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विकलांग कोटे से चयनित शिक्षकों की बढ़ी मुश्किलें

अमर उजाला ब्यूरो, महोबा जिले में विकलांग कोटे से चयनित दर्जन भर से अधिक शिक्षकों पर कार्रवाई की तलवार लटक गई है। कारण, विशिष्ट बीटीसी 2007-08 और विशेष चयन 2008 बीटीसी में चयनित होकर नौकरी कर रहे शिक्षकों को छह वर्ष बाद फिर स्वास्थ्य परीक्षण से गुजरना पड़ेगा।
अनफिट मिलने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई होगी और उन्हें नौकरी से भी हाथ धोना पड़ेगा।
प्रदेश में विकलांग कोटे में शिक्षकों के हुए चयन में फर्जीवाड़ा को लेकर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले ने विकलांग कोटे से जिले में नौकरी कर रहे दर्जन भर से अधिक शिक्षकों को संदेह के घेरे में खड़ा कर दिया है। न्यायालय के अनुपालन में निदेशक राज शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, लखनऊ ने 29 जून 2016 को जारी पत्र में इसका खुलासा किया है।


जिले के डायट प्राचार्य और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी को दिए निर्देश में विशिष्ठ बीटीसी 2007-08 एवं बीटीसी 2008 विशेष चयन में विकलांग कोटे से चयनित शिक्षकों को नौ सितंबर 2016 को लखनऊ में मुख्य चिकित्सा अधिकारी के समक्ष स्वास्थ्य एवं विकलांग परीक्षण कराना होगा।

मामले पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान प्राचार्य संतोष कुमार सक्सेना ने बताया कि विशिष्ठ बीटीसी 2007-08 और बीटीसी 2008 विशेष चयन से विकलांग कोटे से नौकरी कर रहे शिक्षकों को पुन: स्वास्थ्य परीक्षण के लिए सूचना प्रकाशित करा दी गई है। उन्होंने बताया कि जिले में दर्जन भर से अधिक शिक्षक विकलांग कोटे के तहत विद्यालयों में सेवारत हैं। परीक्षण के दौरान विकलांगता फर्जी पाई गई, तो उनके विरुद्ध कार्रवाई होगी और नौकरी से भी हाथ धोना पड़ेगा।

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