मथुरा: बीएसए कार्यालय में शिक्षक भर्ती घोटाले की कड़ियां 2015 की भर्ती
तक जुड़ रही हैं। बीते तीन साल में ही भर्ती के तीन बड़े घोटाले अब तक सामने
आ चुके हैं। इनमें से केवल एक घोटाले में ही एसटीएफ की सख्ती सामने आई है।
दो अन्य घोटालों में अभी जांच चल रही है।
इस सारे खेल की शुरुआत 2015 में
गोवर्धन ब्लॉक में तैनात बाबू के बीएसए कार्यालय का पटल सहायक बनने के बाद
हुई।
बीएसए कार्यालय में बीते कुछ सालों से शिक्षक भर्ती के नाम पर जो कुछ
किया गया वह महज घोटाला नहीं महाघोटाला है। बीते तीन साल में तीन घोटाले
सामने आए हैं। इनमें 2016 में हुई 15 हजार सहायक अध्यापक पदों की नियुक्ति,
2016-17 में हुई 29,334 विज्ञान-गणित शिक्षकों की भर्ती और 2018 में हुई
12,460 शिक्षकों की भर्ती के मामले हैं। इन सभी मामलों में बड़े पैमाने पर
धांधली हुई। इन घोटालों पर 2017 में सबसे पहले शिकायतों का सिलसिला शुरू
हुआ। पूर्व पालिकाध्यक्ष रवींद्र पांडे और विनोद चौधरी ने इस मामले में
शासन से शिकायत की। इसमें स्थानीय विधायक और भाजपा नेताओं का सहारा भी
लिया। इस मामले को जागरण ने प्रमुखता से उठाया। इस पर सबसे पहले 12,460
शिक्षक भर्ती के मामले में जिला चयन समिति ने जांच शुरू की। इसमें फर्जी
दस्तावेजों से नौकरी पाने वाले 34 मामले सामने आए। इस पर मुकदमा दर्ज कराते
हुए पटल सहायक महेश शर्मा को निलंबित कर दिया गया। अब इस मामले की जांच
डायरेक्टर बेसिक शिक्षा सर्वेंद्र विक्रम बहादुर ¨सह के नेतृत्व में तीन
सदस्यीय कमेटी कर रही है। 29,334 शिक्षक भर्ती फर्जीवाड़ा:
अभी 12,460 शिक्षकों के चयन में तहरीर दी ही गई थी कि इस बीच ही 29,334
विज्ञान व गणित के शिक्षकों की भर्ती के मामले में जांच एसटीएफ को सौंप दी
है। इससे बीएसए कार्यालय में खलबली मची हुई है। एसटीएफ ने अब तक की सबसे
बड़ी कार्रवाई करते हुए 16 लोगों के खिलाफ मुकदमा लिखा और इस मामले में अब
तक नौ शिक्षक, एक बाबू, दो कंप्यूटर ऑपरेटर और चार मास्टरमाइंड शामिल हैं।
इनमें से छह आरोपित निलंबित किए जा चुके हैं। 15 हजार शिक्षक भर्ती मामला
तीसरा बड़ा मामला 2016 में हुई 15 हजार सहायक अध्यापक की भर्ती का है।
इसमें भी कूटरचित दस्तावेजों से न केवल नौकरी दी गईं, बल्कि लक्ष्य से अधिक
शिक्षकों को नियुक्ति पत्र थमा दिए गए। इस मामले में तत्कालीन बीएसए मनोज
कुमार मिश्रा ने 19 शिक्षकों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई गई। कार्रवाई के
लिए एसएसपी मथुरा को पत्र लिखा, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। यही नहीं
बीएसए संजीव कुमार ¨सह के समय में 19 में से दो शिक्षकों का वेतन भी निर्गत
कर दिया गया। इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई आगे नहीं बढ़ी है। -ये हैं
व्हिसलर ब्लोअर--
--रवींद्र पांडे--
पूर्व पालिकाध्यक्ष रवींद्र पांडे छात्र जीवन में एबीवीपी से जुड़े रहे।
इन्होंने ही विनोद चौधरी के साथ मिलकर सबसे पहले तीनों मामलों को उठाना
शुरू किया। मुख्यमंत्री तक इस मामले की शिकायत पहुंचाई गई। रवींद्र बताते
हैं कि उन्हें घोटाले की भनक पहले ही थी, लेकिन भाजपा सरकार आने पर उनमें
शिकायत करने का साहस जागा। --विनोद चौधरी-- बालाजीपूरम निवासी युवा भाजपा
नेता विनोद चौधरी ने तीन सालों में हुई भर्तियों में हुए फर्जीवाड़े की जांच
की मांग की। शासन में शिकायतों का सिलसिला जुलाई,2017 से शुरू किया था।
विनोद का कहना है कार्रवाई के लिए लंबा इंतजार करना पड़ा। --पूरन प्रकाश--
बलदेव क्षेत्र के विधायक पूरन प्रकाश ने शिक्षक भर्ती घोटाले की
जानकारी होने पर पिछले माह मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर उच्च स्तरीय जांच की
मांग करते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। शिकायत पर
संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री के विशेष सचिव डॉ. आदर्श ¨सह ने अपर मुख्य
सचिव बेसिक शिक्षा को कार्रवाई करने के आदेश दिए। ---प्रणत पाल---
-पूर्व विधायक प्रणतपाल ¨सह ने भी भर्ती घोटाले को मुख्यमंत्री से
एसआइटी गठन कर जांच की मांग की। शिकायत के साथ फर्जीवाड़े से जुड़े सैंपल
नमूने भी संलग्न किए थे। फर्जीवाड़े की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए
मुख्यमंत्री के सचिव मृत्युंजय कुमार नारायण ने भी अपर मुख्य सचिव बेसिक
शिक्षा को प्रभावी कार्रवाई के निर्देश दिए।
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