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जिम्मेदार कौन? अठारह वर्षों से शिक्षामित्रों का हो रहा है भयंकर शोषण बीजेपी की सत्ता में अवतरित हुए शिक्षामित्रों को उन्ही की जन्मदाता पार्टी के द्वारा घोर शोषण और पूरा देश चुपचाप तमाशा देख रहा है!

अठारह वर्षों से शिक्षामित्रों का हो रहा है भयंकर शोषण
बीजेपी की सत्ता में अवतरित हुए शिक्षामित्रों को उन्ही की जन्मदाता पार्टी के द्वारा घोर शोषण और पूरा देश चुपचाप तमाशा देख रहा है!

मित्रों
जब शिक्षा मित्रों की प्रथम नियुक्ति हुई उस समय शिक्षा मित्रों की योग्यता मात्र इण्टरमीडिएट रखी गयी थी बाद में सरकार ने कहा कि शिक्षा मित्रों को स्नातक होना जरूरी है जब स्नातक हो गये तो कहा गया कि बी०टी० सी० प्रशिक्षित नहीं है जब प्रशिक्षित हो गये तब कहा गया कि टेट नहीं पास है जब टेट पास हो गये तो कहा गया कि लिखित परीक्षा पास करो
पहली 68500 शिक्षक भर्ती में 30_33%कटऑफ पर परीक्षा पास होंगे ये कहकर परीक्षा करवाये फिर धोखे से रिजल्ट 40_45%कटऑफ पर दिए उसमें भी शिक्षामित्रों को धोखा दिया क्योंकि इन्हें पता चल गया कि ज्यादातर शिक्षामित्र 30_33% कटऑफ के अंदर पास थे उन्हें नियुक्ति न देनी पड़े और सामाजिक रूप से अपमानित किया गया जबकि 27000 से ज्यादा सीटें खाली रह गयी ऊपर से भ्रष्टाचार हुआ वो अलग।
दूसरी 69000 शिक्षक भर्ती परीक्षा में बताया गया कि कोई कटऑफ नही रहेगा और एक बार फिर परीक्षा होने के बाद धोखे से कटऑफ लगा दिए वो भी 60_65%कटऑफ जबकि इस बार भी ज्यादातर शिक्षामित्र 50 से 55 % कटऑफ के अंदर में पास हैं जबकि पिछली परीक्षा की योग्यता कटऑफ 40_45%थी इस बार 6 महीनों में ही ऐसी योग्यता की कौन सी बरसात हो गयी जिससे योग्यता का पैमाना सीधे 20% बढ़ा दिया गया जबकि उन्हें पता था कि ये भर्ती शिक्षामित्रों के लिए आखिरी मौका था अपने अधेड उम्र में पर अफसोस अहंकारी सरकार ने उनके उम्र और 18 वर्षो के अनुभव का कोई महत्व न देते हुए एक बार फिर उनको अंधेरे में रखकर 60_65%कटऑफ लगाकर प्रतियोगिता से बाहर करवा दिए पर हम सब ये अत्याचार और धोखा बर्दास्त नही करेंगे।
लिखित परीक्षा में अच्छे नम्बर लाये तो अब कहा गया कि यदि परीक्षा में 60% से 65% अंक आयेगें तब पास माने जाओगे।
वाह रे भारत का कानून कहने को तो न्याय चला निर्धन से मिलने की परिकल्पना है और मिला क्या शिक्षामित्रों को अवसाद और मृत्यु
अठारह वर्षों से शिक्षामित्र अल्पमानदेय में गुलामी की जिन्दगी व्यतीत कर रहा है सरकारें झूठा आश्वासन देती रही और शिक्षा मित्र आशा में मौत को गले लगाता रहा।
घोर निराशा का माहौल आज लाखों शिक्षामित्रों के परिवार में व्याप्त है और हमारे अगुआओं का घमंड भी कम नही हो रहा है ,कोई 18 को कोई 28 को तो कोई अगले महीने
आखिर चाहते क्या हो  भाई लोग ?
जब सबका उद्देश्य शिक्षामित्र हित ही  है तो फिर जीवन के जिस कठिन हालात में आज एक एक शिक्षामित्र अपना जीवन गुजार रहा है उस हालात में ऐसे गैरजिम्मेदाराना रवैया समझ से परे है ।
