लखनऊ;- परिषदीय विद्यालयों की कायाकल्प के लिए उत्तर प्रदेश सरकार
स्टैंडिंग मोड़ में आ गई हैं। इसका जीता - जागता उदाहरण बेसिक शिक्षा विभाग
में अभी हाल में हुयें अन्तर्जनपदीय स्थानांतरण हैं। जिसमें देरी से ही सही
लेकिन एकदम पार्दर्शिता के साथ कार्य किया गया है।
परिषदीय विद्यालयों के
हालात अब किसी से छुपे नहीं रह गये हैं। सरकार की नीतियों को लेकर परिषदीय
कर्मचारीयों का रवैया जस का तस बना हुआ है। जिससे शासन की नीतियों को पलीता
लगाया जा रहा है और नित प्रतिदिन नयी - नयी कारगुजारीयाँ शासन के संज्ञान
में आ रही हैं। अध्यापकों के विद्यालयों में ठहराव के लिए शासन ने काफी
कठोर कदम उठायें हैं। परंतु अभी भी अपेक्षानुरूप परिणाम प्राप्त नहीं हुये
हैं। इसी को संज्ञान में रखते हुये पीछे दिनों एक सुधारात्मक कार्ययोजना पर
काम चल रहा था। जिसे अब अन्तिम रूप दे दिया गया है। नये सत्र के जुलाई माह
के दूसरे सप्ताह में इस को क्रियान्वित करने की शासन की मंशा प्रबल हैं।
*बड़ें बदलाव की हो रही तैयारी।*
नवीन सत्र 2018-19 में इस नीति के क्रियान्वयन के लिये माह जुलाई के दूसरे
सप्ताह के लिए कार्य योजना तैयार की गई हैं। जिसमें वर्तमान विद्यालय में
जिस प्रधानाध्यापक को लगातार क्रमशः 3 वर्ष व सहायक अध्यापक को 5 वर्ष सेवा
1अप्रैल 2018 को पूर्ण कर चुके हैं। उन्हें दूसरे विद्यालय में आरटीई का
अनुपालन करते हुए स्थानांतरित किया जाना प्रस्तावित हैं। इसमें किसी भी
सूरत में मूल विद्यालय आबंटित नहीं किया जायेगा। दूसरी तरफ जिन
प्रधानाध्यापकों को एक ही ब्लाक में निरंतर 7 वर्ष व सहायक अध्यापकों को 10
वर्ष की सेवा पूर्ण कर चुके हैं। उनका ब्लाक परिवर्तित किया जायेगा। किसी
भी दशा में कोई भी प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापक क्रमशः 7 वर्ष व 10 वर्ष
से ज्यादा किसी एक ही ब्लाक में नहीं टिक पायेगा। ऐसे स्थानांतरण हर वर्ष
मई माह में कियें जायेंगे। आगामी केबिनेट मिटिंग में इस प्रस्ताव पर मुहर
लगनी तय हैं। विकलांग, असाध्य/गंभीर बिमारी से ग्रस्त और जिन अध्यापकों का
रिटायरमेंट एक साल से कम रह गया है, उन्हें ऐसे स्थानांतरण से मुक्त रखा
जायेगा।
*गोपनीयता का रखा गया पूरा ख्याल*
शासन ने अपनी नीतियों को पूरा करने के लिए उक्त नीति को सार्वजनिक करने में
पूरी गोपनीयता बरती हैं। जिससे किसी स्तर पर इसे प्रभावित ना किया जा
सकें। जबकि अब सारा मसौदा तैयार हो चुका है और इसे केबिनेट से पास करके,
सेवा नियमावली संशोधन होना औपचारिक मात्र है।
*इससे क्या फायदा होगा।*
विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में मिलीभगत की गुंजाइश नहीं होगी।
पारदर्शिता के साथ कार्य होगा।
एसएमसी व प्रधानाध्यापक की मिलीभगत समाप्त होगी।
ग्राम प्रधान व प्रधानाध्यापक दोनों नहीं कर पायेंगे घपला। एक ही स्थान पर
लम्बे समय टिकें रहने से प्रभावित होने का खतरा बना रहता है।
नये स्थान पर उपस्थिति में निरंतरता रहेगी।
बीआरसी व अधिकारियों का सरंक्षण खत्म होगा।
विद्यालय स्टाफ की साठगांठ, मिलीभगत और एक - दूसरों को अनावश्यक फायदा पहुंचाने पर रोकथाम।
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