जागरण संवाददाता, एटा: बीएड की फर्जी डिग्रियों के सहारे नौकरी पाने
वालों का जिले में अब तक शतक लग चुका है। अभी दूसरे चरण की चल रही जांच में
डेढ़ दर्जन अन्य शिक्षकों की बीएड डिग्रियों की संदिग्धता को लेकर विभाग
माथापच्ची कर रहा है।
पूरे प्रदेश में ही बीएड की फर्जी डिग्रियों को लेकर चल रही जांच में भले ही जनपद पिछड़ गया हो, लेकिन अभी फर्जी डिग्रीधारी मिलते जा रहे हैं। प्रथम सूची के बाद 9 और शिक्षक चिन्हित हुए हैं। हालांकि विभाग द्वारा अभी तक फर्जी डिग्रीधारियों की सूची को सार्वजनिक करने के बजाए चल रही कार्रवाई को गोपनीय रखा है, लेकिन बताया जा रहा है कि इसी सप्ताह जांच पूरी होने तथा नोटिसों का जवाब प्राप्त होते ही फर्जी डिग्रीधारियों के विरुद्ध पुलिस जांच शुरू करा दी जाएगी। एक पखवाड़े से चल रही जांच को लेकर बेसिक शिक्षा महकमे में खलबली मची हुई है। भले ही विभाग ने बिना सूची जारी किए नोटिस भेजे हों, लेकिन ब्लाक स्तर पर नोटिसों के जरिए फर्जी डिग्रीधारियों को लेकर अब चर्चाएं बढ़ती जा रही हैं। विश्वविद्यालय से प्राप्त हुई सूची लंबी होने के कारण जिले में नियुक्त शिक्षकों की डिग्रियों की जांच में अभी भी डेढ़ दर्जन और शिक्षकों की डिग्रियां फर्जी होने की स्थिति पर विभाग माथापच्ची कर रहा है।
अभी तक फर्जी डिग्रियों के सामने आए मामलों में सर्वाधिक तीन दर्जन शिक्षक अलीगंज तहसील क्षेत्र के हैं। सभी ब्लॉकों में नवंबर माह का वेतन जारी होने के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ऐसे में कोई फर्जी डिग्रीधारी आगामी वेतन न पा सकें, इसके लिए सभी खंड शिक्षाधिकारियों को सचेत करते हुए नोटिस जारी हो चुके शिक्षकों का वेतन रोकने को निर्देश दे दिए गए हैं। नोटिस मिलने के बाद संबंधित शिक्षक भी अपना जवाब विभाग को देने लगे हैं। बीएसए एसके तिवारी का कहना है कि सही फर्जी डिग्रीधारियों का चिन्हांकन हो इसके लिए जल्दबाजी नहीं की जा रही। जल्दी ही पूर्ण व स्पष्ट सूची जारी की जाएगी।
कॉलेजों को दोष दे रहे दर्जनों चिन्हित
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विभाग को चिन्हित किए गए कुछ फर्जी डिग्रीधारियों ने अपना जवाब भी प्रस्तुत कर दिया है। दर्जनों ने बताया है कि उन्हें बाकायदा विश्वविद्यालय से प्रवेशपत्र मिले और उन्होंने परीक्षा देकर डिग्री हासिल की। इसके बावजूद विश्वविद्यालय की सूची में उनके नाम और रोल नंबर नहीं हैं। इसमें उनका दोष नहीं। कॉलेज और विश्वविद्यालय की मिलीभगत की सजा उन्हें क्यों दी जा रही है। कुछ चिन्हित शिक्षक इसी बात को लेकर न्यायालय जाने की बात भी कर रहे हैं।
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पूरे प्रदेश में ही बीएड की फर्जी डिग्रियों को लेकर चल रही जांच में भले ही जनपद पिछड़ गया हो, लेकिन अभी फर्जी डिग्रीधारी मिलते जा रहे हैं। प्रथम सूची के बाद 9 और शिक्षक चिन्हित हुए हैं। हालांकि विभाग द्वारा अभी तक फर्जी डिग्रीधारियों की सूची को सार्वजनिक करने के बजाए चल रही कार्रवाई को गोपनीय रखा है, लेकिन बताया जा रहा है कि इसी सप्ताह जांच पूरी होने तथा नोटिसों का जवाब प्राप्त होते ही फर्जी डिग्रीधारियों के विरुद्ध पुलिस जांच शुरू करा दी जाएगी। एक पखवाड़े से चल रही जांच को लेकर बेसिक शिक्षा महकमे में खलबली मची हुई है। भले ही विभाग ने बिना सूची जारी किए नोटिस भेजे हों, लेकिन ब्लाक स्तर पर नोटिसों के जरिए फर्जी डिग्रीधारियों को लेकर अब चर्चाएं बढ़ती जा रही हैं। विश्वविद्यालय से प्राप्त हुई सूची लंबी होने के कारण जिले में नियुक्त शिक्षकों की डिग्रियों की जांच में अभी भी डेढ़ दर्जन और शिक्षकों की डिग्रियां फर्जी होने की स्थिति पर विभाग माथापच्ची कर रहा है।
अभी तक फर्जी डिग्रियों के सामने आए मामलों में सर्वाधिक तीन दर्जन शिक्षक अलीगंज तहसील क्षेत्र के हैं। सभी ब्लॉकों में नवंबर माह का वेतन जारी होने के लिए प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। ऐसे में कोई फर्जी डिग्रीधारी आगामी वेतन न पा सकें, इसके लिए सभी खंड शिक्षाधिकारियों को सचेत करते हुए नोटिस जारी हो चुके शिक्षकों का वेतन रोकने को निर्देश दे दिए गए हैं। नोटिस मिलने के बाद संबंधित शिक्षक भी अपना जवाब विभाग को देने लगे हैं। बीएसए एसके तिवारी का कहना है कि सही फर्जी डिग्रीधारियों का चिन्हांकन हो इसके लिए जल्दबाजी नहीं की जा रही। जल्दी ही पूर्ण व स्पष्ट सूची जारी की जाएगी।
कॉलेजों को दोष दे रहे दर्जनों चिन्हित
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विभाग को चिन्हित किए गए कुछ फर्जी डिग्रीधारियों ने अपना जवाब भी प्रस्तुत कर दिया है। दर्जनों ने बताया है कि उन्हें बाकायदा विश्वविद्यालय से प्रवेशपत्र मिले और उन्होंने परीक्षा देकर डिग्री हासिल की। इसके बावजूद विश्वविद्यालय की सूची में उनके नाम और रोल नंबर नहीं हैं। इसमें उनका दोष नहीं। कॉलेज और विश्वविद्यालय की मिलीभगत की सजा उन्हें क्यों दी जा रही है। कुछ चिन्हित शिक्षक इसी बात को लेकर न्यायालय जाने की बात भी कर रहे हैं।
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