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सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर उपद्रव मचाने वाले शिक्षामित्रों को क्या सज़ा मिलेगी

निर्णय या न्याय - साथियो,विगत दिनों शिक्षामित्रों के समायोजन पर आया कोर्ट का निर्णय अप्रत्याशित और बेहद निराशाजनक रहा।
शिक्षामित्र साथियों ने विगत डेढ़ दशक से, लड़खड़ाई प्राथमिक शिक्षा की रीढ़ बनकर पूरी निष्ठा,समर्पण और विश्वास के साथ न सिर्फ गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान की वल्कि बंद परिषदीय विद्यालयों के सम्पूर्ण संचालन से लेकर गैर शैक्षणिक कार्यो जैसे जनगणना,निर्वाचन एवम् पल्स पोलियो उन्मूलन में भी सफलता के नये कीर्तिमान स्थापित किये।
डेढ़ दशक बाद शिक्षामित्र साथियो के उपकारों,अनुदानों और योगदान के बदले ऐसे प्रतिफल की कल्पना तो स्वप्न में भी नहीं थी।राज्य और केंद्र के मध्य संवैधानिक अधिकारों की अस्पष्टता, defence की लचर पैरवी और NCTE के भ्रामक counter के आलोक में माननीय न्यायालय द्वारा दिये गये निर्णय पर प्रश्न चिन्ह तो मैं लगा नहीं सकता लेकिन यदि ये निर्णय हितों की अभिरक्षा,अनुभवों की प्राथमिकता,अन्य राज़्यों की नजीरों और मानवीय संवेदनाओं के अलोक में होता तो भारत जैसे सांस्कृतिक राष्ट्र में इतनी अधिक संख्या में ज्ञानदाता गुरु आत्महत्या का वरण न कर रहे होते।

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