जांच के बाद विश्वविद्यालय द्वारा सभी को फर्जी घोषित कर दिया गया। इस पर बीएसए ने इन शिक्षकों को नोटिस जारी कर 14 दिसंबर 2017 को स्पष्टीकरण के लिए बुलाया। लेकिन कोई शिक्षक उपस्थित नहीं हुआ।
नोटिस में स्पष्ट निर्देश था कि जो उपस्थित होकर स्पष्टीकरण नहीं देगा उसके बारे में यह मान लिया जाएगा कि उसे अपने अंकपत्र फर्जी होने पर कुछ नहीं कहना है।
इसी आधार पर बीएसए ने इन 13 सहायक अध्यापकों की नियुक्ति को निरस्त करते हुए इनके द्वारा नियुक्ति से बाद से आहरित धन की रिकवरी का आदेश जारी कर दिया।
बीएसए देवेंद्र पांडेय ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया में 13 शिक्षकों ने फर्जी अंकपत्रों का प्रयोग किया था। विश्वविद्यालय के सत्यापन में इसका खुलासा होने पर शिक्षकों को कई बार नोटिस जारी किया गया पर किसी ने अपना पक्ष नहीं रखा। इसके बाद इनकी सेवा समाप्ति और रिकवरी के निर्देश जारी कर दिए गए।