30 मई 2018 आर्डर से प्रभावित सभी साथियो ये लड़ाई NCTE की गाइडलाइन्स और Para 5 (2) की व्याख्या की है

*30 मई 2018 आर्डर से प्रभावित सभी साथियो को नमश्कार* 🙏🙏🙏🙏
*एकता में बहुत शक्ति है*
*UNITY IS STRENGTH*
ये बात हम बचपन से पढ़ते और सुनते आ रहे हैं और ये सिर्फ एक कहावत ही नहीं है, आपके और हमारे जीवन में कई ऐसे मौके आये होंगे जब हमने इस बात को महसूस किया होगा।

आज 7 डेट लग जाने के बाद इस बात को यहाँ रखना शायद बहुत ज़्यादा लॉजिकल तो नहीं है, फिर भी रख रहा हूँ।
लेकिन, इसके पहले पुरसुइंग मुद्दे से जुड़ीं कुछ बातों का उल्लेख करना यहाँ आवश्यक हो जाता है।
*हाई कोर्ट में कुछ साथी ही Pursuing और प्रोफेशनल मुद्दे पर लड़ रहे थे और वहाँ उनका हाल पूछने वाला भी कोई नहीं था, बल्कि ऐसा नहीं है बड़े बड़े so called नेता इस मुद्दे से अंजान थे। लेकिन वो कभी आगे नहीं आये, वजह जो भी उस पर यहाँ बहस नहीं करनी है, लेकिन 30 मई 2018 का आर्डर आते ही पैरवी कर्ताओं की बाढ़ आ गयी, जिसको देखो अपनी SLP लेकर सुप्रीम कोर्ट भागा जा रहा था। होड़ लगी थी की पहला फ़ोटो कौन क्लिक करवाएगा।*
जो प्रभावित भी नहीं थे, उनके दिलों में अचानक ही हाई कोर्ट के निर्णय से प्रभावित लोगो के लिए इतनी संवेदना पैदा हो गयी कि घर बार सब छोड़कर निकल पड़े।
हो सकता ये बात अजीब लगे लेकिन सच तो ये है कि कुछ पैरवीकर्ताओं को तो लगता था मुँह मांगी मुराद मिल गयी।
_कई लोगों ने तो हाई कोर्ट से रिट की कॉपी तक नहीं निकलवाई और सुप्रीम कोर्ट पहुँच गए। किसी ने हाई कोर्ट के पैरवी कर्ताओं से बात करना भी उचित नहीं समझा।_
प्रभावित साथियों को समझ ही नहीं आ रहा था कि किस टीम का हाथ पकड़ें, कुछ ब्रांड नेम के साथ चले गए, कुछ ने नए लोगों पर दांव लगाया और सेशन वाइज लड़ने वाली कई टीम बन गयी।
और उसके बाद शुरू हुआ अपने आप को हीरो दिखाने का और दूसरों को नीचा दिखाने का दौर, जो अब तक चला आ रहा है। नेता लोगों की दिलचस्पी इसमें ज़्यादा है की किसका वकील नहीं आया था, तथ्यों, विरोधी की चालों को समझने में किसी की कोई दिलचस्पी ही नहीं है।
*लेकिन इन्हीं सबके बीच अच्छी बात ये है कि एक-दो टीम पूरी दमदारी के साथ पैरवी कर रही हैं और हर पहलू की तरफ उनकी नज़र है, उनका नाम यहाँ लिखना ठीक नहीं है वरना फिर "हम बड़े कि तुम बड़े" की लड़ाई प्रारम्भ हो जायेगी। लेकिन सभी पैरवी कर्ता और उनके सहयोगी अगर अपने दिल पर हाथ रखकर ईमानदारी से विचार करेंगें, तो इस बात का जवाब उन्हें तुरंत मिल जाएगा कि वो टीमें कौन सी हैं।*
अब ऊपर कही गयी कहावत : UNITY IS STRENGTH पर विचार करते हैं।
अभी भी समय है सभी पैरवी करने वाली टीम अपने पर्सनल स्वार्थ को पूरा नहीं तो थोड़ा सा भूलकर, थोड़ी ईमानदारी और पूरी दमदारी, सामंजस्य के साथ विरोधी को धूल चटायें।
यहाँ ये बात अच्छे से समझ लें कि ये लड़ाई, किसी सेशन, कोर्स या किसी पर्टिकुलर भर्ती की नहीं है, जो X सेशन वाले Y सेशन वाले को इनवैलिड बताते हैं, बल्कि ये लड़ाई NCTE की गाइडलाइन्स और Para 5 (2) की व्याख्या की है। इसलिए सोशल मीडिया पर अपनी नेतागिरी चमकाने के बजाये आपसी सामंजस्य के साथ केस लड़िये। नेतागण सोशल मीडिया पर हिसाब भेजकर ये न बताएं की इतना पैसा मैंने अपने घर से लगा दिया, क्योंकि आपके इस लॉजिक को कोई स्वीकार नहीं करेगा और करना भी नहीं चाहिए।
बल्कि सभी पैरवी करने वाली टीम अगली सुनवाई से पहले एक मीटिंग करके या कम से कम आपस में फ़ोन पर ही बात करके ये डिस्कस करें की अगली डेट में किस रणनीति के तहत कोर्ट जाना है और कैसे विरोधी को मात देना है, नहीं तो ये *लीची* जैसे कीड़े हमें चैलेन्ज देते रहेंगे और हम अपने आप को बड़ा साबित करने में लगे रहेंगे।
ऊपर लिखी गयी बातों पर सहयोगी साथी भी ध्यान दें और जिस टीम के साथ भी आप जुड़े हैं उन्हें सहयोग करें लेकिन साथ ही साथ दमदार पैरवी का भी दबाव बनाएं। पैरवी कर्ताओं से सवाल करें कि आप किस वकील को खड़ा करेंगे और क्यों? और आपसी सामंजस्य के लिए भी दबाव बनाएं। अगर अग्वाकार आपकी बातों का जवाब नहीं दे रहे है या देना नहीं चाह रहे हैं तो ये समझ लें कि आपने अपना भविष्य ग़लत हातों में सौंप दिया है।
उम्मीद है, इस पोस्ट को other wise न लेते हुए सभी टीम गम्भीरता से विचार करेंगी और आपसी सामंजस्य के साथ दमदार पैरवी करते हुए विजयी होकर लौटेंगी।
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*30 मई के आर्डर से प्रभावित सभी साथी*