सिद्धार्थनगर। जांच के दायरे में जिले के पांच हजार शिक्षक हैं। 2010 के
बाद से जिन शिक्षकों की नियुक्ति जिले में हुई है, उनकी जांच के निर्देश
विभाग के प्रमुख सचिव डॉ. प्रभात कुमार ने दिए हैं।
इसके लिए बकायदा
जिलाधिकारी को पत्र भी भेजा गया है। इसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि
जिला मजिस्ट्रेट के निर्देशन में तीन सदस्यीय टीम गठित कर शिक्षकों की जांच
कराई जाए। कमेटी में अपर पुलिस अधीक्षक और सहायक मंडलीय शिक्षा निदेशक
बेसिक को बतौर सदस्य शामिल किया जाए।
जिले में शिक्षा विभाग में
नियुक्तियां हमेशा से ही विवादों के घेरे में रही है। फर्जी शिक्षकों की
नियुक्ति का मामला हर वैकेंसी में आती रही है। पिछले पांच सालों के बीच एक
दर्जन से अधिक फर्जी नियुक्ति के मामले भी पकड़े जा चुके हैं। लेकिन
कार्रवाई के नाम पर विभाग हमेशा अपने खासम-खास को बचाता रहा है। यही वजह है
कि पिछले दिनों 16000 हजार की नियुक्ति में 133 से अधिक शिक्षकों की
डिग्री संदेह के घेर में आ गई है। जिसकी जांच की जिम्मेदारी सीडीओ को मिली
है। मामले में सीडीओ ने बीएसए को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है। वहीं,
दूसरी ओर विभाग के प्रमुख सचिव ने जिले में 2010 के बाद हुई शिक्षकों की
नियुक्ति के जांच के आदेश देकर एक बार विभाग को चर्चाओं में ला दिया है।
सूत्रों की माने तो अगर जांच में पूरी पारदर्शिता बरती गई तो जिले में
फर्जी शिक्षकों की लिस्ट काफी लंबी मिलेगी। इनमें ज्यादातर पश्चिमी यूपी के
लोग मिलेंगे। जिन्होनें सेटिंग के बल पर सत्यापन कराकर, गैर जनपद
स्थानांतरण तक करा लिया है। इसमें विभाग के कुछ लिपिकों की भूमिका भी संदेह
के घेरे में रही है। ऐसे लिपिकों का स्थानांतरण भी हो चुका है।
इन बिंदुओं पर होनी है जांच
शिक्षक
भर्ती की मेरिट लिस्ट से कार्यरत शिक्षकों की सूची का मिलान किया जाएगा,
जो चयनित थे, वही काम कर रहे हैं। चयनित अभ्यर्थियों के पुलिस सत्यापन और
आधार लिंक की भी जांच की जाएगी। सभी प्रमाण पत्रों का सत्यापन किया जाएगा।
नियुक्ति पत्र डाक से भेजे गए या सीधे हाथ में दिए गए। इसकी भी जांच की
जाएगी। वेतन सूची से क्रॉस चेक किया जाएगा कि चयनित अभ्यर्थी ही शिक्षक या
कर्मचारी है।
मथुरा से कम गड़बड़झाला जिले में भी नहीं
मथुरा में
एसटीएफ द्वारा हुई फर्जी शिक्षकों की जांच में बड़े राज खुलकर सामने आए है।
कई फर्जी शिक्षक वहां पकड़े भी गए हैं। ऐसे में मथुरा से कम गड़बड़झाला
जिले में नहीं है। 10 दिन पूर्व ही शोहरतगढ़ में अजीत कुमार नाम का युवक
फर्जी शिक्षक के रूप में पकड़ा गया है। इससे पूर्व 2004 में पूनम पांडेय
नाम की महिला भी फर्जी शिक्षिका के रूप में पकड़ी गई थी। 2010 में डायट में
लगी आग के बाद सीबीसीआईडी की जांच हुई थी। जिसकी रिपोर्ट अब तक नहीं आ सकी
है।
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