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प्रदेश के जूनियर हाईस्कूल शिक्षकों के लिए ब्रिज कोर्स जरूरी नहीं, अध्यापकों के बारे में सरकार को 8 हफ्ते में निर्णय लेने का निर्देश

इलाहाबाद : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के जूनियर हाईस्कूलों में 2008 से पहले नियुक्त गैर प्रशिक्षित अध्यापकों के प्रशिक्षण के संबंध में केंद्र और राज्य सरकारों को आठ हफ्ते में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।
राज्य सरकार ने आदेश जारी कर कहा है कि 31 मार्च, 2018 तक अप्रशिक्षित अध्यापकों को सेवा से हटा दिया जाएगा। राज्य सरकार के इस आदेश को उप्र बेसिक शिक्षक संघ ने जनहित याचिका दाखिल कर चुनौती दी थी। कोर्ट ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयीय शिक्षा संस्थान एनआइओएस से जानकारी मांगी है।1मुख्य न्यायाधीश डीबी भोंसले तथा न्यायमूर्ति एमके गुप्ता की खंडपीठ के समक्ष भारत सरकार ने हलफनामा दाखिल कर बताया कि बीएड डिग्री धारक कक्षा एक से पांच तक के अध्यापकों को ही छह माह के ब्रिज कोर्स के जरिए दूरस्थ शिक्षा के तहत प्राथमिक शिक्षा का प्रशिक्षण दिया जाएगा।

यह प्रशिक्षण लेना कक्षा छह से आठ तक के बीएड डिग्री धारक अध्यापकों के लिए जरूरी नहीं है। उप्र बेसिक शिक्षक संघ से अनुरोध किया गया है कि अप्रैल, 2018 में होने वाले प्राथमिक शिक्षा ब्रिज कोर्स में आवेदन देने के लिए अध्यापकों को प्रेरित करें।

भारत सरकार के सहायक सालीसिटर जनरल ज्ञान प्रकाश और भारत सरकार के अधिवक्ता राजेश त्रिपाठी ने कोर्ट को बताया कि जूनियर हाईस्कूल के बीएड डिग्री धारकों को ब्रिज कोर्स करना जरूरी नहीं है। प्राइमरी स्कूल टीचरों के लिए ब्रिज कोर्स की योजना के तहत अप्रैल 2018 में परीक्षा आयोजित की जा रही है। इस कथन के बाद कोर्ट ने कहा कि याचिका अर्थहीन हो गई है और राज्य सरकार निर्णय लेकर याची संघ को सूचित करे। यदि याची निर्णय से संतुष्ट न हो तो वह विधिक कार्यवाही कर सकता है।1’>>भारत सरकार ने हलफनामा दाखिल कर कोर्ट में दी जानकारी1’ अध्यापकों के बारे में सरकार को 8 हफ्ते में निर्णय लेने का निर्देश

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