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ओबीसी आरक्षण के श्रेणीकरण में अब नहीं चलेगी मनमर्जी, हक दिलाने की तैयारी

 नई दिल्ली : अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को मिलने वाले आरक्षण के श्रेणीकरण को लेकर गठित रोहिणी आयोग राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस मुद्दे को लेकर जल्दबाजी में नहीं है। हालांकि इस दौरान आयोग ने जो आंकड़े जुटाए हैं वे चौंकाने वाले हैं। इसके तहत ओबीसी में शामिल एक हजार से ज्यादा ऐसी जातियां हैं, जिन्हें इस आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिल रहा है। आयोग अब इन्हीं तथ्यों और आंकड़ों के आधार पर राज्यों के साथ निर्णायक चर्चा की तैयारी में है।



आयोग ने अगले महीने से देश के उन 11 राज्यों के साथ चर्चा शुरू करने की योजना बनाई है, जो पहले से ही अपने यहां अलग-अलग आधार पर ओबीसी आरक्षण का बंटवारा कर चुके हैं। खास बात यह है कि इन राज्यों में आरक्षण कोटे का बंटवारा किसी एक तय फामरूले पर नहीं बल्कि वोट बैंक के लिहाज से किया गया है। किसी राज्य में इसे दो श्रेणियों में बांटा गया है, तो किसी राज्य में तीन, चार और पांच श्रेणियों तक इसका बंटवारा किया गया है।

रोहिणी आयोग का मानना है कि वह जुटाए गए आंकड़ों और तथ्यों के आधार पर ओबीसी आरक्षण के उप-वर्गीकरण (सब-कैटेगराइजेशन) के पक्ष में है। राज्यों के साथ चर्चा भी इसी आधार पर होगी।

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