जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : सरकारी स्कूलों की पढ़ाई का स्तर सुधारने के
लिए क्या 'शिक्षक प्रबंधन' का अफसरों को रिफ्रेशर कोर्स कराना चाहिये? ये
सवाल इसलिए है, क्योंकि समस्या ही कुछ ऐसी है। जिले में करीब 100 स्कूल ऐसे
हैं, जहां सिर्फ एक शिक्षक पर ही सारा जिम्मा है।
तमाम स्कूल ऐसे भी हैं, जहां बच्चे और शिक्षक बराबर-से हैं। यहां बच्चों की संख्या बढ़ाने पर तो कोई अमल है ही नहीं, जरूरत वाले स्कूलों में शिक्षकों का तबादला भी नहीं हो रहा। जाहिर है, ये मौज की नौकरी मुफ्त में तो नहीं ही मिल रही। कोई इसकी भरपूर 'कीमत' वसूल रहा है। वर्ना ऐसा क्या कि कहीं एक शिक्षक पर 100 बच्चों का जिम्मा हो, कहीं मात्र दो का। मौज उड़ाने के आदी हुए ऐसे शिक्षक बच्चों को क्या, कितना और कैसे पढ़ाते होंगे, अंदाजा लगाना कठिन नहीं। क्या शिक्षा विभाग के अफसरों को भी इसकी फिक्र है? होती तो करोड़ों रुपये सालाना फूंककर ऐसे स्कूल नहीं चलाते, जहां वे खुद अपने बच्चों को पढ़ने के लिए न भेज सकें।
¨हदुस्तान के किसी भी स्कूल में शिक्षक-छात्र अनुपात 1:2 देखा है क्या? हम दिखाते हैं। बिजौली ब्लॉक के तोछी जूनियर हाईस्कूल का यही हाल है। यहां 20 बच्चों का पंजीकरण है, गुरुवार को आए सिर्फ नौ ही। पढ़ाने के लिए शिक्षक जरूर चार हैं। सीडीओ धीरेंद्र सिंह सचान यह हाल देखकर हैरान रह गए। पड़ोस के स्कूलों का जायजा लिया तो वहां कई ऐसे स्कूल बताए गए, जहां सिर्फ एक ही शिक्षक है। नाराज सीडीओ ने एबीएसए बिजौली के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
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इनसर्ट
बीडीओ समेत छह पर कार्रवाई तय
चार गांवों के निरीक्षण में ही इतना बुरा हाल मिला कि सीडीओ को छह अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश करने पड़े। सीडीओ ने अतरौली के गांव चहऊआ में पाया कि प्रधान ने हौसला पोषण योजना में कोई सहयोग नहीं किया। उन्हें नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
मनरेगा का अमल भी ठीक नहीं। इसकी जांच के लिए टीम गठित कर दी। पंचायत सचिव को भी कारण बताओ नोटिस देने का आदेश दिया। फिर, टीम बिजौली ब्लॉक के गांव दत्ताचोली पहुंची। यहां भी मनरेगा के काम ठीक से नहीं हुए। आधा चकरोड बनाया ही नहीं गया था। शौचालय निर्माण व लोहिया आवासों में गुणवत्ता भी ठीक नहीं थी। इसके लिए सीडीओ ने तत्कालीन बीडीओ, पंचायत सचिव व ग्राम प्रधान के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए। इसी गांव में 20 लाख से बन रहे विद्यालय की छत में दरारें देखकर सुधार के निर्देश भी दिए।
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तमाम स्कूल ऐसे भी हैं, जहां बच्चे और शिक्षक बराबर-से हैं। यहां बच्चों की संख्या बढ़ाने पर तो कोई अमल है ही नहीं, जरूरत वाले स्कूलों में शिक्षकों का तबादला भी नहीं हो रहा। जाहिर है, ये मौज की नौकरी मुफ्त में तो नहीं ही मिल रही। कोई इसकी भरपूर 'कीमत' वसूल रहा है। वर्ना ऐसा क्या कि कहीं एक शिक्षक पर 100 बच्चों का जिम्मा हो, कहीं मात्र दो का। मौज उड़ाने के आदी हुए ऐसे शिक्षक बच्चों को क्या, कितना और कैसे पढ़ाते होंगे, अंदाजा लगाना कठिन नहीं। क्या शिक्षा विभाग के अफसरों को भी इसकी फिक्र है? होती तो करोड़ों रुपये सालाना फूंककर ऐसे स्कूल नहीं चलाते, जहां वे खुद अपने बच्चों को पढ़ने के लिए न भेज सकें।
¨हदुस्तान के किसी भी स्कूल में शिक्षक-छात्र अनुपात 1:2 देखा है क्या? हम दिखाते हैं। बिजौली ब्लॉक के तोछी जूनियर हाईस्कूल का यही हाल है। यहां 20 बच्चों का पंजीकरण है, गुरुवार को आए सिर्फ नौ ही। पढ़ाने के लिए शिक्षक जरूर चार हैं। सीडीओ धीरेंद्र सिंह सचान यह हाल देखकर हैरान रह गए। पड़ोस के स्कूलों का जायजा लिया तो वहां कई ऐसे स्कूल बताए गए, जहां सिर्फ एक ही शिक्षक है। नाराज सीडीओ ने एबीएसए बिजौली के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
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बीडीओ समेत छह पर कार्रवाई तय
चार गांवों के निरीक्षण में ही इतना बुरा हाल मिला कि सीडीओ को छह अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश करने पड़े। सीडीओ ने अतरौली के गांव चहऊआ में पाया कि प्रधान ने हौसला पोषण योजना में कोई सहयोग नहीं किया। उन्हें नोटिस जारी करने के निर्देश दिए।
मनरेगा का अमल भी ठीक नहीं। इसकी जांच के लिए टीम गठित कर दी। पंचायत सचिव को भी कारण बताओ नोटिस देने का आदेश दिया। फिर, टीम बिजौली ब्लॉक के गांव दत्ताचोली पहुंची। यहां भी मनरेगा के काम ठीक से नहीं हुए। आधा चकरोड बनाया ही नहीं गया था। शौचालय निर्माण व लोहिया आवासों में गुणवत्ता भी ठीक नहीं थी। इसके लिए सीडीओ ने तत्कालीन बीडीओ, पंचायत सचिव व ग्राम प्रधान के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए। इसी गांव में 20 लाख से बन रहे विद्यालय की छत में दरारें देखकर सुधार के निर्देश भी दिए।
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