ALLAHABAD: इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर की भर्ती में रिटेन एग्जाम को लेकर नया पेच फंसता नजर आ रहा है। असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर भर्ती के लिये रिटेन एग्जाम का आयोजन किया जाये या नहीं, इसे लेकर शिक्षकों के अलग- अलग मत हैं।
पहले होता था direct interview
गौरतलब है कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में लास्ट इयर असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिये ऑफलाइन आवेदन मांगे गये थे। उस समय असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिये डायरेक्ट इंटरव्यू की व्यवस्था की गई थी। लेकिन भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही कई तरह की धांधली और गड़बड़ी के आरोप लगे। तब यह मसला इलाहाबाद हाईकोर्ट चला गया। इसमें आरक्षण के नियमों को भी गलत तरीके से लागू किये जाने का आरोप लगा। इस वजह से बाद में विज्ञापन को निरस्त कर दिया गया।
नहीं हो पायेगा मूल्यांकन
अब शिक्षक भर्ती का विज्ञापन नये सिरे से आना है। इसके लिये अभ्यर्थियों को पुन: आवेदन करना होगा। ऑनलाइन आवेदन का प्लान बनाया जा रहा है। इसी क्रम में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिये ऑनलाइन रिटेन एग्जाम भी होना है। रिटेन एग्जाम का कांसेप्ट अपनाये जाने की बड़ी वजह ट्रांसपैरेंट तरीके से चयन किया जाना है। लेकिन इससे पहले कि प्लान को अमली जामा पहनाया जाये, शिक्षकों के एक वर्ग का मानना है कि रिटेन एग्जाम होने से एकेडमिक पोस्ट के लिये शोधपरक नॉलेज रखने वाले का सही तरीके से इवैलुएशन नहीं हो पायेगा।
चहेतों के चयन पर लगेगी रोक
शिक्षकों के दूसरे वर्ग का मानना है कि डायरेक्ट इंटरव्यू की व्यवस्था रिटेन एग्जाम के बाद भी होगी। ऐसे में रिटेन एग्जाम कंडक्ट करवाये जाने में कोई प्रॉब्लम नहीं है। बहरहाल, एग्जाम को लेकर पशोपेश जारी है। इससे शिक्षक भर्ती का पुनर्विज्ञापन होने में डिले होने की बात कही जा रही है। बता दें कि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग इलाहाबाद असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिये रिटेन एग्जाम करवा रहा है। आयोग ने यह फैसला यूजीसी के डायरेक्शन को देखते हुये कुछ वर्ष पहले लिया था। छात्रों के वर्ग का भी मानना है कि रिटेन एग्जाम न होने से इविवि के शिक्षक अपने चहेतों को डायरेक्ट इंटरव्यू के जरिये पास करवा देते हैं। ऐसे में एग्जाम होना जरूरी है।
इसलिये भी late हो रहा विज्ञापन
विज्ञापन डिले होने की एक और बड़ी वजह सामने आ रही है। दरअसल, यूजीसी ने कुछ समय पहले रिसर्च जर्नल्स की सूची जारी की थी। इसका देशभर में यह कहकर विरोध हुआ था कि इसमें कई रेप्यूटेड जर्नल्स को जगह नहीं दी गई है। इसके बाद यूजीसी को दोबारा संशोधित सूची जारी करनी पड़ी। इसके बाद इविवि में चयन प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो। अनुपम दीक्षित ने सभी विभागों को पत्र भेजकर शिक्षकों से कहा था कि उनके रिसर्च पेपर का प्रकाशन जिस जर्नल में हुआ हो, उसका पूरा ब्यौरा मुहैया करवायें, ताकि इससे यूजीसी को अवगत करवाया जा सके। लेकिन हैरानी की बात है कि कई बार मांगे जाने के बाद भी ज्यादातर शिक्षकों ने अभी तक अपनी डिटेल नहीं सौंपी है। इसके लिये अंतिम मौका 17 फरवरी तक दिया गया है.
