सरकारी स्कूलों को निजी हाथों में देने की तैयारी : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

सरकारी स्कूलों को निजी हाथों में देने की तैयारी

स्कूल शिक्षा विभाग अपने १.२१ लाख स्कूलों का संचालन निजी हाथों में सौंपने की कवायद कर रहा है सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप (पीपीपी) के आधार पर यह प्रयोग अगले शिक्षा सत्र (२०१६-१७) से एक जिले में किया जाएगा यदि प्रयोग सफल रहा
, तो फिर इसे पूरे प्रदेश में लागू किया जाएगा हालांकि शिक्षाविद् सरकार के इस विचार को घातक करार देते हुए इसे शिक्षा के बाजारीकरण का प्रयास बता रहे हैं सरकार इस दिशा में प्रारंभिक कार्रवाई शुरू कर चुकी है।
प्रतिनियुक्ति पर रहेंगे शिक्षक :
इन स्कूलों में सरकारी स्टाफ ही रहेगा, लेकिन प्रतिनियुक्ति पर संस्था के अधिकारी बतौर एमडी स्कूल का प्रबंधन संभालेंगे उन्हें किसी भी शिक्षक को रखने और हटाने का अधिकार होगा हालांकि इसके लिए विभाग की अनुमति अनिवार्य होगी संस्था चाहेगी तो ऐसे शिक्षकों को भी पढ़ाने के लिए रख सकेगी, जो संविदा शिक्षक परीक्षा में मेरिट में आए हों, लेकिन पद न होने के कारण वेटिंग में रखे गए हों हालांकि ये सरकार के कर्मचारी नहीं कहलाएंगे
पायलट आधार पर कर सकते हैं प्रयोग :
यदि केंद्र सरकार पीपीपी मोड पर स्कूल चलाने की अनुमति नहीं देती है,तो भी राज्य सरकार पायलट आधार पर प्रदेश में यह प्रयोग कर सकती है वर्तमान में इसी की तैयारी है औपचारिकताएं निर्धारित होने के बाद सरकार पॉलिसी पर काम करेगी ।
सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड पर चलाने की योजना पर काम चल रहा है सरकार की मंजूरी मिलने पर आगे कदम बढ़ाएंगे
-एसआर मोहंती, अपर मुख्य सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग
शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए अगले शिक्षा सत्र से प्रदेश के एक जिले से शुरू होगा प्रयोग
८३,८८५प्राइमरी स्कूल
३,५३३हाईस्कूल
३०,३७६मिडिल स्कूल
३,९५०हायर सेकंडरी
१.५० करोड़ पहली से १२वीं तक विद्यार्थी
बिल्डिंग, स्टाफ व छात्रों के साथ सौंपे जाएंगे स्कूल
सरकार का तर्क
ये होंगे दुष्परिणाम
गुणवत्ता सुधारने के प्रयासस्कूलों को पीपीपी मोड पर चलाने के पीछे सरकार का अपना तर्क है अधिकारियों के मुताबिक आरटीई आने के बाद स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरा है वर्तमान हालात में शिक्षा की गुणवत्ता नहीं सुधारी जा सकती है वे मानते हैं कि स्कूल पीपीपी मोड पर देने के बाद स्कूलों पर होने वाला खर्च तो कम होगा ही शिक्षा की गुणवत्ता और शिक्षकों की उपस्थिति में भी सुधार आएगा साथ ही देखरेख भी कम हो जाएगी।
कहीं मंशा ये तो नहीं?
माना जा रहा है कि सरकार स्कूलों की प्राइम लोकेशन की जमीन निजी निवेशकों को सौंपने के मकसद से ऐसा कर रही है शहर से लेकर गांवों तक सरकारी स्कूल प्राइम लोकेशन पर हैं उनकी भूमि अरबों की है जिसे निवेशक हथियाना चाहते हैं पीपीपी योजना के तहत सरकार अघोषित रूप से स्कूलों की भूमि उन्हें सौंप रही है जिस पर भविष्य में मल्टीस्टोरी बिल्ंिडग और दफ्तर नजर आ सकते हैं।
ये घातक होगा
यह बहुत ही घातक है यह शिक्षा का बाजारीकरण है ऐसा कर सरकार जिम्मेदारी से मुंह मोड़ना चाहती है सरकार के पास पर्याप्त धन और संसाधन हैं, स्टाफ की भी कमी नहीं है इसके बाद भी अगर स्कूलों को पीपीपी मोड पर देने की तैयारी है तो सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लग रहा है।
- एससी बेहार,पूर्व मुख्य सचिव,मप्र शासन

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