लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने केंद्र सरकार-राज्य सरकार
और सीबीएसई से पूछा है कि जब 2018 और 2019 नीट (नेशनल एलिजबिलिटी कम
एंट्रेस टेस्ट) एमबीबीएस व बीडीएस में छात्रों के दाखिले के लिए थी तो किस
प्रकार नीट के ही आधार पर आयुष पाठ्यक्रमों में भी प्रवेश का प्रावधान किया
गया है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई 27 जून को नियत की है।
यह आदेश अवकाशकालीन पीठ के जस्टिस एआर मसूदी की बेंच ने प्रदीप कुमार चौधरी
आदि की ओर से दाखिल याचिका पर उनके वकील समीर कालिया को सुनने के बाद
पारित किया। याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट के सामने यह तथ्य आया कि
एमबीबीएस व बीडीएस पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए सीबीएसई ने नीट परीक्षा
कराई। सीबीएसई के उक्त निर्देशों में यह नहीं था कि प्रदेश में आयुष
पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए भी नीट को आधार बनाया जाएगा। कोर्ट ने कहा
कि यह मामला काफी महत्वपूर्ण है, जिसके बाद उसने केंद्र सरकार के असिस्टेंट
सालिसिटर जनरल एसबी पांडेय, राज्य सरकार के वकील सिद्धार्थ धवन और सीबीएसई
के वकील शशांक भसीन को प्रकरण में समुचित निर्देश प्राप्त कर अवगत कराने
को कहा है।