टीईटी 2011
समया-अवधि बढ़ाने हेतु जैसा कि कुछ लोग बोल रहे हैं 7 वर्ष करा देंगे या आजीवन करा देंगे आदि आदि
कोई कितना भी होमवर्क या हॉलिडे होमवर्क कर ले कम से कम मा० उच्च न्यायालय से नहीं हो पाएगा
या
इस बात को ऐसे भी समझ सकते हैं कि मा० सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के पश्चात किसी भी वाद शिक्षामित्र या शिक्षकभर्ती को लेकर (भारांक के अतिरिक्त जिस पर मा० सर्वोच्च न्यायालय से हुए आदेश के पश्चात विधि-सम्मत पालन हेतु बहस बनती है) मा० उच्च न्यायालय कुछ नहीं कर सकता है अगर कर भी दिया तो विधायिका के समक्ष मा० सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय भारी पड़ेगा |
हाँ मा० सर्वोच्च न्यायालय में ये वाद अगर पूर्व की समस्त स्थिति-परिस्थिति दिखाकर अनुच्छेद 32 के तहत नाकि मॉडिफिकेशन , पुनर्विचार याचिका आदि के साथ रखा जाए तो 50 प्रतिशत का चांस बन सकता है लेकिन उसके लिए हो रही देरी कहीं न कहीं आपका चांस खत्म कर रही है |
बाकी आपके नए नेता या वो नेता जो चयनित/अचयनित की खाई पाटे थे आज पुनः याची बना रहे हैं और जैसा कि कल अनुज दुर्गेश ने कहा था वो सही है कि "ये सब रोममंच मात्र है| "
बताना अति-आवश्यक है और मेरी एफबी वाल पर देख भी सकते हैं कुछ दिन पहले की गई पोस्ट जिसमे खरे साहब टीईटी 2011 की वैधता बढ़ाने के लिए खड़े हुए थे लेकिन एकल पीठ मा० उच्च न्यायालय में मा० न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल जी की बेंच से जवाब वही मिला है जो इस पोस्ट में बताया हूँ |
अंत में बस इतना ही कहूंगा नेताओं के लिए लगे रहिये ---> जोरों से |
धन्यवाद
हर हर महादेव 🚩🚩🚩🚩🚩
📝 Himanshu Rana
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ख़बरें अब तक - 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती - Today's Headlines
समया-अवधि बढ़ाने हेतु जैसा कि कुछ लोग बोल रहे हैं 7 वर्ष करा देंगे या आजीवन करा देंगे आदि आदि
कोई कितना भी होमवर्क या हॉलिडे होमवर्क कर ले कम से कम मा० उच्च न्यायालय से नहीं हो पाएगा
या
इस बात को ऐसे भी समझ सकते हैं कि मा० सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के पश्चात किसी भी वाद शिक्षामित्र या शिक्षकभर्ती को लेकर (भारांक के अतिरिक्त जिस पर मा० सर्वोच्च न्यायालय से हुए आदेश के पश्चात विधि-सम्मत पालन हेतु बहस बनती है) मा० उच्च न्यायालय कुछ नहीं कर सकता है अगर कर भी दिया तो विधायिका के समक्ष मा० सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय भारी पड़ेगा |
हाँ मा० सर्वोच्च न्यायालय में ये वाद अगर पूर्व की समस्त स्थिति-परिस्थिति दिखाकर अनुच्छेद 32 के तहत नाकि मॉडिफिकेशन , पुनर्विचार याचिका आदि के साथ रखा जाए तो 50 प्रतिशत का चांस बन सकता है लेकिन उसके लिए हो रही देरी कहीं न कहीं आपका चांस खत्म कर रही है |
बाकी आपके नए नेता या वो नेता जो चयनित/अचयनित की खाई पाटे थे आज पुनः याची बना रहे हैं और जैसा कि कल अनुज दुर्गेश ने कहा था वो सही है कि "ये सब रोममंच मात्र है| "
बताना अति-आवश्यक है और मेरी एफबी वाल पर देख भी सकते हैं कुछ दिन पहले की गई पोस्ट जिसमे खरे साहब टीईटी 2011 की वैधता बढ़ाने के लिए खड़े हुए थे लेकिन एकल पीठ मा० उच्च न्यायालय में मा० न्यायाधीश सुधीर अग्रवाल जी की बेंच से जवाब वही मिला है जो इस पोस्ट में बताया हूँ |
अंत में बस इतना ही कहूंगा नेताओं के लिए लगे रहिये ---> जोरों से |
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