68,500 शिक्षकों की भर्ती में सचिव परीक्षा नियामक कार्यालय का बड़ा कारनामा : दो नंबर पाने वाले को भी दे दी नौकरी

परिषदीय विद्यालयों के लिए 68,500 शिक्षकों की भर्ती में सचिव परीक्षा नियामक कार्यालय का बड़ा कारनामा सामने आया है। परीक्षा में मात्र दो, पांच, सात अंक पाने वाले अभ्यर्थियों को रिजल्ट में नॉट क्वालिफाइड दिखाने के बावजूद काउंसलिंग के बाद सचिव बेसिक शिक्षा परिषद एवं एनआईसी ने जिले आवंटित कर दिए।
जिला आवंटन के बाद इन अभ्यर्थियों का मामला दूसरे परीक्षार्थियों के संज्ञान में आने और अधिकारियों के जांच के दायरे में फंसने के डर से बेसिक शिक्षा परिषद ने प्रदेश के 14 जिलों के जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर नियुक्ति पत्र जारी करने पर रोक लगा दी थी।
सचिव परीक्षा नियामक की ओर से जारी परीक्षा परिणाम में मात्र दो अंक पाने वाले गोरखपुर के अरुण कुमार को देवरिया, पांच अंक पाने वाले महराजगंज के निजाम हुसैन को महराजगंज, 54 अंक पाने वाले इटावा के संजय कुमार को मैनपुरी, 41 अंक पाने वाली अलीगढ़ की बीना को अलीगढ़, 19 अंक पाने वाले बाराबंकी की दीपलता को बाराबंकी, 62 अंक पाने वाली पूजा को सीतापुर, 55 अंक पाने वाले सत्यपाल चौहान को बलरामपुर, 22 अंक वाले शिवेंद्र कुमार वर्मा को बाराबंकी व 44 अंक पाने वाले दीपक कुमार को बाराबंकी जिला आवंटित कर दिया गया।

इसी प्रकार 66 अंक पाने वाले आकाश पाल को बलरामपुर, 42 अंक पाने वाले मनोज कुमार यादव को जौनपुर, 52 अंक पाने वाले जगत सिंह को मुरादाबाद, 50 अंक वाले महेंद्र सिंह कुशवाहा को चित्रकूट, 32 अंक पाने वाले ललिता को जौनपुर, 23 अंक पाने वाली संगीता सिंह पटेल को कुशीनगर, 53 अंक वाली रश्मि सिंह को महराजगंज, 58 अंक वाले उमेश को गोंडा, 50 अंक वाली सीमा यादव को मेरठ और 52 अंक वाले इमरान को बुलंदशहर जिला आवंटित किया गया है, जबकि सात अंक पाने वाले देवरिया की एस खातून को जिले का आवंटन अंतिम समय में नहीं हो सका। परीक्षा में शामिल अभ्यर्थियों का कहना है कि परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय से मिले इस रिकार्ड को आधार बनाकर वह हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करेंगे। छात्रों का कहना है कि सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी लगातार स्कैन कॉपी दिखाने से बच रही हैं।