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बंट गई सपा: जानिए क्या हुआ कल, जो सीएम अखिलेश को उठाना पड़ा यह कदम..

आखिर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने तुरुप का इक्का चलते हुए अपने चाचा व समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव और उनके करीबी नारद राय, ओम प्रकाश सिंह और शादाब फातिमा को मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया।
थोड़ी देर बाद ही सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो.रामगोपाल यादव को सपा से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। इस कार्रवाई से सपा में पिछले माह से चल रहे महासंग्राम अब अंतिम दौर में पहुंच गया है। कौन हारा-कौन जीता, यह तस्वीर साफ होनी अभी बाकी है।
मुलायम सिंह यादव ने 24 अक्टूबर को विधानमंडल दल व प्रत्याशियों की बैठक बुलाई तो उसके एक दिन पहले मुख्यमंत्री ने विधायकों को अपने सरकारी आवास पर बुलाया, तभी अंदेशा था कि ‘तुरुप का इक्का’ चलने की बात करने वाले अखिलेश रविवार को इसका इस्तेमाल कर सकते हैं और यही हुआ भी। 1मुख्यमंत्री ने विधायकों से इस पूरे बवाल की जड़ में अमर सिंह के होने की बात करते हुए कहा कि ‘उनके साथ रहने वाला व्यक्ति मेरे साथ नहीं रह सकता।’ सीएम ने बताया कि वह चाचा शिवपाल यादव समेत चार मंत्रियों को बर्खास्त करने का पत्र राजभवन भेजकर बैठक में आये हैं। कुछ देर बाद राज्यपाल राम नाईक ने मंत्रियों को पदमुक्त करने का आदेश भी जारी कर दिया। चार मंत्रियों की बर्खास्तगी के बादसे फुल चल रही अखिलेश कैबिनेट के चार स्थान रिक्त हो गए हैं और सदस्यों की संख्या 56 हो गयी है। 1(विशेष आयोजन 84-11-14)1ल्ली को घेर कर अगर दबोचने की कोशिश हो तो वह शेर की तरह दुश्मन पर छलांग लगा देती है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अंतत: आज वह छलांग लगा ही दी। अपने चाचा शिवपाल सिंह, उनके चहेतों और अमर सिंह के सिपहसलारों को मंत्रिमंडल से निकालकर मुख्यमंत्री ने क्षीण हो रही अपने सरकारी ओहदे की धमक एक बार फिर से बहाल की है। 1इससे भी ज्यादा महत्वपूर्ण है उनकी दहाड़,‘ मैं ही सपा का उत्तराधिकारी।’ आज विधायक दल की बैठक में इन निर्णयों के बाद जारी प्रेसनोट में मुख्यमंत्री की ओर से कहा गया, ‘नेताजी मेरे पिता हैं और नेता हैं। दोनों हैसियत में उम्र भर उनकी सेवा मैं करता रहूंगा।’ साफ जाहिर है कि अखिलेश यह संकेत दे रहे हैं कि उन्होंने जो कुछ किया है वह सिर्फ और सिर्फ पार्टी के हित में ही नहीं, ‘नेता जी’ की मंशा को ध्यान में रखते हुए किया है। 1मुलायम सिंह को करीब से जानने वालों का मानना है कि पार्टी में रह-रहकर उठते विरोध के स्वर कभी सबसे अहम मंत्री शिवपाल सिंह के बंगले से सुनाई देते थे या फिर फिर पार्टी के सबसे प्रभावी राष्ट्रीय महासचिव राम गोपाल, जिन्हें अब पार्टी से निकाल दिया गया है, के डेरे से आते थे। 12 सितंबर से चल रहे इस पारिवारिक महासमर में मुलायम अपने ही अंदाज से अपने पुत्र को फिर से पार्टी के एक मात्र उत्तराधिकारी के रूप में स्थापित करना चाह रहे थे। इसलिए दोनों ही चाचाओं का राजनीतिक वशीकरण अनिवार्य था। (शेष पेज 12)1अमर सिंह पहले भी विवाद का कारण रहे, सपा से निकाले गए तो दिल्ली में महारानी बाग वाला बंगला नेताजी से खाली करा लिया। वह दोबारा पार्टी में आए तो न सिर्फ पारिवारिक विवाद बढ़ा बल्कि पार्टी को नुकसान हो गया। अब उनके समर्थकों को नहीं छोड़ेंगे। चार मंत्रियों को बर्खास्त करने का निर्णय करके आया हूं।
कभी नहीं सोचा था घर से अलग होकर प}ी के साथ सरकारी आवास में रहना पड़ेगा मगर बाहरी लोगों ने कहां से कहां पहुंचा दिया।अमर समर्थकों को नहीं छोड़ेंगेराज्य ब्यूरो, लखनऊ : समाजवादी पार्टी के सत्ता ‘संग्राम’ में सोमवार का दिन बेहद अहम होने वाला है। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव पार्टी को बचाने के लिए कठोर फैसला ले सकते हैं। कहा तो यहां तक जा रहा है कि वह अखिलेश यादव से मुख्यमंत्री का पद लेकर खुद संभाल सकते हैं। 1सत्ता संग्राम के बीच में जिस तरह से एक एमएलसी ने पत्र के जरिये मुलायम परिवार पर कीचड़ उछाला और फिर प्रो. राम गोपाल यादव ने अपने तरीके से उसे बढ़ाया, उससे मुलायम बेहद खफा बताए जाते हैं। उन्होंने रविवार को पार्टी के वरिष्ठ नेताओं, बर्खास्त मंत्रियों व पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और अपने भाई शिवपाल सिंह यादव के साथ अलग-अलग बैठकों में इसका इजहार किया। जिस अंदाज में मुलायम ने बातें कहीं है उसका अर्थ यही निकाला जा रहा है कि वह अपने पुत्र अखिलेश को
मुलायम सिंह यादव ने 13 सितंबर को जब अखिलेश यादव को पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाकर कमान शिवपाल यादव को सौंपी थी, उस समय भी मुख्यमंत्री ने अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए शिवपाल यादव से भी महत्वपूर्ण विभाग वापस लेते हुए उन्हें समाज कल्याण विभाग का जिम्मा सौंप दिया था।1नारद दोबारा बर्खास्त 1रविवार को बर्खास्त होने वाले मंत्रियों में नारद राय ऐसे विधायक हैं, जिन्हें अखिलेश यादव ने दूसरी बार बर्खास्त किया है। पहली बर्खास्तगी लोकसभा चुनाव के बाद हुई थी। एक साल बाद मंत्रिमंडल में उनकी दोबारा वापसी हुई थी।1जया प्रदा भी हटायी गईं1मुख्यमंत्री ने चार मंत्रियों के साथ अमर सिंह की करीबी व पूर्व सांसद जयाप्रदा को फिल्म विकास परिषद के वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद से बर्खास्त करने निर्णय सुनाया, जिस पर तत्काल अमल भी हो गया।

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