राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : आखिरकार माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र सरकार से टकराने के बजाए बैकफुट पर आ गया है। अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों की नियुक्तियों के संबंध में अहम निर्णय लेने का एजेंडा जारी करने के बाद बैठक करने से भी सदस्यों ने साफ मना कर दिया।
असल में प्रदेश के अन्य भर्ती आयोगों की तरह ही चयन बोर्ड में भी सभी भर्तियों पर रोक लगी है। करीब एक माह हो रहा है, चयन बोर्ड में रुटीन कार्य को छोड़ कुछ भी नया नहीं हो रहा है। कुछ दिन पहले जो परिणाम जारी हो चुके हैं उनके चयनित अभ्यर्थियों को विद्यालय का आवंटन चयन बोर्ड ने जरूर किया गया है। इस कार्य से प्रतियोगी खफा रहे हैं। वहीं अभ्यर्थी लगातार मंत्रियों से मिलकर भर्तियां शुरू कराने की मांग कर रहे हैं। इसी बीच चयन बोर्ड ने बुधवार को अहम बैठक करने का निर्णय लिया। बैठक के एजेंडे में तीन मुद्दे शामिल किये गए जो सरकार को चुनौती देते दिख रहे थे। इसमें पहला प्रकरण 2016 की प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक यानी टीजीटी-पीजीटी परीक्षा की तारीख तय करना है। दूसरा 2011 के लंबित टीजीटी-पीजीटी परीक्षा परिणाम जारी करना और तीसरा वर्ष 2013 के स्नातक शिक्षक छह विषयों के परिणाम जारी करना शामिल हैं। यह तीनों बिंदु चयन बोर्ड व सरकार का टकराव होने की ओर इशारा कर रहे थे। बुधवार को चयन बोर्ड के अध्यक्ष, सचिव व सदस्यों के साथ ही पूरा स्टाफ कार्यालय में समय पर हाजिर हुआ, लेकिन बैठक करने पर सहमति नहीं बन सकी। सदस्यों ने साफ कहा कि प्रदेश सरकार से किसी तरह से टकराना ठीक नहीं है। सदस्यों ने कार्यालय में कुछ देर बैठकर गपशप की और चाय पीकर लौट गए। चयन बोर्ड की ओर से भी स्पष्ट किया गया है कि अब सरकार के निर्देश पर ही भर्तियां कराने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
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असल में प्रदेश के अन्य भर्ती आयोगों की तरह ही चयन बोर्ड में भी सभी भर्तियों पर रोक लगी है। करीब एक माह हो रहा है, चयन बोर्ड में रुटीन कार्य को छोड़ कुछ भी नया नहीं हो रहा है। कुछ दिन पहले जो परिणाम जारी हो चुके हैं उनके चयनित अभ्यर्थियों को विद्यालय का आवंटन चयन बोर्ड ने जरूर किया गया है। इस कार्य से प्रतियोगी खफा रहे हैं। वहीं अभ्यर्थी लगातार मंत्रियों से मिलकर भर्तियां शुरू कराने की मांग कर रहे हैं। इसी बीच चयन बोर्ड ने बुधवार को अहम बैठक करने का निर्णय लिया। बैठक के एजेंडे में तीन मुद्दे शामिल किये गए जो सरकार को चुनौती देते दिख रहे थे। इसमें पहला प्रकरण 2016 की प्रवक्ता व स्नातक शिक्षक यानी टीजीटी-पीजीटी परीक्षा की तारीख तय करना है। दूसरा 2011 के लंबित टीजीटी-पीजीटी परीक्षा परिणाम जारी करना और तीसरा वर्ष 2013 के स्नातक शिक्षक छह विषयों के परिणाम जारी करना शामिल हैं। यह तीनों बिंदु चयन बोर्ड व सरकार का टकराव होने की ओर इशारा कर रहे थे। बुधवार को चयन बोर्ड के अध्यक्ष, सचिव व सदस्यों के साथ ही पूरा स्टाफ कार्यालय में समय पर हाजिर हुआ, लेकिन बैठक करने पर सहमति नहीं बन सकी। सदस्यों ने साफ कहा कि प्रदेश सरकार से किसी तरह से टकराना ठीक नहीं है। सदस्यों ने कार्यालय में कुछ देर बैठकर गपशप की और चाय पीकर लौट गए। चयन बोर्ड की ओर से भी स्पष्ट किया गया है कि अब सरकार के निर्देश पर ही भर्तियां कराने की दिशा में आगे बढ़ेंगे।
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