बैंक में जमा पांच लाख रुपये तक की राशि हर हाल में सुरक्षित रहेगी। इसका मतलब यह हुआ कि अगर बैंक दिवालिया भी हो जाता है तो जमाकर्ता को पांच लाख रुपये तक अवश्य मिलेंगे। खास बात यह है कि सिर्फ 90 दिनों के भीतर यह पैसा मिल जाएगा।
अभी बैंक में जमा सिर्फ एक लाख रुपये का ही बीमा होता है। यानी कि बैंक के डूबने पर चाहे जमाकर्ता की रकम कितनी ही क्यों न हो, उसे सिर्फ एक लाख रुपये ही वापस मिलेंगे। इस सीमा को बढ़ाने के लिए सरकार डिपाजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी बिल ला रही है। बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट कमेटी ने इस बिल पर मुहर लगा दी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि डिपाजिट गारंटी के नए नियम के तहत सभी प्रकार के बैंक में जमा पांच लाख तक की राशि पूरी तरह सुरक्षित रहेगी। इनमें सरकारी बैंक के साथ सभी प्रकार के निजी बैंक, ग्रामीण बैंक यहां तक कि भारत में स्थित विदेशी बैंक की शाखा भी शामिल होगी। इस नियम के तहत सभी प्रकार के खाते चाहे वह बचत खाता हो, चालू खाता या फिर कोई अन्य खाता, उनमें जमा की गई पांच लाख तक की राशि का इंश्योरेंस रहेगा। अगर कोई बैंक मोरेटोरियम में आ चुका है तो उस पर भी नए नियम लागू होंगे। वित्त मंत्री ने इस तरह का बिल लाने की घोषणा अपने बजट भाषण में की थी। वैसे तो यह बिल बजट सत्र में ही पेश किया जाना था, लेकिन कोरोना की दूसरी लहर के चलते सत्र में कटौती करनी पड़ी और इसे पेश नहीं किया जा सका।
बढ़ी सीमा
बैंक खाताधारकों के हित में कैबिनेट का बड़ा फैसला, बैंक के दिवालिया होने पर 90 दिनों के भीतर मिल जाएंगे पांच लाख रुपये
98.3 फीसद जमा खाते हो जाएंगे सुरक्षित
नए नियम के लागू होने पर बैंकों के 98.3 फीसद जमा खाते सुरक्षित हो जाएंगे। वैश्विक स्तर पर 80 फीसद खाते ही डिपाजिट इंश्योरेंस के तहत कवर हैं। खाते मूल्य के रूप में नए नियम के लागू होने पर 50.9 फीसद राशि सुरक्षित होगी।
फरवरी 2020 से प्रभावी हो जाएगा नया कानून
सरकार ने गत वर्ष संकट में फंसे पंजाब एंड महाराष्ट्र कोआपरेटिव बैंक के इंश्योरेंस कवर को पांच गुना बढ़ाने का एलान किया था। बिल को मंजूरी मिलने के बाद अगर देश में कोई भी बैंक डूबता है तो जमाकर्ताओं को पांच लाख रुपये तक अवश्य मिलेंगे। यह इंश्योरेंस कवर चार फरवरी, 2020 से प्रभावी होगा।
बैंक करेगा इंश्योरेंस के प्रीमियम का भुगतान
वित्त मंत्री ने बताया कि जमा राशि के इंश्योरेंस की प्रीमियम राशि का भुगतान बैंक करेगा। अभी बैंक को 100 रुपये के इंश्योरेंस के लिए प्रीमियम के तौर पर 10 पैसे का भुगतान करना होता है। अब बैंक को अधिक प्रीमियम देना होगा।