लखनऊ। इलाहबाद हाईकोर्ट ने आज प्रदेश में पंचायत चुनावों में लेकर हो
रही देरी पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया और बहुत ही
तल्ख़ टिप्पणी की है। एक याचिका की सुनवाई करते हुए इलाहबाद हाई कोर्ट की
लखनऊ बेंच ने कहा
कि पंचायत चुनाव पांच साल के अंदर नहीं करवाने की वजह से संवैधानिक संकट पैदा हो गया है। मामले में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूर्ण और श्रीनारायण शुक्ला की बेंच ने राज्य सरकार के महाधिवक्ता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है।
दरअसल मामला प्रदेश में ग्राम पंचायत के प्रधान पद के चुनाव को टालने का है। एक जनहित याचिका मे कहा गया है कि राज्य में चुनाव समय से नहीं करवाने से संवैधानिक संकट पैदा हो गया है। अतः राष्ट्रपति शासन की सिफारिश क्यों न की जाए। इस पर कोर्ट ने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों से जवाव मांगा है। याचिका में जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत चुनाव कराये जाने और प्रधान और सदस्य पद के चुनाव स्थगित करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी। गौरतलब हैं कि याचिका में ५ सितम्बर को पंचायतीराज के द्वारा जारी शासनादेश को चुनौती दी गई है। याचिका के अनुसार उत्तर प्रदेश पंचायती राज विभाग ने ग्राम प्रधानों और ग्राम सभा सदस्यों के आरक्षण को अगला आदेश आने तक स्थगित कर दिया गया है। जिला पंचायत अध्यक्षों के आरक्षण की सूची जारी कर दी गई है। बीडीसी चुनाव भी अपने तय समय पर ही होंगे। मामले की अगली सुनवाई १५ अक्टूबर को होगी।
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कि पंचायत चुनाव पांच साल के अंदर नहीं करवाने की वजह से संवैधानिक संकट पैदा हो गया है। मामले में मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूर्ण और श्रीनारायण शुक्ला की बेंच ने राज्य सरकार के महाधिवक्ता को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को भी नोटिस जारी किया है।
दरअसल मामला प्रदेश में ग्राम पंचायत के प्रधान पद के चुनाव को टालने का है। एक जनहित याचिका मे कहा गया है कि राज्य में चुनाव समय से नहीं करवाने से संवैधानिक संकट पैदा हो गया है। अतः राष्ट्रपति शासन की सिफारिश क्यों न की जाए। इस पर कोर्ट ने केंद्र और राज्य दोनों सरकारों से जवाव मांगा है। याचिका में जिला पंचायत और क्षेत्र पंचायत चुनाव कराये जाने और प्रधान और सदस्य पद के चुनाव स्थगित करने के राज्य सरकार के फैसले को चुनौती दी गई थी। गौरतलब हैं कि याचिका में ५ सितम्बर को पंचायतीराज के द्वारा जारी शासनादेश को चुनौती दी गई है। याचिका के अनुसार उत्तर प्रदेश पंचायती राज विभाग ने ग्राम प्रधानों और ग्राम सभा सदस्यों के आरक्षण को अगला आदेश आने तक स्थगित कर दिया गया है। जिला पंचायत अध्यक्षों के आरक्षण की सूची जारी कर दी गई है। बीडीसी चुनाव भी अपने तय समय पर ही होंगे। मामले की अगली सुनवाई १५ अक्टूबर को होगी।
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