मुरादाबाद में इग्नू से बीएड की सुविधा वर्ष 2006 में सौ सीटों की के साथ शुरू हुई थी। इसे एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फॉर टीचर एजूकेशन) से मान्यता मिली थी। बाद में पूरे यूपी में घटाकर कुल सौ कर दीं।
जागरण संवाददाता मुरादाबाद : इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय का नाम आते ही युवाओं का शिक्षित बनने का सपना साकार होने लगता है। कामकाजी हो या फिर घरेलू व्यवस्तता, यहां से फॉर्म भरने के बाद पढ़ाई में कोई परेशानी नहीं होती है, लेकिन बीएड में प्रवेश के लिए बीटीसी की अनिवार्यता के कारण शिक्षक बनने की चाह रखने वाले युवाओं को निराशा का सामना करना पड़ रहा है। 1 अधिकारियों की मानें तो इसकी शिकायत विश्वविद्यालय में कर दी गई है। दो वर्षीय कोर्स में प्रवेश लेने को छात्रों को परीक्षा पास करनी पड़ती है। इसके बाद काउंसिलिंग लखनऊ या फिर देहरादून में की जाती है। तीन वर्ष पहले बीटीसी पास को ही प्रवेश के लिए मान्य कर दिया है।
’>>इग्नू में प्रवेश प्रक्रिया के कठिन नियम से युवाओं को परेशानी
’>>मुरादाबाद केंद्र पर वर्ष 2015 से आवंटित नहीं किए जा रहे छात्र
लखनऊ विवि द्वारा बीएड प्रवेश में इस तरह की शर्त नहीं रखी गई थी। यहां पर स्नातक करने वाले छात्र ही मान्य थे। मैं आंगनबाड़ी सहायिका के तौर पर कार्य कर रही हूं। इसलिए संस्थागत छात्र के रूप में मैं फॉर्म नहीं भर पाई। इग्नू में प्रवेश के लिए बीटीसी होना जरूरी बता रहे हैं। जब मैं बीटीसी कर लुंगी तो शिक्षक की नौकरी तो वैसे भी मिल जाएगी। फिर मैं यहां से बीएड क्यों करूं?
अनुराधा, छज्जूपुरा
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इग्नू में बीएड की सीटें घटाई जा रही हैं। वर्ष 2015 से यहां पर छात्र नहीं आवंटित नहीं हुए। युवाओं का बीटीसी कर बीएड न करने की कहना सही है। यदि एनसीटीई नियमों में बदलाव करे तो कोर्स का महत्व रहेगा। हमारे यहां दस वर्ष तक कोर्स संचालित हुआ है। सभी मानक पूरे हैं। मौका मिलते ही दोबारा संचालन किया जाएगा।
डॉ. संजीव राजन, केंद्र अध्यक्ष, इग्नू मुरादाबाद
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जागरण संवाददाता मुरादाबाद : इंदिरा गांधी मुक्त विश्वविद्यालय का नाम आते ही युवाओं का शिक्षित बनने का सपना साकार होने लगता है। कामकाजी हो या फिर घरेलू व्यवस्तता, यहां से फॉर्म भरने के बाद पढ़ाई में कोई परेशानी नहीं होती है, लेकिन बीएड में प्रवेश के लिए बीटीसी की अनिवार्यता के कारण शिक्षक बनने की चाह रखने वाले युवाओं को निराशा का सामना करना पड़ रहा है। 1 अधिकारियों की मानें तो इसकी शिकायत विश्वविद्यालय में कर दी गई है। दो वर्षीय कोर्स में प्रवेश लेने को छात्रों को परीक्षा पास करनी पड़ती है। इसके बाद काउंसिलिंग लखनऊ या फिर देहरादून में की जाती है। तीन वर्ष पहले बीटीसी पास को ही प्रवेश के लिए मान्य कर दिया है।
’>>इग्नू में प्रवेश प्रक्रिया के कठिन नियम से युवाओं को परेशानी
’>>मुरादाबाद केंद्र पर वर्ष 2015 से आवंटित नहीं किए जा रहे छात्र
लखनऊ विवि द्वारा बीएड प्रवेश में इस तरह की शर्त नहीं रखी गई थी। यहां पर स्नातक करने वाले छात्र ही मान्य थे। मैं आंगनबाड़ी सहायिका के तौर पर कार्य कर रही हूं। इसलिए संस्थागत छात्र के रूप में मैं फॉर्म नहीं भर पाई। इग्नू में प्रवेश के लिए बीटीसी होना जरूरी बता रहे हैं। जब मैं बीटीसी कर लुंगी तो शिक्षक की नौकरी तो वैसे भी मिल जाएगी। फिर मैं यहां से बीएड क्यों करूं?
अनुराधा, छज्जूपुरा
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इग्नू में बीएड की सीटें घटाई जा रही हैं। वर्ष 2015 से यहां पर छात्र नहीं आवंटित नहीं हुए। युवाओं का बीटीसी कर बीएड न करने की कहना सही है। यदि एनसीटीई नियमों में बदलाव करे तो कोर्स का महत्व रहेगा। हमारे यहां दस वर्ष तक कोर्स संचालित हुआ है। सभी मानक पूरे हैं। मौका मिलते ही दोबारा संचालन किया जाएगा।
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