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छह सौ शिक्षकों के अभिलेखों की जांच शुरू

मैनपुरी। वर्ष 2010 के बाद शिक्षक बनने वाले सभी शिक्षकों की फाइलें खुलना शुरू हो गई हैं। शासन के निर्देश के बाद डीएम द्वारा गठित तीन सदस्यीय दल ने जांच कार्य शुरू कर दी है।

हालांकि इन भर्तियों की पहले भी जांच कराई गई थी, तब 31 शिक्षक फर्जी निकले थे। शिक्षा विभाग में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा होने के कारण शासन ने 2010 के बाद होने वाली नियुक्तियों की जांच कराने का निर्णय लिया है।


शासन ने डीएम के निर्देशन में तीन सदस्यीय दल द्वारा जांच कराने के निर्देश दिए थे। जिले में शिक्षकों के स्थानांतरण और शिक्षक भर्ती प्रक्रिया के कारण यह जांच रुकी हुई थी। अब जांच शुरू हो गई है।


जांच दल में एडीएम, एएसपी और बीएसए शामिल हैं। डीएम के निर्देश पर यह तीन सदस्यीय जांच दल वर्ष 2010 के बाद नियुक्ति पाने वाले 600 से अधिक शिक्षकों की जांच करेगा।


एडीएम बीराम, बीएसए विजय प्रताप सिंह और एएसपी ओपी सिंह ने भर्ती प्रक्रियाओं जांच में शुरू कर दी है। जिले में वर्ष 2010 के बाद नियुक्ति पाने वाले शिक्षकों की जांच पहले में पूर्व बीएसए रामकरन यादव ने कराई थी।


तब फरवरी 2013 में हुई 29 हजार जूनियर शिक्षक भर्ती में आठ, अगस्त 2013 में हुई 10 हजार, 800 शिक्षकों की भर्ती में 10, वर्ष 2014 में हुई 10 हजार शिक्षक भर्ती में में 13 शिक्षक फर्जी पाए गए थे।


जिन्हें पूर्व बीएसए ने बर्खास्त करते हुए उनके विरुद्ध थाना कोतवाली में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। फर्जी शिक्षक भर्ती की जांच के दौरान पूर्व बीएसए रामकरन यादव को एक मैरिज होम में निजी कार्यक्रम में भाग लेते समय एक फर्जी शिक्षक ने जान से मारने की धमकी दी थी।


इसके बाद उन्हें सुरक्षा गार्ड मुहैया कराया गया था। उन्होंने सभी शिक्षकों के विरुद्ध खंड शिक्षाधिकारियों द्वारा एफआईआर दर्ज न कराने पर खुद मुकदमा दर्ज कराए थे।


शासनादेश के तहत शिक्षकों के अभिलेखों की जांच कराई जा रही है। जो भी फर्जी शिक्षक मिलेगा। उसे बाहर किया जाएगा। जिलाधिकारी के निर्देशन में जांच का कार्य किया जा रहा है।
विजय प्रताप सिंह, बीएसए।

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