शिक्षामित्रों को मानदेय पर यूपी सरकार का दो टूक जवाब, 10 हजार रुपये से ज्यादा नहीं देंगे
ब्यूरो/अमर उजाला, लखनऊ कानून बनाकर समायोजन की मांग कर रहे शिक्षामित्रों को यूपी सरकार की तरफ से निराशा हाथ लगी है। सरकार ने उन्हें 10 हजार रुपये से ज्यादा देने से इनकार कर दिया है।
वहीं, वार्ता के बाद उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि शासन का प्रस्ताव हमें मंजूर नहीं है। 13 अगस्त को वे प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक करके आंदोलन की रणनीति तैयार करेंगे।
वहीं, संयुक्त सक्रिय शिक्षक शिक्षामित्र समिति के प्रदेश अध्यक्ष दीनानाथ दीक्षित और संरक्षक दुष्यंत चौहान ने कहा कि सरकार कानून बनाकर शिक्षामित्रों को राहत दे सकती है, लेकिन उस पर विचार ही नहीं किया जा रहा है।
इसलिए 17 अगस्त को प्रदेश के डेढ़ लाख से ज्यादा शिक्षामित्र राजधानी में प्रदर्शन करेंगे। शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला ने कहा कि सरकार के इस फॉर्मूले से 50 फीसदी शिक्षामित्र भी शिक्षक नहीं बन पाएंगे।
*शिक्षक भर्ती में शिक्षामित्रों को मिलेगा भारांक*
राज्य सरकार ने नवंबर में बेसिक शिक्षकों की भर्तियां निकालने का फैसला किया है। इन भर्तियों में शिक्षामित्रों को अधिकतम 25 नंबर का भारांक मिलेगा। इसके लिए शिक्षक भर्ती नियमावली में संशोधन किया जाएगा। टीईटी के मुद्दे पर शिक्षामित्रों को कोई रियायत नहीं दी जाएगी। उन्हें टीईटी पास करना ही होगा।
वहीं, शासन ने शिक्षामित्रों से साफ कह दिया कि समायोजन रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राज्य सरकार पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगी।
अपर मुख्य सचिव शिक्षा आरपी सिंह ने शिक्षामित्र संगठनों से गुरुवार को हुई वार्ता के दौरान इन फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अक्तूबर के अंतिम सप्ताह या नवंबर के पहले सप्ताह में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) कराई जाएगी। नवंबर के अंतिम सप्ताह तक शिक्षकों की भर्तियों के लिए विज्ञापन निकाला जाएगा।
हालांकि, पदों की संख्या के बारे में कोई खुलासा नहीं किया गया। भर्तियों में शिक्षामित्रों को प्रति वर्ष ढाई नंबर के हिसाब से अधिकतम 25 नंबर का भारांक मिलेगा।
*सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था समायोजन*
बीते 25 जुलाई को अच्छे शिक्षको की नितांत आवश्यकता बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बतौर सहायक शिक्षक शिक्षामित्रों के समायोजन को निरस्त करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया था।
हालांकि शीर्ष अदालत ने शिक्षामित्रों को राहत देते हुए कहा था कि अगर ये शिक्षामित्र टीईटी (सहायक शिक्षक के लिए जरूरी अर्हता) पास हैं या भविष्य में पास कर लेते हैं तो सहायक शिक्षकों के लिए होने वाली दो नियुक्ति प्रक्रिया में उन पर विचार किया जाना चाहिए। साथ ही यह भी कहा कि राज्य सरकार चाहे तो समायोजन के पूर्व की स्थिति में शिक्षामित्रों की सेवा जारी रख सकती है।
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश को तो सही ठहराया लेकिन कहा कि सहायक शिक्षकों के तौर पर समायोजित किए गए शिक्षामित्रों को रियायत मिलनी चाहिए।
पीठ ने अपने फैसले में कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सहायक शिक्षकों की होने वाली दो लगातार नियुक्ति प्रक्रियाओं में टीईटी पास शिक्षामित्रों पर विचार किया चाहिए। संबंधित अथॉरिटी चाहे तो इसमें शिक्षामित्रों को आयुसीमा में छूट दे सकती है और उनके तजुर्बे को वेटेज दे सकती है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को उत्तर प्रदेश के 1.78 लाख शिक्षामित्रों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 सिंतबर 2015 को इन शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन रद्द कर दिया था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
