इस मामले में एसटीएफ ने देर रात थाना कोतवाली में सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है।
सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीएसए कार्यालय के लिपिकों और कम्प्यूटर आपरेटरों ने मिलकर एक-एक फर्जी नियुक्ति के एवज में 10 से 15 लाख रुपए तक वसूले। इसके लिए वे खुद ही जरूरी कागजात तैयार कर लेते थे. एसटीएफ ने आगे की जांच के लिए मथुरा का बीएसए कार्यालय सील कर दिया है। एसटीएफ ने प्रारंभिक जांच के दौरान पकड़े गए लोगों से चार लाख रुपए नकद, पांच मोबाइल फोन, एक कम्प्यूटर एवं फर्जी रूप से तैयार किए गए तमाम कागजात बरामद किए हैं।
इस फर्जीवाड़े का सरगना बीएसए कार्यालय में शिक्षकों की भर्ती एवं अन्य मामले देख रहा लिपिक महेश शर्मा है। कोतवाली प्रभारी इंस्पेक्टर शिवप्रताप सिंह ने मामले की पुष्टि करते हुए बताया, "गिरफ्तार किए गए लोगों में फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड महेश शर्मा, उसके साथी कर्मचारी मोहित भारद्वाज, ऱाधाकृष्ण, दलाल शिक्षक चेतन, सुभाष, रवेंद्र, पुष्पेंद्र व शिक्षकगण मनीष कुमार शर्मा, देवेंद्र सिकरवार, विंदेश कुमार, दीपकरन, मनोज कुमार वर्मा, तेजवीर सिंह आर्य, योगेंद्र कुमार, भूपेंद्र सिंह आदि हैं।"
शिक्षकों ने भर्ती के लिए तय समय के अंतराल में ही काम संभाल लिया था और पिछले छह माह से बराबर वेतन भी पा रहे थे. इन सभी की नियुक्ति प्रदेश स्तर की करीब 12 हजार नियुक्तियों के सापेक्ष मथुरा में बीएसए कार्यालय स्तर से की गईं 257 भर्तियों में की गई थीं।
एसटीएफ सूत्रों के अनुसार प्रदेश के अन्य जिलों में भी ऐसे फर्जीवाड़े को देखते हुए डीजीपी ओपी सिंह ने एसआईटी गठन करने के निर्देश दिए हैं. मथुरा के इस मामले का खुलासा इस संबंध मे मिली शिकायत की पड़ताल से हुआ. अभी तक की जांच में कुल 107 पदों पर फर्जी तरीके से अपात्र अभ्यर्थियों की नियुक्ति किए जाने का खुलासा हुआ है।