विगत कुछ दिनों से बेसिक शिक्षा विभाग के मंत्री से लेकर संतरी तक एक ही राग अलाप रहे हैं, और वो हैं "सरप्लस शिक्षक" अर्थात आवश्यकता से अधिक शिक्षक!
मेरे द्वारा दाखिल एक RTI के जवाब (दि० 17 मई २०१७) में, प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा तैयार कर केंद्र को प्रेषित किये गये ANNUAL WORK PLAN & BUDGET-२०१७ की छायाप्रति प्राप्त हुयी! बताता चलूँ कि बुनियादी शिक्षा के कुल वार्षिक खर्च में केंद्र सरकार 65 प्रतिशत का योगदान देती हैं, जिसे प्राप्त करने हेतु राज्य को प्रत्येक वर्ष अपना वर्क प्लान MHRD को प्रेषित करना होता हैं, और केंद्र व राज्य/विभाग के सभी आला-अधिकारीयों की संयुक्त मीटिंग के उपरान्त केंद्र का अंश राज्य को प्राप्त होता हैं!
इस वित्तीय वर्ष में राज्य द्वारा स्वयं प्रेषित वर्क प्लान में प्राथमिक विद्यालयों(1 से 5 तक) के शिक्षकों के सृजित पदों (5,98,369 सृजितपद) के सापेक्ष 1,80,998 शिक्षकों की रिक्तियाँ दर्शायी हैं! एतेव यह समझ से परे हैं कि एक ओर ज्यादा से से ज्यादा केन्द्रीय फण्ड पाने के लिए शिक्षकों की लाखों रिक्तियाँ दर्शायी जाती हैं, वहीं दूसरी ओर जब योग्य शिक्षकों की पर्याप्त संख्या में नियुक्तियों की बात उठती हैं तो विभाग के आला-अधिकारीयों से लेकर मंत्री व मुख्यमंत्री जी सरप्लस शिक्षकों का अलाप छेड़ देते हैं!
इस अलाप के पीछे दो कारण ही प्रतीत होते हैं:-
1. बेसिक शिक्षा विभाग की मूलभूत वास्तुस्थिति से अनभिज्ञ व टेंडरों व ट्रान्सफर-पोस्टिंग के कमीशन तय करने में व्यस्त रहना अथवा
2. शिक्षा की गुणवत्ता के प्रति उदासीनता बरतते हुए स्वयं के ब्रांडेड प्राइवेट स्कूलों के संचालन से आम जनता का दोहन व प्राथमिक शिक्षा पर खर्च होने वाले राज्य के नागरिकों से अर्जित टैक्स को उलुल-जुलूल योजनाओं में खर्च कर वोटबैंक बटोरना व आरामतलबी के साथ पंचवर्षीय राजकाज का लाभ उठाना!
मा० मुख्यमंत्री व मंत्री महोदय से दरख्वास्त हैं कि विभाग के ठेकेदारों व अधिकारीयों के ताम-झाम से कुछ समय के लिए मोहभंग करते हुए विभाग के बुनियादी व्यवस्थाओं, समस्याओं व आवश्यकताओं से परिचित हों! बच्चों का सिर गिनकर शिक्षक उपलब्ध कराने (30 पर 1 शिक्षक) की जगह प्रत्येक कक्षा व विषयानुरूप न्यूनतम एक शिक्षक की व्यवस्था करें! जिससे न सिर्फ योग्यताओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध हों बल्कि प्रदेश की गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए एक नजीर बनें! धन्यवाद्
___आपका दुर्गेश प्रताप सिंह
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मेरे द्वारा दाखिल एक RTI के जवाब (दि० 17 मई २०१७) में, प्रदेश के बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा तैयार कर केंद्र को प्रेषित किये गये ANNUAL WORK PLAN & BUDGET-२०१७ की छायाप्रति प्राप्त हुयी! बताता चलूँ कि बुनियादी शिक्षा के कुल वार्षिक खर्च में केंद्र सरकार 65 प्रतिशत का योगदान देती हैं, जिसे प्राप्त करने हेतु राज्य को प्रत्येक वर्ष अपना वर्क प्लान MHRD को प्रेषित करना होता हैं, और केंद्र व राज्य/विभाग के सभी आला-अधिकारीयों की संयुक्त मीटिंग के उपरान्त केंद्र का अंश राज्य को प्राप्त होता हैं!
इस वित्तीय वर्ष में राज्य द्वारा स्वयं प्रेषित वर्क प्लान में प्राथमिक विद्यालयों(1 से 5 तक) के शिक्षकों के सृजित पदों (5,98,369 सृजितपद) के सापेक्ष 1,80,998 शिक्षकों की रिक्तियाँ दर्शायी हैं! एतेव यह समझ से परे हैं कि एक ओर ज्यादा से से ज्यादा केन्द्रीय फण्ड पाने के लिए शिक्षकों की लाखों रिक्तियाँ दर्शायी जाती हैं, वहीं दूसरी ओर जब योग्य शिक्षकों की पर्याप्त संख्या में नियुक्तियों की बात उठती हैं तो विभाग के आला-अधिकारीयों से लेकर मंत्री व मुख्यमंत्री जी सरप्लस शिक्षकों का अलाप छेड़ देते हैं!
इस अलाप के पीछे दो कारण ही प्रतीत होते हैं:-
1. बेसिक शिक्षा विभाग की मूलभूत वास्तुस्थिति से अनभिज्ञ व टेंडरों व ट्रान्सफर-पोस्टिंग के कमीशन तय करने में व्यस्त रहना अथवा
2. शिक्षा की गुणवत्ता के प्रति उदासीनता बरतते हुए स्वयं के ब्रांडेड प्राइवेट स्कूलों के संचालन से आम जनता का दोहन व प्राथमिक शिक्षा पर खर्च होने वाले राज्य के नागरिकों से अर्जित टैक्स को उलुल-जुलूल योजनाओं में खर्च कर वोटबैंक बटोरना व आरामतलबी के साथ पंचवर्षीय राजकाज का लाभ उठाना!
मा० मुख्यमंत्री व मंत्री महोदय से दरख्वास्त हैं कि विभाग के ठेकेदारों व अधिकारीयों के ताम-झाम से कुछ समय के लिए मोहभंग करते हुए विभाग के बुनियादी व्यवस्थाओं, समस्याओं व आवश्यकताओं से परिचित हों! बच्चों का सिर गिनकर शिक्षक उपलब्ध कराने (30 पर 1 शिक्षक) की जगह प्रत्येक कक्षा व विषयानुरूप न्यूनतम एक शिक्षक की व्यवस्था करें! जिससे न सिर्फ योग्यताओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध हों बल्कि प्रदेश की गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था सम्पूर्ण राष्ट्र के लिए एक नजीर बनें! धन्यवाद्
___आपका दुर्गेश प्रताप सिंह
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