लखनऊ. उत्तर प्रदेश सरकार ने राजकीय महाविद्यालयों के प्राचार्यों और प्रवक्ताओं के लिए नई तबादला नीति लागू कर दी है। रविवार आधी रात से इस नीति के लागू होने के बाद अब प्राचार्यों और प्रवक्ताओं को तबादलों के लिए उच्च शिक्षा निदेशालय या क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों के यहां चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
कैबिनेट से मिल चूंकि है मंजूरी
जानकारी के मुताबिक प्रत्येक अभ्यर्थी को तीन स्थानों का विकल्प उपलब्ध होगा। एक स्थान के लिए ज्यादा अभ्यर्थी होने पर निर्धारित अंकों के आधार पर तैनाती दी जाएगी। गंभीर बीमारियों, सेवानिवृत्ति में दो वर्ष शेष रहने, पति-पत्नी में किसी के सैनिक या अर्धसैनिक बल में कार्यरत होने तथा राष्ट्रीय या राज्य पुरस्कार प्राप्त होने पर मनचाही तैनाती में प्राथमिकता देने का भी प्रावधान है। प्रदेश के डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने नई तबादला नीति की पुष्टि की है। मालूम हो कि नीति को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है।
अब सब कुछ ऑनलाइन
नीति में ऑफ लाइन अथवा निदेशक उच्च शिक्षा या शासन को स्थानांतरण के लिए आवेदन करने की मनाही कर दी गई है। पूरी व्यवस्था ऑनलाइन होगी। एक बार भरा गया विकल्प अंतिम होगा। इसे स्थानांतरण नीति के प्रावधानों के तहत ही बदला जा सकेगा। प्रत्येक वर्ष 15 जुलाई तक ही तबादले कर दिए जाएंगे। इस वर्ष नीति का पहला साल होने के कारण स्थानांतरण प्रक्रिया 31 जुलाई तक पूरी कर ली जाएगी।
इन्हें मिलेगी मनचाही तैनाती
कैंसर, एड्स, किडनी फेल्योर, लीवर फेल्योर प्राचार्य व प्रवक्ता। किसी प्राचार्य या प्रवक्ता के पति या पत्नी में कोई सैनिक या अर्धसैनिक बल में कार्यरत है तथा उसकी तैनाती सीमा या नक्सल प्रभावित इलाकों में है। पति-पत्नी दोनों उसी जिले के किसी राजकीय महाविद्यालय में सेवारत हैं। राष्ट्रीय या राज्य पुरस्कार प्राप्त प्राचार्य या प्रवक्ता, जिनकी सेवानिवृत्ति में दो वर्ष से कम बचे हैं। जिलों में तीन वर्ष और मंडल में सात वर्ष वालों का तबादला। पर इस वर्ष यह समयावधि लागू नहीं होगी। सिर्फ छात्र-शिक्षक अनुपात दुरुस्त करने के लिए सरप्लस शिक्षकों वाले महाविद्यालयों से शिक्षक हटाए जाएंगे, जिन प्राचार्यों और प्रवक्ताओं की सेवानिवृत्ति में दो साल से अधिक बचे हैं, उनकी तैनाती गृह जिले में नहीं होगी।
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कैबिनेट से मिल चूंकि है मंजूरी
जानकारी के मुताबिक प्रत्येक अभ्यर्थी को तीन स्थानों का विकल्प उपलब्ध होगा। एक स्थान के लिए ज्यादा अभ्यर्थी होने पर निर्धारित अंकों के आधार पर तैनाती दी जाएगी। गंभीर बीमारियों, सेवानिवृत्ति में दो वर्ष शेष रहने, पति-पत्नी में किसी के सैनिक या अर्धसैनिक बल में कार्यरत होने तथा राष्ट्रीय या राज्य पुरस्कार प्राप्त होने पर मनचाही तैनाती में प्राथमिकता देने का भी प्रावधान है। प्रदेश के डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने नई तबादला नीति की पुष्टि की है। मालूम हो कि नीति को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है।
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इन्हें मिलेगी मनचाही तैनाती
कैंसर, एड्स, किडनी फेल्योर, लीवर फेल्योर प्राचार्य व प्रवक्ता। किसी प्राचार्य या प्रवक्ता के पति या पत्नी में कोई सैनिक या अर्धसैनिक बल में कार्यरत है तथा उसकी तैनाती सीमा या नक्सल प्रभावित इलाकों में है। पति-पत्नी दोनों उसी जिले के किसी राजकीय महाविद्यालय में सेवारत हैं। राष्ट्रीय या राज्य पुरस्कार प्राप्त प्राचार्य या प्रवक्ता, जिनकी सेवानिवृत्ति में दो वर्ष से कम बचे हैं। जिलों में तीन वर्ष और मंडल में सात वर्ष वालों का तबादला। पर इस वर्ष यह समयावधि लागू नहीं होगी। सिर्फ छात्र-शिक्षक अनुपात दुरुस्त करने के लिए सरप्लस शिक्षकों वाले महाविद्यालयों से शिक्षक हटाए जाएंगे, जिन प्राचार्यों और प्रवक्ताओं की सेवानिवृत्ति में दो साल से अधिक बचे हैं, उनकी तैनाती गृह जिले में नहीं होगी।
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