असिस्टेंट प्रोफेसर के लिये रिटेन एग्जाम को लेकर पशोपेश है। डिपार्टमेंट्स द्वारा लिस्ट ऑफ जर्नल नहीं दिया गया है। यूजीसी की सूची में जिन जर्नल्स का नाम होगा। उन्हें ही शिक्षक भर्ती की मेरिट में मान्यता दी जायेगी।
प्रोफेसर अनुपम दीक्षित, निदेशक, चयन प्रकोष्ठ
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गौरतलब है कि इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में लास्ट इयर असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिये ऑफलाइन आवेदन मांगे गये थे। उस समय असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिये डायरेक्ट इंटरव्यू की व्यवस्था की गई थी। लेकिन भर्ती प्रक्रिया शुरू होने के साथ ही कई तरह की धांधली और गड़बड़ी के आरोप लगे। तब यह मसला इलाहाबाद हाईकोर्ट चला गया। इसमें आरक्षण के नियमों को भी गलत तरीके से लागू किये जाने का आरोप लगा। इस वजह से बाद में विज्ञापन को निरस्त कर दिया गया।
नहीं हो पायेगा मूल्यांकन
अब शिक्षक भर्ती का विज्ञापन नये सिरे से आना है। इसके लिये अभ्यर्थियों को पुन: आवेदन करना होगा। ऑनलाइन आवेदन का प्लान बनाया जा रहा है। इसी क्रम में असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिये ऑनलाइन रिटेन एग्जाम भी होना है। रिटेन एग्जाम का कांसेप्ट अपनाये जाने की बड़ी वजह ट्रांसपैरेंट तरीके से चयन किया जाना है। लेकिन इससे पहले कि प्लान को अमली जामा पहनाया जाये, शिक्षकों के एक वर्ग का मानना है कि रिटेन एग्जाम होने से एकेडमिक पोस्ट के लिये शोधपरक नॉलेज रखने वाले का सही तरीके से इवैलुएशन नहीं हो पायेगा।
चहेतों के चयन पर लगेगी रोक
शिक्षकों के दूसरे वर्ग का मानना है कि डायरेक्ट इंटरव्यू की व्यवस्था रिटेन एग्जाम के बाद भी होगी। ऐसे में रिटेन एग्जाम कंडक्ट करवाये जाने में कोई प्रॉब्लम नहीं है। बहरहाल, एग्जाम को लेकर पशोपेश जारी है। इससे शिक्षक भर्ती का पुनर्विज्ञापन होने में डिले होने की बात कही जा रही है। बता दें कि उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग इलाहाबाद असिस्टेंट प्रोफेसर के पदों पर भर्ती के लिये रिटेन एग्जाम करवा रहा है। आयोग ने यह फैसला यूजीसी के डायरेक्शन को देखते हुये कुछ वर्ष पहले लिया था। छात्रों के वर्ग का भी मानना है कि रिटेन एग्जाम न होने से इविवि के शिक्षक अपने चहेतों को डायरेक्ट इंटरव्यू के जरिये पास करवा देते हैं। ऐसे में एग्जाम होना जरूरी है।
इसलिये भी late हो रहा विज्ञापन
विज्ञापन डिले होने की एक और बड़ी वजह सामने आ रही है। दरअसल, यूजीसी ने कुछ समय पहले रिसर्च जर्नल्स की सूची जारी की थी। इसका देशभर में यह कहकर विरोध हुआ था कि इसमें कई रेप्यूटेड जर्नल्स को जगह नहीं दी गई है। इसके बाद यूजीसी को दोबारा संशोधित सूची जारी करनी पड़ी। इसके बाद इविवि में चयन प्रकोष्ठ के निदेशक प्रो। अनुपम दीक्षित ने सभी विभागों को पत्र भेजकर शिक्षकों से कहा था कि उनके रिसर्च पेपर का प्रकाशन जिस जर्नल में हुआ हो, उसका पूरा ब्यौरा मुहैया करवायें, ताकि इससे यूजीसी को अवगत करवाया जा सके। लेकिन हैरानी की बात है कि कई बार मांगे जाने के बाद भी ज्यादातर शिक्षकों ने अभी तक अपनी डिटेल नहीं सौंपी है। इसके लिये अंतिम मौका 17 फरवरी तक दिया गया है.
असिस्टेंट प्रोफेसर के लिये रिटेन एग्जाम को लेकर पशोपेश है। डिपार्टमेंट्स द्वारा लिस्ट ऑफ जर्नल नहीं दिया गया है। यूजीसी की सूची में जिन जर्नल्स का नाम होगा। उन्हें ही शिक्षक भर्ती की मेरिट में मान्यता दी जायेगी।
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