शिक्षक भर्तियों में शून्य जनपद और जिला वरीयता आर्डर विश्लेषण

1) 0 जनपद आर्डर के para 48 और 50 में स्पष्ट रूप से लिखा है कि जस्टिस इरशाद अली ने नियम 14(1)(a) पर बहस को एहमियत ही नहीं दी और 0 जनपद के हारने का कारण जिला वरीयता नहीं है। लेकिन उन्हें तो जिला वरीयता अजर अमर लगती है। टोपे लोग टोपी पसन्द।

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2) para 48 में इरशाद अली ने कहा है कि
*Once this Court has held that the proceeding of selection was based on guidelines and circulars issued by the Secretary, Board of Basic Education for which he was not competent, the arguments advanced and the judgments relied upon by Sri Anil Tiwari, learned Senior Counsel do not attract to this Court.*
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3) यानी उन्होंने जिला वरीयता वैध है या अवैध इस पर किसी अधिवक्ता की बात को सुना ही नहीं। वो केवल एक चीज को पकड़े रहे। वो यह कि सचिव, बेसिक शिक्षा परिषद ने 0 जनपद को सर्कुलर के क्लॉज़ 6(ख) के द्वारा इन किया है जबकि उनको नियम बनाने का अधिकार नहीं है।
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4) Para 50 में भी यही बात बोली है, इसमें कहा गया है कि

that the participation of the candidates of ‘0’ vacancy districts are based on issuance of circulars issued by the Board of Basic Education for which the Board was not competent to make any alteration or amendment in the rules governing the selection on the post of Assistant Teachers to be appointed in the primary schools and upper primary schools run and managed by the Board of Basic Education. Therefore, the submissions advanced by learned counsel for the respondents and the law reports relied upon have no substance and are hereby rejected.
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5) यह स्पष्ट है कि बहस जिला वरीयता पर तो हुई थी लेकिन जज साहब को उससे मतलब नहीं था उन्हें तो केवल रूल्स बनाने की पावर सचिव को है या नहीं इसी बात में इंटरेस्ट आया और इसी बेस पर उन्होने 0 को बाहर कर दिया।
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6) यदि शून्य जनपद के लोग DB में जाकर स्पेशल अपील भी दाखिल करते हैं तो जीतेंगे नहीं। क्योंकि जिस बेसिस पर इरशाद अली ने 0 को बाहर किया है उसका बचाव करना असम्भव है।
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7) इसलिए 0 जनपद को इस तरीके से DB से जीत नहीं मिलसकती क्योंकि इस ऑर्डर में कुछ भी गलत नहीं है। गलत केवल इतना है की पुरानी चयन सूची रदद् करने से 51 जनपद के लगे हुए लोग प्रभावित हो रहे हैं। और उनके कोर्ट जाने पर इस ऑर्डर पर स्टे मिल जाएगा।
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8) लेकिन इस तरीके से अंत मे यह स्पेशल अपील खारिज ही हो जानी है। इसको खारिज होने से बचाने के लिए इसे जिला वरीयता के नियम 14(1)(a) के विरुद्ध दाखिल पेटिशन बंच से टैग कराना होगा जिसकी pic अपलोड कर रहे हैं।
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9) उक्त केस को टैग कराने से SERS 11375/18 राम जनक मौर्य के ऑर्डर के अगेंस्ट दाखिल स्पेशल अपील खारिज होने से बच जाएगी लेकिन जिला वरीयता रद्द हो जाएगी जिससे 15000, 16448 और 12460 भर्तियां रद्द हो जाएंगी इसलिए 0 जनपद के लोगो की नौकरीं अब नहीं लग सकती है। इसका केवल एक रास्ता है जो अगली पोस्ट में बताएंगे।
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10) यहां यह बात उल्लेखनीय है कि इस ऑर्डर पर स्टे नहीं लिया तो 16448 भर्ती की चयन सूची भी रद्द हो जाएगी क्योंकी राहुल श्रीवास्तव और कनेक्टेड केसेस में आखरी सुनवाई पर जज ने कहा था कि लखनऊ में जो निर्णय आएगा उसके बाद इलाहाबाद में देखेंगे। अब जज साहब इलाहाबाद में इस ऑर्डर से विपरीत कोई आर्डर देंगे इसकी संभावना nil है। उसको किसी ने इलाहाबाद में लिस्ट करवाया तो 16448 की चयन सूची भी रद्द कर दी जाएगी क्योंकि 6ख की शुरआत वहीं से हुई थी और सभी की नियुक्ति राहुल श्रीवास्तव कानपुर के केस 31594/2016 के अधीन है ही।