उमाजी के 18 के आंदोलन को मैं पूरा समर्थन करता हूँ और सभी शिक्षामित्रों से अनुरोध करूंगा कि आप सब भी इस धरने में प्रतिभाग करे पूरी निष्ठा से और इस बार ठंड अच्छी खासी है  पूरी व्यवस्था से सभी आइए ताकि कोई दिक्कत न हो और कोशिश यही हो कि तब तक न हिले सभी जबतक की कोई रास्ता न सूझे।
उमा जी से अनुरोध की एक दिन के शक्ति प्रदर्शन की जरूरत अब नहीं है क्योंकि सभी शिक्षामित्र एक एक दिन आकर ताली बजाकर खाली हाथ जब अपने क्षेत्र में लौटता है तो उसके आसपास के लोगों की नजरों में उपहास का पात्र और अपमानित महसूस करता है इसलिए अनुरोध है कि आप एलान करे कि 18 जनवरी से तब तक लखनऊ की धरती कोई भी नहीं छोड़ेगा जब तक कोई रास्ता न निकले जरूरत पड़ने पर वंही से दिल्ली कूच किया जाए ,18 से 26 जनवरी तक सभी शिक्षामित्र स्कूल का मोह छोड़कर इस महाआंदोलन में सम्मिलित होकर एक दूसरे का सहयोग करें।
एक दिन के शक्ति प्रदर्शन के चक्कर मे सभी को बुलाकर ताली बजवाकर खाली हाथ लौटाना बहुत ही निराशाजनक होता है इस तरह के शक्ति प्रदर्शन से शिक्षामित्रों को परहेज करना चाहिए और ऐसे किसी आंदोलन को समर्थन भी करने की जरूरत नहीं है क्योंकि मेरा मानना है कि ऐसे लोग सिर्फ नाम और वाहवाही के चक्कर मे आम शिक्षामित्रों की भावनाओं से खिलवाड़ करने के सिवाय कुछ नहीं करना चाहते ?
सभी संगठन के नेतृत्वकर्ता से मार्मिक अपील कि जो जिस स्तर से जो भी प्रयास कर रहा है करते रहे और ईश्वर करें कि आप सब कामयाबी भी प्राप्त करें पर अब साम दाम दंड भेद हर स्तर से लड़ाई की जरूरत है ,आप सब अपने स्तर से कोशिश करते रहिए पर किसी की बुराई करने की कोई जरूरत नहीं है एक दूसरे के आंदोलन में भाग लेना और न लेना आप सबके अहम और विवेक पर निर्भर करता है पर अनुरोध कि किसी के प्रयास का मजाक यूँ सार्वजनिक न करें क्योंकि आज शिक्षामित्र इतना टूटा हुआ है कि अच्छे बुरे की पहचान खोने की कगार पर है ,कृपया एक दूसरे की बुराई कर आम शिक्षामित्रों को दिग्भ्रमित करने से बेहतर है कि आप अपने स्तर से कोशिश करे और सब एक दूसरे का सपोर्ट करे क्योंकि सबका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ शिक्षामित्र हित है कुछ और नहीं?
जिन्हें राजनीति करनी हो जरा खुद ही पीछे हट जाए जब शिक्षामित्र सुरक्षित हो जाये फिर आप सब अपनी नौंटकी कीजियेगा।
हमारा बिखराव सरकार का मनोबल बढ़ाता है और हमारे विरुद्ध हर साजिश करने को तैयार बैठे है और समय समय पर नई नई साजिशों के तहत शिक्षामित्रों को अपमानित करने का कोई मौका नही छोड़ रही है,
सम्भल और सुधर जाओ आप सब और संगठित होकर एक साथ मिलकर हुंकार भर दो आप सब।
सभी मृतक शिक्षामित्रों के तश्वीरों के साथ पोस्टर बनाकर इस बार आंदोलन की रूपरेखा तय की जाए ,
और बीजेपी के संकल्प पत्र का पोस्टर ,तिरंगा झंडा और डंडा तथा साथ मे सभी मृतक शिक्षामित्रों की मौत की तश्वीरों से सरकार और मीडिया से सवाल पूछा जाएगा कि आखिर हमारी गलती कहा थी हमने तो ईमानदारी से 18 वर्षो से बेसिक शिक्षा की सेवा की फिर हमारे 1000 से ज्यादा साथियों की मौत का जिम्मेदार कौन?

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