आशंका है कि अलीगढ़, आगरा, हरदोई, आजमगढ़ समेत दूसरे जिलों में भी इस तरह की गड़बड़ियां हुई हैं। एसटीएफ ने मथुरा के तत्कालीन बीएसए संजीव सिंह पर शिकंजा कस लिया है। संजीव सिंह एसटीएफ की कस्टडी में हैं। उनसे बुधवार को दिन भर एसटीएफ मुख्यालय में पूछताछ की गई। पूछताछ के बाद जांच के लिए उन्हें मथुरा ले जाया गया।
अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा आरपी सिंह का कहना है कि उन्हें एसटीएफ की जांच रिपोर्ट का इंतजार है। इसके साथ ही मथुरा के अलावा बाकी जिलों में हुई भर्तियों की जांच भी करवाई जाएगी ताकि यह पता चल सके कि कहीं और भी तो इस तरह से गड़बड़ियां तो नहीं हुई हैं। आईजी एसटीएफ अमिताभ यश ने बताया कि मथुरा के तत्कालीन बीएसए संजीव सिंह से पूछताछ की जा रही है। उन्हें जांच के लिए टीम के साथ मथुरा भेजा गया है। उनकी और जिले के अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में बीएसए दफ्तर के सील रिकॉर्ड रूम को खोलकर दस्तावेजों की जांच करवाई जाएगी। जांच में जो भी गड़बड़ी पाई जाएंगी उनके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। अगर बीएसए की भूमिका पाई गई तो उनके खिलाफ भी ऐक्शन होगा।
बीएसए अपने नीचेवालों पर लगा रहे आरोप
तत्कालीन बीएसए संजीव सिंह वर्तमान में लखनऊ में एससीईआरटी में तैनात हैं। सूत्रों के मुताबिक संजीव सिंह ने पूछताछ में बताया कि फर्जी नियुक्तियों के बारे में उनके नीचे के अधिकारियों और बाबू ने गलती की है। ज्यादा शिक्षकों की सैलरी से जुड़े दस्तावेज मिलने के बाद गड़बड़ी पकड़ी गई। पूछताछ के दौरान संजीव सिंह खुद को निर्दोष बताते रहे। हालांकि बेसिक शिक्षा के विभाग से जुड़े लोगों और जांच में लगे एसटीएफ के अधिकारियों का कहना है कि बिना बीएसए की जानकारी या मिलीभगत के इतनी बड़ी संख्या में फर्जी लोगों की जॉइनिंग होना संभव नहीं है। संजीव सिंह के खिलाफ जारी हुए निलंबन आदेश में भी लिखा गया है कि यह संभव ही नहीं है कि इतनी बड़ी गड़बड़ी की उन्हें जानकारी न हो।
गायब कर दिए डिस्पैच रजिस्टरअभ्यर्थियों की जॉइनिंग से जुड़े रजिस्टर व कई अहम दस्तावेज भी बीएसए मथुरा के दफ्तर से गायब कर दिए गए। 22 सितंबर 2015 से 31 मार्च 2016 के डिस्पैच रजिस्टर गायब मिले हैं। इस संबंध में उत्तर पटल सहायक लता पाण्डेय से पूछताछ की गई लेकिन वह कोई जवाब नहीं दे सकीं।
एसटीएफ ने मांगी जांच रिपोर्ट
मथुरा में भर्ती में गड़बड़ियों को लेकर विभाग की तरफ से भी एक जांच की गई थी। इस जांच की रिपोर्ट शासन को भेजी गई थी। एसटीएफ ने बेसिक शिक्षा निदेशक सर्वेंद्र विक्रम सिंह से इस संबंध में रिपोर्ट की प्रति मांगी है।
18 दिन एफआईआर दबाए रही मथुरा पुलिस
एसटीएफ की गिरफ्तारी के बाद खुलासा हुआ कि इस फर्जीवाड़े को लेकर मथुरा में बाबू महेश शर्मा समेत नौ के खिलाफ एक जून को ही मथुरा कोतवाली में तत्कालीन बीएसए संजीव सिंह ने एफआईआर दर्ज कराई थी। लेकिन मथुरा पुलिस 18 दिन से मामला दबाकर बैठी थी। संजीव सिंह ने निदेशालय के निर्देश पर यह एफआईआर कराई थी। संजीव सिंह ने एफआईआर में लिखाया कि कुछ अभ्यर्थी ऐसे थे जिनके दस्तावेज व प्रमाण पत्र सत्यापन के लिए नहीं दिए गए थे। इस संबंध में 23 मई को संबंधित अभ्यर्थियों को लेकर अखबारों में विज्ञापन दिया गया। उनसे कहा गया कि 28 मई तक अपने दस्तावेज पेश करें। लेकिन कोई नहीं आया। 30 मई को हुई बैठक में इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का फैसला हुआ। इसके बाद संजीव सिंह ने मथुरा कोतवाली में बाबू महेश समेत नौ के खिलाफ तहरीर दी।
41 की करवानी थी नियुक्ति, 108 की करा दी
मथुरा में सहायक अध्यापकों के 257 पदों पर भर्ती के लिए 21 सितंबर 2015 को सामूहिक रूप से नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे। लेकिन इनमें से 41 ने जॉइन नहीं किया। इस पर सचिव बेसिक शिक्षा परिषद इलाहाबाद ने सात दिसंबर 2017 को पत्र जारी कर निर्देश दिए कि छूटे हुए अभ्यर्थियों की 19 दिसंबर तक जॉइनिंग करा दी जाए। इस संबंध में मथुरा बीएसए कार्यालय की तरफ से 13 दिसंबर को विज्ञप्ति जारी की गई। कार्यभार ग्रहण करने वाले अभ्यर्थियों की संख्या 41 थी लेकिन 108 लोगों ने जॉइन किया। यही नहीं जॉइनिंग की आखिरी तारीख 19 दिसंबर थी, लेकिन मई 2018 तक अभ्यर्थियों को फर्जीवाड़ा करके जॉइनिंग करवाई गई।
फर्जी नियुक्ति पत्र में अशोक कुमार सिंह के हस्ताक्षर
जिन फर्जी शिक्षकों को बाबू महेश शर्मा ने फर्जी नियुक्ति पत्र दिए उसमें बीएसए के रूप में अशोक कुमार सिंह का नाम और हस्ताक्षर हैं। अमूमन विभाग की तरफ से जो भी नियुक्ति पत्र जारी किए जाते हैं, उसमें चुने गए सभी लोगों की लिस्ट होती है। लेकिन इन भर्तियों में सभी के अलग-अलग नाम से नियुक्ति पत्र जारी हुए। एसटीएफ का मानना है कि नियुक्ति पत्र में अशोक कुमार सिंह के हस्ताक्षर फर्जी हैं। एसटीएफ सभी नियुक्ति पत्र में किए गए हस्ताक्षर की एक्सपर्ट से जांच कराएगी।