इलाहाबाद : पीसीएस (प्रारंभिक) परीक्षा 2018 में परीक्षा केंद्र
निर्धारण को लेकर उप्र लोकसेवा आयोग यानि यूपीपीएससी फिर सवालों के घेरे
में है। अभ्यर्थियों की संख्या अधिक होने पर यूपीपीएससी परीक्षा केंद्र
वाले जिलों की संख्या बढ़ाने जा रहा है।
इसलिए 19 अगस्त को प्रस्तावित
परीक्षा स्थगित कर उसे 28 अक्टूबर को आयोजित करने का फैसला किया गया है।
वहीं आवेदन के साथ परीक्षा केंद्र का विकल्प न मांगने और केंद्र दूर देने
की कार्यशैली से अभ्यर्थी सांसत में हैं।1लोक सेवा आयोग पीसीएस प्री
परीक्षा प्रदेश के 21 जिलों में कराता रहा है। तब अभ्यर्थियों की संख्या
करीब साढ़े चार लाख हुआ करती थी। इनमें 50-60 फीसद अभ्यर्थी ही परीक्षा में
शामिल होते रहे हैं, जबकि इस बार परीक्षार्थियों की संख्या छह लाख 37 हजार
है, वजह दो परीक्षाओं के एक साथ होने और एसडीएम के पहली बार 119 पद होने
से दूसरे राज्यों के अलावा तमाम चयनितों ने भी आवेदन संख्या डेढ़ गुना हो
गई है। प्रशासनिक पद पाने की लालसा में अभ्यर्थियों के परीक्षा में अधिक
संख्या में शामिल होने की भी संभावना है।1यूपीपीएससी के पूर्व अध्यक्ष डॉ.
अनिल यादव के कार्यकाल में परीक्षा केंद्र दूर देने की शुरुआत पीसीएस 2012
से हुई थी, जिसको लेकर काफी विवाद भी हुआ। यूपी पीएससी ने वही रवैया 29
जुलाई को हुई एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती में भी दोहराया जिसमें अभ्यर्थियों
को चार से पांच सौ किलोमीटर दूर के जिले में परीक्षा देने के लिए भेजा गया।
पीसीएस 2018 की प्रारंभिक परीक्षा में फिर ऐसी ही नौबत है अभ्यर्थियों के
होश उड़े हैं। परीक्षा केंद्र और प्रवेशपत्र जारी करने में यूपी पीएससी की
पारदर्शी नीति न होने से परीक्षा में कई तरह की परेशानी की आशंका है।1रेलवे
व रोडवेज से नहीं होता संपर्क : यूपी पीएससी की ओर से रोडवेज व रेलवे से
भी परीक्षा केंद्रों व अभ्यर्थियों की तादाद के संबंध में कोई संपर्क नहीं
किया जाता है। इसको लेकर एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा में भी दिक्कतें
आई थीं।