उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग की ओर से विज्ञापन संख्या 46 के तहत रसायन
विज्ञान, भौतिक विज्ञान एवं जंतु विज्ञान विषय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद
पर चयनित साढ़े तीन सौ अभ्यर्थी नियुक्ति के लिए तरस गए।
ऑनलाइन और ऑफलाइन काउंसलिंग के फेर में उनकी भर्ती तीन माह से फंसी हुई है। अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट से राहत भी मिल चुकी है लेकिन उच्च शिक्षा निदेशालय काउंसलिंग कराने को तैयार नहीं है।
भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान और जंतु विज्ञान विषय में चयनित अभ्यर्थियों
की काउंसलिंग के लिए 22 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की गई थी। काउंसलिंग
ऑफलाइन होनी थी लेकिन अचानक इसे रोक दिया गया और अभ्यर्थियों से कहा गया कि
काउंसलिंग ऑनलाइन होगी। एक माह बीतने के बाद भी काउंसलिंग नहीं हुई तो
अभ्यर्थी हाईकोर्ट की शरण में चले गए। कोर्ट ने काउंसलिंग कराकर भर्ती
प्रक्रिया पूरी करने का आदेश दिया लेकिन उच्च शिक्षा निदेशालय ने अब तक
काउंसलिंग शुरू नहीं कराई है। अभ्यर्थियों का कहना है कि विज्ञापन संख्या
46 के तहत पूर्व में चयनित अभ्यर्थियों को ऑफलाइन काउंसलिंग के तहत चयनित
अभ्यर्थियों की ऑफलाइन काउंसलिंग कराई गई तो उसी विज्ञापन के तहत अन्य
विषयों के अभ्यर्थियों की काउंसलिंग के लिए अलग व्यवस्था को लागू करना
नियमों के खिलाफ है।
अभ्यर्थियों का यह भी कहना है कि ऑनलाइन काउंसलिंग से कई तरह के नुकसान हैं। अभ्यर्थियों ने इंटरव्यू से पहले कॉलेज आवंटन के लिए वरीयता भरी थी। ऑफलाइन काउंसलिंग में यह फायदा होता है कि वरीयता में से कोई कॉलेज नहीं मिल रहा है तो मौके पर ही अभ्यर्थी से बाकी बचे कॉलेजों में वरीयता पूछ ली जाती है लेकिन ऑनलाइन काउंसलिंग में रेंडम आधार पर कॉलेज आवंटित कर दिया जाएगा। इसके अलावा बहुत से ओबीसी अभ्यर्थियों का चयन सामान्य की मेरिट में हो गया है जबकि ऐसे अभ्यर्थियों ने ओबीसी श्रेणी के लिए निर्धारित कॉलेजों में अपनी वरीयता दी थी। ऑफलाइन काउंसलिंग में मौके पर ही इसका निराकरण हो जाता है लेकिन ऑनलाइन काउंसलिंग में यह सुविधा नहीं मिलेगी। अभ्यर्थियों ने मांग की है कि उच्च शिक्षा निदेशालय जल्द ही ऑफलाइन काउंसलिंग के जरिए उन्हें नियुक्ति दे।
ऑनलाइन और ऑफलाइन काउंसलिंग के फेर में उनकी भर्ती तीन माह से फंसी हुई है। अभ्यर्थियों को हाईकोर्ट से राहत भी मिल चुकी है लेकिन उच्च शिक्षा निदेशालय काउंसलिंग कराने को तैयार नहीं है।
अभ्यर्थियों का यह भी कहना है कि ऑनलाइन काउंसलिंग से कई तरह के नुकसान हैं। अभ्यर्थियों ने इंटरव्यू से पहले कॉलेज आवंटन के लिए वरीयता भरी थी। ऑफलाइन काउंसलिंग में यह फायदा होता है कि वरीयता में से कोई कॉलेज नहीं मिल रहा है तो मौके पर ही अभ्यर्थी से बाकी बचे कॉलेजों में वरीयता पूछ ली जाती है लेकिन ऑनलाइन काउंसलिंग में रेंडम आधार पर कॉलेज आवंटित कर दिया जाएगा। इसके अलावा बहुत से ओबीसी अभ्यर्थियों का चयन सामान्य की मेरिट में हो गया है जबकि ऐसे अभ्यर्थियों ने ओबीसी श्रेणी के लिए निर्धारित कॉलेजों में अपनी वरीयता दी थी। ऑफलाइन काउंसलिंग में मौके पर ही इसका निराकरण हो जाता है लेकिन ऑनलाइन काउंसलिंग में यह सुविधा नहीं मिलेगी। अभ्यर्थियों ने मांग की है कि उच्च शिक्षा निदेशालय जल्द ही ऑफलाइन काउंसलिंग के जरिए उन्हें नियुक्ति दे।