इलाहाबाद: प्रदेश सरकार वित्तविहीन स्कूलों को मान्यता का प्रमाणपत्र
देने के सिवा न तो किसी तरह की मदद करती है और न ही परीक्षा केंद्र
निर्धारण, प्रायोगिक परीक्षक चयन में उन्हें वरीयता मिलती आई है। इसके बाद
भी हाईस्कूल के इंटर के परीक्षा परिणाम में वित्तविहीन स्कूलों का ही
बोलबाला है। टॉपर सूची से लेकर सफलता प्रतिशत तक में उनका बेहतर है।
शासकीय कालेजों का सारा खर्च सरकार उठाती है, वहीं अशासकीय कालेजों में
शिक्षकों का वेतन देती है। इसके बाद भी इन कालेजों में पढ़ाई और परीक्षा
परिणाम प्रतिशत में सुधार नहीं हो रहा है। वहीं, वित्तविहीन कालेजों में
दक्ष शिक्षक न होने के बाद भी पढ़ाई व परिणाम बेहतर है। खास बात यह है कि
सूबे में वित्तविहीन कालेजों की तादाद काफी अधिक है और के आधे से अधिक
छात्र-छात्रएं इन्हीं कालेजों में पढ़ रहे हैं। इसीलिए परीक्षा केंद्र
निर्धारण में उन्हें दरकिनार नहीं किया जा सका।
शासन का निर्देश था कि वित्तविहीन को तभी केंद्र बनाया जाए, जब राजकीय व
अशासकीय कालेज न मिले इसके बाद भी सर्वाधिक केंद्र वित्तविहीन कालेजों के
ही बने। इस बार हाईस्कूल के रिजल्ट की दिलचस्प तस्वीर है। शासकीय के 2141
कालेजों में से 98, अशासकीय के 4531 कालेजों में से आठ व वित्तविहीन के
19184 कालेजों में से 64 का रिजल्ट बीस फीसदी से कम रहा है। इसी तरह इंटर
में शासकीय के 672 कालेज में चार, अशासकीय के 4063 कालेजों में 42 व
वित्तविहीन के 11255 कालेजों में 121 का रिजल्ट कम रहा है। वित्तविहीन
कालेजों की संख्या के लिहाज से उनके स्कूलों का औरों से कहीं बेहतर है। इस
बार ही नहीं कई वर्षो से वित्तविहीन कालेज टॉप थ्री, टॉप टेन व जिलों के
टॉपर में शुमार रहे हैं। राजकीय व अशासकीय कालेजों से मुश्किल से ही टॉपर
निकल पा रहे हैं। इस बार कुछ अशासकीय कालेजों को यह गौरव जरूर मिला है।
परीक्षा केंद्र, प्रायोगिक परीक्षक व मूल्यांकन में रहे दरकिनार
वित्तविहीन कालेजों की संख्या के लिहाज से औरों से बेहतर
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : हाईस्कूल व इंटर के रिजल्ट में श्री साई इंटर
कालेज जैतपुर बाराबंकी, वीएनएसडी शिक्षा निकेतन इंटर कालेज कानपुर, बृज
बिहारी सहाय शिवकुटी इलाहाबाद, शिवाजी इंटर कालेज अर्रा कानपुर, एस देवी
इंटर कालेज मधुबन मऊ इंटर में एसपी एमआइसी फतेहपुर, एसपी इंटर कालेज सिकरो
कोरांव इलाहाबाद, भानी देवी गोयल एसवीएम इंटर कालेज झांसी आदि कालेज कुछ
वर्षो से लगातार बेहतर कर रहे हैं।
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