ब्यूरो/अमर उजाला, लखनऊ कानून बनाकर समायोजन की मांग कर रहे शिक्षामित्रों को यूपी सरकार की तरफ से निराशा हाथ लगी है। सरकार ने उन्हें 10 हजार रुपये से ज्यादा देने से इनकार कर दिया है।
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वहीं, वार्ता के बाद उत्तर प्रदेश दूरस्थ बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि शासन का प्रस्ताव हमें मंजूर नहीं है। 13 अगस्त को वे प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक करके आंदोलन की रणनीति तैयार करेंगे।
वहीं, संयुक्त सक्रिय शिक्षक शिक्षामित्र समिति के प्रदेश अध्यक्ष दीनानाथ दीक्षित और संरक्षक दुष्यंत चौहान ने कहा कि सरकार कानून बनाकर शिक्षामित्रों को राहत दे सकती है, लेकिन उस पर विचार ही नहीं किया जा रहा है।
इसलिए 17 अगस्त को प्रदेश के डेढ़ लाख से ज्यादा शिक्षामित्र राजधानी में प्रदर्शन करेंगे। शिक्षामित्र संघ के प्रदेश अध्यक्ष गाजी इमाम आला ने कहा कि सरकार के इस फॉर्मूले से 50 फीसदी शिक्षामित्र भी शिक्षक नहीं बन पाएंगे।
*शिक्षक भर्ती में शिक्षामित्रों को मिलेगा भारांक*
राज्य सरकार ने नवंबर में बेसिक शिक्षकों की भर्तियां निकालने का फैसला किया है। इन भर्तियों में शिक्षामित्रों को अधिकतम 25 नंबर का भारांक मिलेगा। इसके लिए शिक्षक भर्ती नियमावली में संशोधन किया जाएगा। टीईटी के मुद्दे पर शिक्षामित्रों को कोई रियायत नहीं दी जाएगी। उन्हें टीईटी पास करना ही होगा।
वहीं, शासन ने शिक्षामित्रों से साफ कह दिया कि समायोजन रद्द करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर राज्य सरकार पुनर्विचार याचिका दायर नहीं करेगी।
अपर मुख्य सचिव शिक्षा आरपी सिंह ने शिक्षामित्र संगठनों से गुरुवार को हुई वार्ता के दौरान इन फैसलों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि अक्तूबर के अंतिम सप्ताह या नवंबर के पहले सप्ताह में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) कराई जाएगी। नवंबर के अंतिम सप्ताह तक शिक्षकों की भर्तियों के लिए विज्ञापन निकाला जाएगा।
हालांकि, पदों की संख्या के बारे में कोई खुलासा नहीं किया गया। भर्तियों में शिक्षामित्रों को प्रति वर्ष ढाई नंबर के हिसाब से अधिकतम 25 नंबर का भारांक मिलेगा।
*सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था समायोजन*
बीते 25 जुलाई को अच्छे शिक्षको की नितांत आवश्यकता बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बतौर सहायक शिक्षक शिक्षामित्रों के समायोजन को निरस्त करने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को सही ठहराया था।
हालांकि शीर्ष अदालत ने शिक्षामित्रों को राहत देते हुए कहा था कि अगर ये शिक्षामित्र टीईटी (सहायक शिक्षक के लिए जरूरी अर्हता) पास हैं या भविष्य में पास कर लेते हैं तो सहायक शिक्षकों के लिए होने वाली दो नियुक्ति प्रक्रिया में उन पर विचार किया जाना चाहिए। साथ ही यह भी कहा कि राज्य सरकार चाहे तो समायोजन के पूर्व की स्थिति में शिक्षामित्रों की सेवा जारी रख सकती है।
न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने हाईकोर्ट के आदेश को तो सही ठहराया लेकिन कहा कि सहायक शिक्षकों के तौर पर समायोजित किए गए शिक्षामित्रों को रियायत मिलनी चाहिए।
पीठ ने अपने फैसले में कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए सहायक शिक्षकों की होने वाली दो लगातार नियुक्ति प्रक्रियाओं में टीईटी पास शिक्षामित्रों पर विचार किया चाहिए। संबंधित अथॉरिटी चाहे तो इसमें शिक्षामित्रों को आयुसीमा में छूट दे सकती है और उनके तजुर्बे को वेटेज दे सकती है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को उत्तर प्रदेश के 1.78 लाख शिक्षामित्रों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 सिंतबर 2015 को इन शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन रद्द कर दिया था। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
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