इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मंगलवार को योगी सरकार की बड़ी कमी की ओर इशारा करते हुए आइना दिखाया है. हाईकोर्ट ने बिना पुर्नमूल्यांकन
कर टीईटी 2017 का परीक्षा परिणाम घोषित किये यूपी 69 हजार सहायक शिक्षकें
की भर्ती शुरू करने के सरकार के फैसले पर नाराजगी जताई है.
हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि राज्य सरकार को सावधानी से कार्य करना चाहिए था. याचियों सहित बड़ी संख्या में शिक्षामित्र इससे प्रभावित होंगे और उन्हें सहायक शिक्षक बनने का अवसर नहीं मिल पायेगा.
हाईकोर्ट ने मामले में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 के कहा था कि शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनने का अवसर दिया जायेगा. सहायक शिक्षक बनने के लिए टीईटी पास होना जरूरी है.
लेकिन इस मामले में सिंगल बेंच ने 6 मार्च 2018 के टीईटी-2017 में प्रश्नों में गड़बड़ियां पाते हुए 14 प्रश्नों को हटाकर नए सिरे से परिणाम घोषित करने का आदेश दिया था. अगर बिना उस परीक्षा को परिणाम घोषित करने से एक अवसर खो चुके याचीगण और उनकी तरह के तमाम शिक्षामित्र दूसरा अवसर भी खो देंगे. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 2 जनवरी को नियत करते हुए सरकार को इस प्रकरण में अपना पूरा पक्ष रखने का आदेश दिया है.
जस्टिस डीके अरोड़ा और जस्टिस एआर मसूदी की बेंच ने ये आदेश श्रीकांत सहित 6 शिक्षामित्रों की ओर से दाखिल विशेष अपील पर सुनवायी करते हुए पारित किया है. याचिका में तर्क दिया गया था कि एकल पीठ ने अपने 6 मार्च 2018 के फैसले में टीईटी परीक्षा में गड़बड़ी पाते हुए कहा था कि 14 प्रश्नें का घटाकर सभी अभ्यर्थियों का टीईटी 2017 का परिणाम नये सिरे से घोषित किया जाएं.
इस फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच ने 17 अप्रैल 2018 को आदेश पारित किया. जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर 2018 के हाईकोर्ट द्वारा विशेष अपील में पारित आदेश को रद्द कर कहा कि याचीगणों के विशेष अपील में पक्षकार बनाया जाये. साथ ही कहा कि 9 जनवरी 2018 के राज्य सरकार द्वारा प्रारम्भ की भर्ती प्रकिया के अनुसरण में की गयी नियुक्तियां विशेष अपील के अंतिम आदेशों के आधीन रहेंगीं. कहा गया कि अभी तक याचीगण को विशेप अपील में पक्षकार बनाने के सरकार की ओर से अर्जी तक दाखिल नहीं की गयी है.
दूसरी तरफ राज्य सरकार की ओर से तर्क था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से याचियों का हित सुरक्षित रखा गया है. जिस पर कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 जनवरी 2018 को प्रारम्भ की गयी भर्ती प्रकिया के बावत याचीगणें का हित भले ही सुरक्षित किया है लेकिन 1 दिसम्बर 2018 को प्रारम्भ की भर्ती प्रकिया के बावत ऐसा कुछ नहीं है. 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा 6 जनवरी 2019 को होनी है, जिसके चलते कोर्ट ने सुनवायी 2 जनवरी को ही लगा दी है.
हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि राज्य सरकार को सावधानी से कार्य करना चाहिए था. याचियों सहित बड़ी संख्या में शिक्षामित्र इससे प्रभावित होंगे और उन्हें सहायक शिक्षक बनने का अवसर नहीं मिल पायेगा.
हाईकोर्ट ने मामले में कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 25 जुलाई 2017 के कहा था कि शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक बनने का अवसर दिया जायेगा. सहायक शिक्षक बनने के लिए टीईटी पास होना जरूरी है.
लेकिन इस मामले में सिंगल बेंच ने 6 मार्च 2018 के टीईटी-2017 में प्रश्नों में गड़बड़ियां पाते हुए 14 प्रश्नों को हटाकर नए सिरे से परिणाम घोषित करने का आदेश दिया था. अगर बिना उस परीक्षा को परिणाम घोषित करने से एक अवसर खो चुके याचीगण और उनकी तरह के तमाम शिक्षामित्र दूसरा अवसर भी खो देंगे. हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 2 जनवरी को नियत करते हुए सरकार को इस प्रकरण में अपना पूरा पक्ष रखने का आदेश दिया है.
जस्टिस डीके अरोड़ा और जस्टिस एआर मसूदी की बेंच ने ये आदेश श्रीकांत सहित 6 शिक्षामित्रों की ओर से दाखिल विशेष अपील पर सुनवायी करते हुए पारित किया है. याचिका में तर्क दिया गया था कि एकल पीठ ने अपने 6 मार्च 2018 के फैसले में टीईटी परीक्षा में गड़बड़ी पाते हुए कहा था कि 14 प्रश्नें का घटाकर सभी अभ्यर्थियों का टीईटी 2017 का परिणाम नये सिरे से घोषित किया जाएं.
इस फैसले के खिलाफ डिवीजन बेंच ने 17 अप्रैल 2018 को आदेश पारित किया. जिसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने 26 अक्टूबर 2018 के हाईकोर्ट द्वारा विशेष अपील में पारित आदेश को रद्द कर कहा कि याचीगणों के विशेष अपील में पक्षकार बनाया जाये. साथ ही कहा कि 9 जनवरी 2018 के राज्य सरकार द्वारा प्रारम्भ की भर्ती प्रकिया के अनुसरण में की गयी नियुक्तियां विशेष अपील के अंतिम आदेशों के आधीन रहेंगीं. कहा गया कि अभी तक याचीगण को विशेप अपील में पक्षकार बनाने के सरकार की ओर से अर्जी तक दाखिल नहीं की गयी है.
दूसरी तरफ राज्य सरकार की ओर से तर्क था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से याचियों का हित सुरक्षित रखा गया है. जिस पर कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 जनवरी 2018 को प्रारम्भ की गयी भर्ती प्रकिया के बावत याचीगणें का हित भले ही सुरक्षित किया है लेकिन 1 दिसम्बर 2018 को प्रारम्भ की भर्ती प्रकिया के बावत ऐसा कुछ नहीं है. 69 हजार सहायक शिक्षकों की भर्ती के लिए परीक्षा 6 जनवरी 2019 को होनी है, जिसके चलते कोर्ट ने सुनवायी 2 जनवरी को ही लगा दी है.