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क्योंकि शिक्षामित्र अनजान और मजबूर है...

*क्योंकि शिक्षामित्र अनजान और मजबूर है...*
✔ शिक्षामित्रों का नेतृत्त्व उनके अनभिज्ञ और मजबूर होने का फायदा उठाता रहा है और उठा रहा है। वो चाहे शासन से वार्ता का मामला हो या कोर्ट की लड़ाई।
सभी जगह शिक्षामित्रों को बेवकूफ बनाया गया और वे बनते रहे। हाल ही में शिक्षामित्रों के नेतृत्त्व ने कोर्ट के नाम पर पैसा वसूली का कार्यक्रम शुरू किया है और न्यूनतम लक्ष्य दस लाख रुपये रखा है। ये धन रिविउ और मेंशनिंग के लिए सीनियर लॉयर खड़ा करने के नाम पर वसूल किया जा रहा है।
*कोर्ट के बारे में थोड़ा सा भी ज्ञान रखने वाले लोग जानते हैं कि रिविउ सभी की ओर से फ़ाइल किये जा चुके हैं। अब रिविउ पर सिर्फ डेट लगेगी। रिविउ की न तो मेंशनिंग होती है और न ही उसपर कोई वकील ही खड़ा होता है। रिविउ की फ़ाइल चैम्बर में देखी जाती है और ऑर्डर पास कर दिया जाता है। रिविउ पर आर्डर जारी हो जाने के बाद क्यूरेटिव पिटीशन फ़ाइल की जाती है जिसकी पूर्ण प्रक्रिया रिविउ के समान होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि उसकी डेट लगने पर कोई भी सीनियर वकील ओपन कोर्ट में सुनवाई की अर्जी दी सकता है जिसे कोर्ट यदि मंज़ूर कर ले तो ही बहस के चांस होते हैं। यहां गौर करने वाली बात ये है कि अभी तक तो किसी भी रेवियू का नंबर तक जारी नही हुआ है।*
शिक्षमित्र नेतृत्त्व को पैसा चाहिए और मजबूर शिक्षमित्र बेवकूफ बनने को तैयार है इसलिए ये खेल चल रहा है और चलता रहेगा। जबतक के शिक्षमित्र नामक पद ही समाप्त न हो जाये।

आप सभी मित्रों से अनुरोध है कि आप इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करे कि आम शिक्षामित्र तक पहुंच सके।
☔ सच्चाई जानने का सभी को हक़ है ☔
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संतोष कुशवाहा, कुशीनगर!
💥 नॉनटेट शिक्षामित्र 💥
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