राज्य ब्यूरो, लखनऊ : परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों की बेतरतीब तैनाती की समस्या को दूर करने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग जिले के अंदर एक से दूसरे विद्यालय में शिक्षकों का तबादला करेगा। जिले के अंदर शिक्षकों के तबादले में वरिष्ठता को तरजीह दी जाएगी।
प्रदेश के 7429 परिषदीय स्कूल इकलौते शिक्षकों के हवाले हैं। बड़ी संख्या में ऐसे भी विद्यालय हैं जिनमें छात्रों की संख्या के सापेक्ष ज्यादा शिक्षक तैनात हैं। वहीं ऐसे स्कूलों की भी बड़ी तादाद है जहां शिक्षकों की कमी है। इस विसंगति को दूर करने के लिए स्कूलों में शैक्षिक सत्र 2017-18 में नवीनतम छात्र संख्या के आधार पर शिक्षा के अधिकार कानून के मुताबिक शिक्षकों के पदों का निर्धारण करते हुए अध्यापकों की तैनाती की जाएगी। इसके लिए जिलों से स्कूलों में 30 अप्रैल 2017 की छात्र संख्या उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
स्कूलों में अध्यापकों के पदों का निर्धारण होने के बाद शिक्षकों के समायोजन की कार्यवाही की जाएगी। ऐसे सकूल जहां जरूरत से ज्यादा शिक्षक तैनात हैं, उन्हें वहां से हटाकर उन विद्यालयों में स्थानांतरित किया जाएगा जिनमें अध्यापकों की कमी है। समायोजन प्रक्रिया में सबसे पहले सकूल में कार्यरत कनिष्ठतम शिक्षक को हटाया जाएगा और उन्हें यथासंभव उसी विकासखंड के पास के स्कूल में पदस्थापित किया जाएगा। विकलांग, असाध्य/गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों तथा विधवा/परित्यकता शिक्षिकाओं को समायोजन में जहां तक हो सकेगा, उनकी सुविधानुसार तैनाती दी जाएगी। जिस स्कूल में अतिरिक्त शिक्षक का समायोजन किया जाएगा, उस विद्यालय में किसी अध्यापक को स्थानांतरित नहीं किया जाएगा। जिले में समायोजन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद शिक्षकों के गुणवत्ता अंक तय करते हुए उन्हें जिले के तीन जोन के स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा। इसके लिए स्कूलों में रिक्तियों का ब्योरा जिले की एनआइसी वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा। स्थानांतरण प्रक्रिया में सुनिश्चित होगा कि तबादलों से कोई भी विद्यालय एकल शिक्षक या बंद न हो तथा किसी भी स्कूल में अध्यापक-छात्र अनुपात 1:40 से ज्यादा और 1:20 से कम न हो।
ऐसे तय होगा गुणवत्ता अंक
’असाध्य/गंभीर रोग से ग्रस्त शिक्षकों के लिए पांच अंक
’दिव्यांग शिक्षकों के लिए पांच अंक
’विधवा/परित्यकता शिक्षिकाओं के लिए पांच अंक
’सेवाकाल के प्रत्येक वर्ष के लिए एक अंक (अधिकतम 35 अंक)
ऐसे बंटेंगे जोन
जिले के अंदर तबादले के लिए हर जिले को तीन जिलों में बांटा जाएगा। जोन-1 के तहत जिले की म्युनिसिपल सीमा या जिला मुख्यालय से आठ किमी की दूरी, जो भी अधिक हो, के दायरे में आने वाला क्षेत्र शामिल होगा। जोन-2 का विस्तार तहसील मुख्यालय से दो किमी तक होगा जबकि जिले का शेष क्षेत्र जोन-3 में शामिल होगा।
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प्रदेश के 7429 परिषदीय स्कूल इकलौते शिक्षकों के हवाले हैं। बड़ी संख्या में ऐसे भी विद्यालय हैं जिनमें छात्रों की संख्या के सापेक्ष ज्यादा शिक्षक तैनात हैं। वहीं ऐसे स्कूलों की भी बड़ी तादाद है जहां शिक्षकों की कमी है। इस विसंगति को दूर करने के लिए स्कूलों में शैक्षिक सत्र 2017-18 में नवीनतम छात्र संख्या के आधार पर शिक्षा के अधिकार कानून के मुताबिक शिक्षकों के पदों का निर्धारण करते हुए अध्यापकों की तैनाती की जाएगी। इसके लिए जिलों से स्कूलों में 30 अप्रैल 2017 की छात्र संख्या उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।
स्कूलों में अध्यापकों के पदों का निर्धारण होने के बाद शिक्षकों के समायोजन की कार्यवाही की जाएगी। ऐसे सकूल जहां जरूरत से ज्यादा शिक्षक तैनात हैं, उन्हें वहां से हटाकर उन विद्यालयों में स्थानांतरित किया जाएगा जिनमें अध्यापकों की कमी है। समायोजन प्रक्रिया में सबसे पहले सकूल में कार्यरत कनिष्ठतम शिक्षक को हटाया जाएगा और उन्हें यथासंभव उसी विकासखंड के पास के स्कूल में पदस्थापित किया जाएगा। विकलांग, असाध्य/गंभीर बीमारी से ग्रस्त शिक्षकों तथा विधवा/परित्यकता शिक्षिकाओं को समायोजन में जहां तक हो सकेगा, उनकी सुविधानुसार तैनाती दी जाएगी। जिस स्कूल में अतिरिक्त शिक्षक का समायोजन किया जाएगा, उस विद्यालय में किसी अध्यापक को स्थानांतरित नहीं किया जाएगा। जिले में समायोजन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद शिक्षकों के गुणवत्ता अंक तय करते हुए उन्हें जिले के तीन जोन के स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा। इसके लिए स्कूलों में रिक्तियों का ब्योरा जिले की एनआइसी वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा। स्थानांतरण प्रक्रिया में सुनिश्चित होगा कि तबादलों से कोई भी विद्यालय एकल शिक्षक या बंद न हो तथा किसी भी स्कूल में अध्यापक-छात्र अनुपात 1:40 से ज्यादा और 1:20 से कम न हो।
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’सेवाकाल के प्रत्येक वर्ष के लिए एक अंक (अधिकतम 35 अंक)
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जिले के अंदर तबादले के लिए हर जिले को तीन जिलों में बांटा जाएगा। जोन-1 के तहत जिले की म्युनिसिपल सीमा या जिला मुख्यालय से आठ किमी की दूरी, जो भी अधिक हो, के दायरे में आने वाला क्षेत्र शामिल होगा। जोन-2 का विस्तार तहसील मुख्यालय से दो किमी तक होगा जबकि जिले का शेष क्षेत्र जोन-3 में शामिल होगा।
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