असिस्टेंट प्रोफेसर के 534 पदों की भर्ती में फंसा पेच, उच्च शिक्षा निदेशालय की चिट्ठी से नहीं निकाल पा रहा विज्ञापन

प्रयागराज : अशासकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों की भरपाई प्रतियोगी परीक्षाओं से करने की बजाए उच्च शिक्षा निदेशालय उप्र प्रयागराज, मानदेय पर कार्यरत असिस्टेंट प्रोफेसरों से करने के प्रयास में है।
ऑनलाइन काउंसिलिंग कराकर मानदेय पर कार्यरत इन शिक्षकों को ही नियमित करने की तैयारी है, जबकि 2003 की भर्ती से खाली पदों का अधियाचन उप्र उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग यानी को भेजने के बाद उसमें आरक्षण की सूचना गलत होने का पेंच फंसाकर विज्ञापन संख्या को रोके रखा है। 1उच्च शिक्षा निदेशालय ने 2003 की भर्ती में विज्ञापन संख्या 29 के तहत बैकलॉग के बचे पदों और उन्हें विज्ञापन 37 में शामिल करने के बाद अधियाचन को भेजा। इसमें सामान्य वर्ग की सीटों को भी शामिल किया गया, जिसके खिलाफ अभ्यर्थी हाईकोर्ट गए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अभ्यर्थियों के पक्ष में फैसला दिया जिसके खिलाफ निदेशालय ने शीर्ष कोर्ट में अपील की। लेकिन, शीर्ष कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्णय को ही सही मानकर उसे यथावत रखा और निदेशालय को आरक्षणवार पदों को अलग-अलग करने का निर्देश दिया। इसी के अनुपालन में विज्ञापन संख्या 37 से पद अलग करते हुए उन पद पर नए सिरे से भर्ती के लिए को अधियाचन फरवरी 2018 में भेजा। ने भी इसके लिए विज्ञापन संख्या की तैयारी की। इसी बीच उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से को एक पत्र पहुंचा जिसमें कहा गया कि महाविद्यालयवार आरक्षित पदों की सूचनाएं गलत आ गई हैं इसलिए इन पदों का अभी विज्ञापन जारी न किया जाए।1 पीएचडी और जेआरएफ करके बैठे लोगों में इसको लेकर आक्रोश है कि असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए प्रतियोगी परीक्षा नहीं हो रही है तो वे कहां जाएं। जबकि पदों की भर्ती प्रक्रिया में पेंच फंसाकर मानदेय पर कार्यरत शिक्षकों को ही नियमित करने की तैयारी अंदरखाने तेजी से हो रही है। की सचिव वंदना त्रिपाठी का कहना है कि निदेशालय से उनके यहां चिट्ठी आई थी जिसमें आरक्षण गलत होने की बात कही गई थी। लेकिन, पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन संख्या निकालने का निर्णय ले चुका है।