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कोर्ट के अनुसार शिक्षामित्रों की नियुक्तियां असंवैधानिक

कोर्ट के अनुसार नियुक्तियां असंवैधानिक
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि शिक्षामित्रों की नियुक्तियां असंवैधानिक हैं क्योंकि आपने बाजार में मौजूद प्रतिभा को मौका नहीं दिया और उन्हें अनुबंध पर भर्ती करने के बाद उनसे कहा कि आप अनिवार्य शिक्षा हासिल कर लो।
पीठ ने कहा कि यह बैकडोर एंट्री है जिसे उमादेवी केस (2006) में संविधान पीठ अवैध ठहरा चुकी है। वहीं इससे पहले भी इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सितंबर 2015 शिक्षामित्रों की नियुक्तियों को अवैध करार दिया था जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर में इस आदेश को स्टे कर दिया था।
दूरदराज शिक्षा देने के लिए हुई थी भर्तियां
उत्तर प्रदेश सरकार ने मुताबिक 1999 में शिक्षामित्रों की जो भर्तियां हुई हैं उसका मूल उद्देश्य सिर्फ प्रदेश के दूरदराज के क्षेत्रों में शिक्षा पहुंचना था। यह सिर्फ एक कल्याणकारी कदम था।
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