वीडियो कैमरों की निगरानी में होगी एलटी ग्रेउ परीक्षा

इलाहाबाद। एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की निगरानी में आयोजित की जाएगी। इसके लिए उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) ने शासन को प्रस्ताव भेज दिया है।
इसके साथ ही पूरी परीक्षा के दौरान केंद्रों पर सीसीटीवी और वीडियो कैमरों से नजर रखी जाएगी। बाथरूम की निगरानी के लिए अलग से पुरुष और महिला कर्मचारियों की तैनाती की जाएगी। साथ ही सघन तलाशी के बाद ही अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्रों में प्रवेश मिलेगा।
एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा 29 जुलाई को प्रस्तावित है। तकरीबन सात लाख 63 हजार अभ्यर्थियों ने परीक्षा के लिए आवेदन किए हैं। आयोग ने 39 जिलों में 1760 परीक्षा केंद्र बनाए हैं। बड़ी परीक्षा होने के कारण इसमें सॉल्वर गैंग के सक्रिय होने की आशंका है। ऐसे में परीक्षा को शांतिपूर्ण और पारदर्शी तरीके से संपन्न कराना आयोग के लिए बड़ी चुनौती है। इसी के मद्देनजर आयोग ने शासन को प्रस्ताव भेजकर परीक्षा के दौरान एसटीएफ की तैनाती की मांग की है। आयोग के सचिव जगदीश ने बताया कि जल्द ही शासन से मंजूरी मिल जाएगी। इसके अलावा जिन परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे हैं, वहां दो घंटे के पेपर के दौरान सीसीटीवी कैमरे लगाए चलते रहेंगे और पूरी परीक्षा प्रक्रिया की रिकार्डिंग होगी। जहां सीसीटीवी नहीं है, वहां वीडियो कैमरों से निगरानी का निर्णय लिया गया है। अक्सर बाथरूम में नकल सामग्री छिपाए जाने की शिकायतें आती हैं। इस पर निगरानी के लिए प्रत्येक केंद्र में अलग से पुरुष एवं महिला कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जा रही है, जो नियमित अंतराल पर निगरानी करते रहेंगे। साथ ही सघन तलाशी के बाद ही अभ्यर्थियों को परीक्षा केंद्रों में प्रवेश की अनुमति मिलेगी।
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याचियों के प्रवेश पत्र आज होंगे अपलोड
- आयोग ने अब तक एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा के तहत उन अभ्यर्थियों के प्रवेश पत्र वेबसाइट पर अपलोड नहीं किए हैं, जिन्होंने हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल कर रखी हैं। आयोग के सचिव जगदीश ने बताया कि जिन अभ्यर्थियों की याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं, उन्हें छोड़कर बाकी सभी याचियों के प्रवेश पत्र मंगलवार को आयोग की वेबसाइट पर अपलोड कर दिए जाएंगे। अभ्यर्थी वेबसाइट से अपने प्रवेश पत्र डाउनलोउ कर सकेंगे।
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अर्हता न होने पर भी परीक्षा में शामिल हुए तो मुकदमा
- एलटी ग्रेड शिक्षक भर्ती परीक्षा के लिए आवेदन ऑनलाइन हुए थे। आवेदन के दौरान अभिलेखों का सत्यापन नहीं होना था। आयोग को शिकायत मिली है कि बहुत से अयोग्य अभ्यर्थियों ने भी ऑनलाइन आवेदन कर दिए हैं। किसी कि पास डिग्री नहीं है तो किसी के पास अन्य अभिलेख नहीं हैं। अनिवार्य अर्हता न होने के बावजूद उन्होंने आवेदन कर दिया है। अगर उनका चयन होता है और बाद में अभिलेखों के सत्यापन के दौरान उनकी छंटनी की जाती है तो योग्य अभ्यर्थी चयन से वंचित रह जाएंगे और सीटें खाली रह जाएंगी। मामले में आयोग के सचिव जगदीश ने दिशा-निर्देश जारी किए हैं कि जिन अभ्यर्थियों के पास अनिवार्य अर्हता नहीं है और उन्होंने आवेदन किए हैं, वे परीक्षा में शामिल न हों। सत्यापन के दौरान आवेदन में भरी गईं अगर सूचनाएं गलत पाई जाती हैं तो संबंधित अभ्यर्थी के खिलाफ विधिक कार्रवाई की जाएगी।