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ऑनलाइन ट्रांसफर के साइड इफेक्ट: लखीमपुर खीरी के सैकड़ों स्कूलों पर ताला लगने का संकट

यूपी में सभी सरकारी स्कूल गर्मियों की छुट्टी के बाद 2 जुलाई से खुल गए, लेकिन सूबे के सबसे बड़े लखीमपुर खीरी जिले में ढाई सौ से ज्यादा स्कूलों में छात्र बिना शिक्षकों के ही पढ़ेंगे. दरअसल, खीरी में 200 से ज्यादा स्कूलों पर ताले लटकने की नौबत आ गई है. ये नौबत यूपी सरकार के ऑनलाइन तबादला नीति के बाद आई है. इसमें करीब साढ़े सात सौ शिक्षकों के अंतर्जनपदीय तबादले कर दिए गए.
खीरी से अब तक 776 शिक्षक-शिक्षिकाओं को गैर जिलों में भेज दिया गया पर खीरी जिले में आने वाले शिक्षक महज 27 हैं. इससे पूरी की पूरी शिक्षा व्यवस्था ध्वस्त हो गई है.

सूत्रों की मानें तो ढाई सौ स्कूल शिक्षकविहीन हो गए. दूसरी तरफ, इससे कहीं ज्यादा स्कूल अब सिर्फ एक शिक्षक के सहारे ही रह गए हैं. खीरी के बीएसए बुद्धप्रिय सिंह कहते हैं, 'तबादले शासन से हुए हैं. विभाग के उच्च अधिकारियों को अवगत करा दिया गया है.' उधर डीएम शैलेन्द्र कुमार सिंह का कहना है, 'बीएसए के साथ बैठकर व्यवस्था दुरुस्त कराई जाएगी. शिक्षकों की व्यवस्था बिना तबादला हुए शिक्षकों की रिलीविंग पर डीएम कहते हैं, 'शासन से रिलीव करने को लेकर दबाव था. इसलिए जल्दी रिलीव किया गया.'

यूपी में योगी सरकार बनने के बाद बेसिक शिक्षा मंत्री अनुपमा जायसवाल ने भी सभी स्कूलों को खोले जाने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई थी. विभाग ने ऑनलाइन शिक्षकों से तबादले के आवेदन भी लिए. लखनऊ में बैठे अफसरों ने पहले कहा कि जिन जिलों में 15 फीसदी से ज्यादा शिक्षकों की रिक्तियां हैं, वहां के शिक्षकों के तबादले नहीं होंगे. लेकिन बाद में न जाने क्या हुआ कि इसका पालन क्यों नहीं हुआ. ये तबादले भी उस वक्त किए गए, जब शिक्षण सत्र शुरू होने को था. खीरी जिले में सबसे ज्यादा तबादले कर दिए गए, जबकि यहां प्राइमरी में 42 फीसदी और अपर प्राइमरी में 50 फीसदी शिक्षकों के पद पहले ही खाली हैं. अब तबादलों की वजह से सैकड़ों स्कूल खाली हो गए. तमाम स्कूल एक शिक्षक के भरोसे हो गए. जिसके बाद अब बेसिक शिक्षा के अंतर्जनपदीय तबादले विवादों में घिर गए हैं. सूत्रों की मानें तो 2017 के शासनादेश का भी तबादलों में उल्लंघन हुआ है.

अब हजारों मासूम छात्रों की पढ़ाई खतरे में है. खीरी के सांसद अजय मिश्र टैनी कहते हैं, 'तबादला हुए शिक्षकों की जगह जिले में शिक्षक भी आएंगे. सरकार व्यवस्थाए सुचारू करने के लिए ही तबादले पूरी पारदर्शिता से कर रही है. 10 जुलाई तक का वक्त है. व्यवस्थाएं ठीक होंगी.'

इधर समाजवादी पार्टी के एमएलसी शशांक यादव ने पूरे तबादला नीति पर सवाल उठाते हुए जांच की मांग की है. जिले में जितने शिक्षकों का ट्रांसफर हुआ है उतने ही शिक्षक नियुक्त करने की मांग की है. जिससे शिक्षा व्यवस्था चौपट न हो.

आपको बता दें, 72 हजार शिक्षकों की नियुक्ति के विज्ञापन में भी अंतर्जनपदीय शिक्षकों के स्थानांतरण न किए जाने की शर्त थी. पर इतनी बड़ी तादाद में अंतर्जनपदीय तबादलों से अब बड़ा खेल नजर आने लगा है. यूपी के बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम सिंह कहते हैं, 'स्कूल बंद नहीं होंगे,जिन जिलों से तबादले हुए हैं, वहां के बीएसए को बचे हुए शिक्षकों से ही सभी स्कूल खोलने को कहा गया है.' 15 फीसदी से ज्यादा रिक्तियों वाले जिलों से अंतर्जनपदीय तबादले न किए जाने के नियम और शासनादेश पर वो चुप हो जाते हैं और कहते हैं, 'बीएसए ही मैनेज करेंगे स्कूलों को.'

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