राजस्थान हाई कोर्ट ने राज्य की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के मद्देनजर एक अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि शिक्षकों के लिए वो विषय पढ़ा होना अनिवार्य है जिसे वह छात्रों को पढ़ाएंगे.
अब तक जरुरी नहीं था विषय का पढ़ा होना
अब तक राज्य के 4,000 से अधिक अपर-प्राइमरी स्कूलओं में अंग्रेजी शिक्षकों के पद के उम्मीदवारों के लिए बीएड या स्नातक में अंग्रेजी पढ़ा होना अनिवार्य नहीं था.
मात्र अंग्रेजी ही नहीं, बल्कि किसी अन्य विषय का शिक्षक बनने के लिए भी व्यक्ति को उस विषय को पढ़ा होना जरूरी नहीं थी.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक देश के अनेक राज्यों में स्कूली शिक्षकों की नियुक्ति मात्र टीचर एलिजीबिलिटी टेस्ट (टीइटी) के आधार पर की जाती है. जहां मैथ्स और साइंस के शिक्षक पद के उम्मीदवारों के लिए टीइटी में ये विषय चुनना आवश्यक था, सोशल साइंस और भाषाओं की परीक्षा के लिए ऐसा कोई नियम नहीं था.
पहले भी देश में आ चुके हैं ऐसे फैसले
पूर्व में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट संस्कृत और झारखण्ड हाई कोर्ट अंग्रेजी विषयों के लिए ऐसे ही फैसले दे चुकी है.
नेशनल काउंसिल फॉर टीचरस एजुकेशन (एनसीटीइ) द्वारा तय किये गए नियमों के मुताबिक उम्मीदवारों को उस विषय की जानकारी आवश्यक नहीं थी जिसे वो पढाना चाहते हैं.
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अब तक जरुरी नहीं था विषय का पढ़ा होना
अब तक राज्य के 4,000 से अधिक अपर-प्राइमरी स्कूलओं में अंग्रेजी शिक्षकों के पद के उम्मीदवारों के लिए बीएड या स्नातक में अंग्रेजी पढ़ा होना अनिवार्य नहीं था.
मात्र अंग्रेजी ही नहीं, बल्कि किसी अन्य विषय का शिक्षक बनने के लिए भी व्यक्ति को उस विषय को पढ़ा होना जरूरी नहीं थी.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक देश के अनेक राज्यों में स्कूली शिक्षकों की नियुक्ति मात्र टीचर एलिजीबिलिटी टेस्ट (टीइटी) के आधार पर की जाती है. जहां मैथ्स और साइंस के शिक्षक पद के उम्मीदवारों के लिए टीइटी में ये विषय चुनना आवश्यक था, सोशल साइंस और भाषाओं की परीक्षा के लिए ऐसा कोई नियम नहीं था.
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