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सुगम होगी शिक्षक बनने की राह, बीटीसी 2016 सत्र में प्रदेश के निजी कालेजों में सीटों की संख्या होगी दोगुनी

प्रदेश में शिक्षक बनने की राह और आसान होने जा रही है। इसकी वजह निजी बीटीसी कालेजों की संख्या दोगुनी करनी की तैयारी है। अब तक जितने कालेज चल रहे हैं उससे भी अधिक कालेजों को आगामी शैक्षिक
सत्र से मान्यता मिलना लगभग तय है।
इससे कालेजों में प्रवेश पाने वालों की मेरिट का भी नीचे आना तय है यानी द्वितीय श्रेणी में हाईस्कूल, इंटर व स्नातक करने वाले भी शिक्षक बन सकेंगे। बेसिक टीचर्स सर्टिफिकेट यानी बीटीसी करने के इच्छुक युवाओं के लिए राहत भरी खबर है।
यदि काउंसिलिंग में अब तक मौका नहीं मिल पाया है कि तो निराश न हों नए साल में बेहतर मौके मिलेंगे। बीटीसी का प्रशिक्षण पहले सिर्फ जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान यानी डायट में ही होता रहा है। सत्र 2012-13 से निजी बीटीसी कालेजों को पाठ्यक्रम संचालन की अनुमति मिली। इसके बाद से निजी कालेज खुलने की मानों बाढ़ आ गई। 2012-13 से 2015-16 आने तक में संस्थानों की संख्या दोगुनी हो गई थी। अब फिर निजी कालेजों की संख्या दोगुनी से अधिक होने जा रही है। इस समय प्रदेश में निजी कालेज 1425 हैं और आगामी सत्र के लिए करीब 1800 से अधिक कालेजों ने संबद्धता पाने के लिए आवेदन किया है। परीक्षा नियामक कार्यालय के सूत्रों के अनुसार उनमें से 1600 कालेजों को संबद्धता मिलनी तय है, सिर्फ औपचारिक बैठकें करके उस पर मुहर लगनी शेष है। इतने निजी कालेज होने पर सीटें भी दोगुनी हो जाएंगी। 2015 सत्र में बीटीसी की करीब 74 हजार सीटों पर युवाओं को प्रवेश मिला था। नए निजी कालेज खुलने पर बीटीसी सीटों की संख्या बढ़कर डेढ़ लाख से अधिक होने का अनुमान है। जिस तरह से बीटीसी में इस साल प्रवेश पाने के लिए कम संख्या में युवाओं ने आवेदन किया उस लिहाज से इतनी सीटें भरना मुश्किल होगा। साथ ही मेरिट प्रथम श्रेणी से गिरकर द्वितीय श्रेणी पर आ जाएगी। (अब तक उन्हीं युवाओं को बीटीसी में प्रवेश मिल पाया है जिनके अंक प्रथम श्रेणी में रहे हैं)
परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय में नए सत्र 2016 में प्रवेश दिलाने के लिए प्रस्ताव बनाने का कार्य शुरू हो गया है। दीपावली के बाद उसको अनुमोदन के लिए शासन को भेजने की तैयारी है। यही नहीं अगले सत्रों 2017 आदि के लिए भी नए निजी कालेजों को मान्यता देने का सिलसिला जारी रहेगा। उसी के सापेक्ष सीटों की संख्या भी बढ़ती जाएगी।

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