प्रयागराज : आपने सुना होगा कि शिक्षक कभी रिटायर नहीं होता। भाषणों में
कही जाने वाली यह बात हकीकत में बदल रहे हैं मास्टर राम आसरे। ज्ञान
बांटने का कर्तव्य वह नौकरी से अवकाश ग्रहण करने के बाद भी निभा रहे हैं।
इसके बाद एक अप्रैल 2018 से वह प्रतिदिन की भांति विद्यालय आने जाने लगे। सुबह नौ बजे आना और विद्यालय बंद होने के बाद घर जाना, उनकी दिनचर्या बन गई है। उनके दो बेटों में एक यशवंत कुमार शिक्षक हैं तो दूसरा बेटा रघुवंश कुमार हाईकोर्ट में बाबू है। वहीं दोनों बहुएं भी स्वास्थ्य विभाग में एएनएम हैं। जागरण से बातचीत में उन्होंने बताया कि वह अब तक मझिलगांव, जमेठी, यादव पट्टी, कुंडा, गयासपुर प्राथमिक पाठशालाओं मे ज्ञान बच्चों में बांट चुके हैं। उनके द्वारा पढ़ाए गए बच्चे सेना, शिक्षक, लेखपाल आदि पदों पर रहकर देश की सेवा कर रहे हैं।
ताजपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका तारादेवी बताती हैं कि गुरुजी के आने से बच्चों को सहूलियत मिल जाती है। उन्हें अंग्रेजी जैसे विषय पढऩे में आसानी होती है। राम आसरे समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। इनसे शिक्षा से जुड़े लोगों को सीख लेनी चाहिए, जो बिना किसी मानदेय के अपने खर्च से विद्यालय पहुंचकर बच्चों को ज्ञान परोस रहे हैं। सुशिक्षित समाज को तैयार करने में लगे हैं।
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इसके बाद एक अप्रैल 2018 से वह प्रतिदिन की भांति विद्यालय आने जाने लगे। सुबह नौ बजे आना और विद्यालय बंद होने के बाद घर जाना, उनकी दिनचर्या बन गई है। उनके दो बेटों में एक यशवंत कुमार शिक्षक हैं तो दूसरा बेटा रघुवंश कुमार हाईकोर्ट में बाबू है। वहीं दोनों बहुएं भी स्वास्थ्य विभाग में एएनएम हैं। जागरण से बातचीत में उन्होंने बताया कि वह अब तक मझिलगांव, जमेठी, यादव पट्टी, कुंडा, गयासपुर प्राथमिक पाठशालाओं मे ज्ञान बच्चों में बांट चुके हैं। उनके द्वारा पढ़ाए गए बच्चे सेना, शिक्षक, लेखपाल आदि पदों पर रहकर देश की सेवा कर रहे हैं।
ताजपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका तारादेवी बताती हैं कि गुरुजी के आने से बच्चों को सहूलियत मिल जाती है। उन्हें अंग्रेजी जैसे विषय पढऩे में आसानी होती है। राम आसरे समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। इनसे शिक्षा से जुड़े लोगों को सीख लेनी चाहिए, जो बिना किसी मानदेय के अपने खर्च से विद्यालय पहुंचकर बच्चों को ज्ञान परोस रहे हैं। सुशिक्षित समाज को तैयार करने में लगे हैं।
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