Wednesday 28 September 2016

6 लाख शिक्षक लामबन्द : प्रमोशन में आरक्षण बनेगा चुनावी मुद्दा, आज राज्य कर्मचारियों का बड़ा सम्मेलन

केंद्र सरकार के इरादे ठीक नहीं, पांचवी बार संविधान संशोधन की कोशिश कामयाब नहीं होने देने की चेतावनी - प्रदेश के 18 लाख कर्मचारी और छह लाख शिक्षक प्रमोशन में आरक्षण के विरोध में एकजुट - प्रमोशन में
आरक्षण का लाभ दिया तो भाजपा का विधानसभा चुनाव में नुकसान तय - सामान्य और पिछड़ी जाति के कर्मचारियों, अधिकारियों और शिक्षकों को नहीं मिलता यह लाभ विशेष संवाददाता / राज्य मुख्यालयप्रमोशन में आरक्षण का विरोध विधानसभा चुनाव-2017 में बड़ा मुद्दा बनेगा।
प्रमोशन में आरक्षण देने के लिए 117वें संविधान संशोधन बिल को पारित कराने की कोशिश के विरोध में 28 सितम्बर को राज्य कर्मचारियों, अधिकारियों और शिक्षकों का प्रान्तीय सम्मेलन लखनऊ में बुलाया गया है। सर्वजन हिताय संरक्षण समिति के बैनर तले यह सम्मेलन राजभवन के सामने विश्वरैय्या हाल में सुबह दस से पांच बजे तक होगा। समिति के अध्यक्ष शैलेन्द्र दुबे व अन्य प्रमुख पदाधिकारियों ए ए फारूकी, एच एन पाण्डेय, डीसी दीक्षित, कायम रजा रिजवी, कमलेश मिश्र, राम राज दुबे, वाई एन उपाध्याय, मो. नूर आलम, अजय तिवारी, सर्वेश शुक्ल, राजीव श्रीवास्वत, डा0 मौलेन्दु मिश्र, एस पी सिंह, त्रिवेणी मिश्र, पवन सिंह, अजय सिंह, आरबी एल यादव, आर पी उपाध्याय, ए के भल्ला ने बताया कि सम्मेलन में प्रमोशन में आरक्षण व 117वें संविधान संशोधन बिल के विरोध में संघर्ष की व्यापक रणनीति तय की जाएगी।समिति के अध्यक्ष श्री दुबे ने बताया कि जिस तरह केन्द्र सरकार ने मानसून सत्र के अन्त में लोक सभा व राज्य सभा में पार्लियामेण्टरी पैनेल की रिपोर्ट पेश कर दी है उससे इरादे ठीक नहीं लगते। रिपोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए 117वें संविधान संशोधन बिल को शीघ्र से शीघ्र पारित कराने की प्रबल अनुशंसा की गई है। इससे सामान्य व अन्य पिछड़ी जाति के कर्मचारियों, अधिकारियों व शिक्षकों में भारी गुस्सा है। इस रिपोर्ट को संसद में पेश कर देने का साफ मतलब है कि केन्द्र सरकार की नियत साफ नहीं है और संसद के शीतकालीन सत्र में 117वें संविधान संशोधन बिल को पारित कराने की तैयारी है। समिति के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए विगत में चार बार संविधान संशोधन किए जा चुके हैं किन्तु अब पांचवी बार संविधान संशोधन की कोशिश कामयाब नहीं होने दी जाएगी जिसके लिए प्रदेश के 18 लाख कर्मचारी और 6 लाख शिक्षक पूरी तरह लामबन्द हैं।
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