तीन काशी और तीन हैदराबाद में लगेंगी मशीनें
वाराणसी के सरकारी प्राइमरी व पूर्व माध्यमिक स्कूलों में अक्षय पात्र फाउंडेशन स्वीडन से मंगाई गई अत्याधुनिक मशीनों से तैयार किया गया मिड डे मील परोसेगा।इसके लिए वहां करीब 16 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक तकनीक से भोजन बनाने वाली देश की पहली किचन तैयार की जाएगी।
इसमें एलपीजी के बजाय बायोगैस से खाना पकेगा।
सरकारी नौकरी - Government of India Jobs Originally published for http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/ Submit & verify Email for Latest Free Jobs Alerts Subscribe
वाराणसी के सरकारी प्राइमरी व पूर्व माध्यमिक स्कूलों में अक्षय पात्र फाउंडेशन स्वीडन से मंगाई गई अत्याधुनिक मशीनों से तैयार किया गया मिड डे मील परोसेगा।इसके लिए वहां करीब 16 करोड़ की लागत से अत्याधुनिक तकनीक से भोजन बनाने वाली देश की पहली किचन तैयार की जाएगी।
इसमें एलपीजी के बजाय बायोगैस से खाना पकेगा।
अगले साल जनवरी से यह संस्था
वाराणसी में मिड डे मील बांटने का काम शुरू कर देगी। यह जानकारी अक्षय
पात्र फाउंडेशन के वाइस चेयरमैन चंचलापति दास ने दी।
उन्होंने कहा कि फाउंडेशन ने स्वीडन से छह अत्याधुनिक मशीनें मंगवाई हैं। इनमें से तीन काशी और तीन हैदराबाद में लगाई जाएंगी। फाउंडेशन ने स्वीडन से मशीनें इस शर्त पर ली हैं कि आगे वह इसका निर्माण भारत में ही करेगा।
चंचलापति ने बताया कि स्वीडन से मंगाई गई मशीन में करीब आठ कॉल्ड्रन होते हैं जिसमें स्टीम से बेहतर ढंग से खाना पकाया जाता है।
कम लेबरों की मदद से आसानी से बनता है खाना
इस मशीन से काफी कम समय में पुलाव, कई तरह की खिचड़ी, सूखी सब्जी, हलवा, खीर आदि आसानी से पका सकते हैं। इसमें लेबर भी कम लगता है।
वाराणसी में बन रही केंद्रीय किचन के निर्माण के लिए बीएचईएल और मशीनें खरीदने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने धन दिया है।
राज्य सरकार से जमीन, केंद्र से सब्सिडी की दरकार
चंचलापति ने कहा कि राज्य सरकारें केंद्रीय रसोई बनाने के लिए जमीन देने में मदद करे। वे यदि आगे बढ़कर सहयोग करेंगी तो यह काम बेहतर ढंग से हो पाएगा।
वहीं, केंद्र सरकार को चाहिए कि वह मिड डे मील में सब्सिडी दे ताकि हमें दानदाता की मदद न लेनी पड़े। अभी सरकार अनाज के साथ एक बच्चे के खाने पर करीब 5.50 रुपये कन्वर्जन कॉस्ट देती है, जबकि इस पर 8 रुपये खर्च आता है। ऐसे में 2.50 रुपये हम दानदाता की मदद से जुटाते हैं।
अभी हम दस राज्यों में 10 हजार से अधिक स्कूलों में 14 लाख विद्यार्थियों को भोजन परोसते हैं। वर्ष 2020 में हमारा लक्ष्य 50 लाख विद्यार्थियों को भोजन बांटने का है। ऐसे में सरकार जितनी मदद करेगी, काम उतनी आसानी से होगा।
उन्होंने कहा कि फाउंडेशन ने स्वीडन से छह अत्याधुनिक मशीनें मंगवाई हैं। इनमें से तीन काशी और तीन हैदराबाद में लगाई जाएंगी। फाउंडेशन ने स्वीडन से मशीनें इस शर्त पर ली हैं कि आगे वह इसका निर्माण भारत में ही करेगा।
चंचलापति ने बताया कि स्वीडन से मंगाई गई मशीन में करीब आठ कॉल्ड्रन होते हैं जिसमें स्टीम से बेहतर ढंग से खाना पकाया जाता है।
कम लेबरों की मदद से आसानी से बनता है खाना
इस मशीन से काफी कम समय में पुलाव, कई तरह की खिचड़ी, सूखी सब्जी, हलवा, खीर आदि आसानी से पका सकते हैं। इसमें लेबर भी कम लगता है।
वाराणसी में बन रही केंद्रीय किचन के निर्माण के लिए बीएचईएल और मशीनें खरीदने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने धन दिया है।
राज्य सरकार से जमीन, केंद्र से सब्सिडी की दरकार
चंचलापति ने कहा कि राज्य सरकारें केंद्रीय रसोई बनाने के लिए जमीन देने में मदद करे। वे यदि आगे बढ़कर सहयोग करेंगी तो यह काम बेहतर ढंग से हो पाएगा।
वहीं, केंद्र सरकार को चाहिए कि वह मिड डे मील में सब्सिडी दे ताकि हमें दानदाता की मदद न लेनी पड़े। अभी सरकार अनाज के साथ एक बच्चे के खाने पर करीब 5.50 रुपये कन्वर्जन कॉस्ट देती है, जबकि इस पर 8 रुपये खर्च आता है। ऐसे में 2.50 रुपये हम दानदाता की मदद से जुटाते हैं।
अभी हम दस राज्यों में 10 हजार से अधिक स्कूलों में 14 लाख विद्यार्थियों को भोजन परोसते हैं। वर्ष 2020 में हमारा लक्ष्य 50 लाख विद्यार्थियों को भोजन बांटने का है। ऐसे में सरकार जितनी मदद करेगी, काम उतनी आसानी से होगा।
सरकारी नौकरी - Government of India Jobs Originally published for http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/ Submit & verify Email for Latest Free Jobs Alerts Subscribe