही इसके विरोध
में बड़े की घोषणा करने की चेतावनी दी। 1परिषद के मीडिया प्रभारी मनोज
श्रीवास्तव ने बताया कि पुरानी पेंशन व्यवस्था राज्यकर्मियों के बुढ़ापे का
सहारा थी, जिसे हटाकर एक जनवरी 2004 से केंद्र में और एक अप्रैल 2005 से
राज्य में नई अंशदायी पेंशन व्यवस्था लागू कर दी गई है। श्रीवास्तव ने
बताया कि गृहमंत्री व लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह ने भी चुनाव से पहले वादा
किया था कि केंद्र में भाजपा सरकार बनी तो पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने
पर विचार किया जाएगा। 1कर्मचारी नेताओं के मुताबिक 50 अन्य सांसद भी
पुरानी पेंशन बहाली योजना पर पुनर्विचार के लिए सहमत हैं, लेकिन चार साल से
ज्यादा समय बीतने पर भी पुनर्विचार शुरू न होने से कर्मचारियों में निराशा
है।बीएन सिंह की प्रतिमा के समक्ष सोमवार को राज्य कर्मचारियों ने दिया
धरना.
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