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सरकारी सेवा पूरी लेकिन जुनून अभी भी है बाकी

प्रयागराज : आपने सुना होगा कि शिक्षक कभी रिटायर नहीं होता। भाषणों में कही जाने वाली यह बात हकीकत में बदल रहे हैं मास्टर राम आसरे। ज्ञान बांटने का कर्तव्य वह नौकरी से अवकाश ग्रहण करने के बाद भी निभा रहे हैं।
 प्रतापगढ़ जनपद में कुंडा ब्लाक के सेवानिवृत्त शिक्षक राम आसरे छह माह पहले पूर्व माध्यमिक विद्यालय से अवकाश ग्रहण किए थे। वह अभी भी नियमित रूप से विद्यालय जाते हैं और स्कूल बंद होने पर सबसे बाद में वहां से निकलते हैं। इनके पढ़ाए हुए बच्चे आज देश की सुरक्षा से लेकर अन्य पदों पर मुस्तैद हैं। जमेठी ससुआ गांव निवासी राम आसरे बीते सात वर्षों से ताजपुर के पूर्व माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के पद पर तैनात थे। वह 31 मार्च 2018 को सेवानिवृत्त हो गए तो बच्चों में उदासी छा गई। बच्चों का चेहरा मुरझाया देख उन्होंने निर्णय लिया कि वह जब तक जीवित रहेंगे और विद्यालय आने-जाने में समर्थ रहेंगे तब तक अपनी शिक्षा बच्चों को देते रहेंगे।
 इसके बाद एक अप्रैल 2018 से वह प्रतिदिन की भांति विद्यालय आने जाने लगे। सुबह नौ बजे आना और विद्यालय बंद होने के बाद घर जाना, उनकी दिनचर्या बन गई है। उनके दो बेटों में एक यशवंत कुमार शिक्षक हैं तो दूसरा बेटा रघुवंश कुमार हाईकोर्ट में बाबू है। वहीं दोनों बहुएं भी स्वास्थ्य विभाग में एएनएम हैं। जागरण से बातचीत में उन्होंने बताया कि वह अब तक मझिलगांव, जमेठी, यादव पट्टी, कुंडा, गयासपुर  प्राथमिक पाठशालाओं मे ज्ञान बच्चों में बांट चुके हैं। उनके द्वारा पढ़ाए गए बच्चे सेना, शिक्षक, लेखपाल आदि पदों पर रहकर देश की सेवा कर रहे हैं।


 ताजपुर उच्च प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका तारादेवी बताती हैं कि गुरुजी के आने से बच्चों को सहूलियत मिल जाती है। उन्हें अंग्रेजी जैसे विषय पढऩे में आसानी होती है। राम आसरे समाज के लिए प्रेरणा स्रोत हैं। इनसे शिक्षा से जुड़े लोगों को सीख लेनी चाहिए, जो बिना किसी मानदेय के अपने खर्च से विद्यालय पहुंचकर बच्चों को ज्ञान परोस रहे हैं। सुशिक्षित समाज को तैयार करने में लगे हैं।

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