गरीबों को न पढ़ाने वाले स्कूलों की खैर नहीं : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

डीएम ने निजी स्कूलों के साथ बैठक कर कसी नकेल
गरीबों को न पढ़ाने वाले स्कूलों की खैर नहीं
लखनऊ। गरीब बच्चों को मुफ्त दाखिला न देने वाले स्कूलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। डीएम राजशेखर ने बृहस्पतिवार को निजी स्कूलों के साथ बैठक में 25 प्रतिशत सीटों पर दुर्बल वर्ग के बच्चों को एडमिशन देने का निर्देश दिया।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों पर गरीब बच्चों को दाखिला देने का प्रावधान है।
तीन साल में एक भी सीट पर गरीब बच्चों को मुफ्त दाखिला नहीं दिया गया। इस सत्र में जरूर चार बच्चों को आरटीई के तहत निजी स्कूल में निशुल्क दाखिला मिला। निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार छह से 14 वर्ष तक की उम्र वाले सभी बच्चों को आठवीं तक की निशुल्क शिक्षा का अधिकार है। सरकारी और अनुदानित निजी विद्यालयों में सभी बच्चों को आठवीं तक मुफ्त शिक्षा देने का नियम है। वहीं वित्त्तविहीन स्कूलों को भी 25 प्रतिशत सीटों पर दुर्बल वर्ग के बच्चों को एडमिशन देने का प्रावधान है। प्रदेश में यह अधिनियम अप्रैल 2011 से लागू हो गया।
नए सत्र में निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को निशुल्क दाखिला दिलाने के लिए गुरुवार को जिला अधिकारी ने निजी स्कूलों के साथ बैठक की। इसमें उन्होंने आरटीई के प्रावधानों को बताने के साथ ही 23 मार्च तक सभी स्कूलों को उनकी कुल सीटों का ब्यौरा देने के लिए कहा है। उन्होंने निर्देश दिया कि स्कूल अपने यहां आरटीई के तहत निशुल्क दाखिला देने संबंधी बैनर लगाएंगे। जिनकी वेबसाइट हैं उन्हें वेबसाइट पर भी यह सूचना प्रदर्शित करनी होगी। स्कूलों में दाखिला जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के यहां आवेदन करके जिला अधिकारी की अनुमति के बाद मिलेगा। शासनादेश के अनुसार दुर्बल वर्ग के प्रमाणपत्र लगाने होंगे। अल्पसंख्यक संस्थानों को आरटीई के प्रावधानों से मुक्त रखा गया है।
दुर्बल वर्ग
•जिसके माता-पिता या संरक्षक, गरीबी रेखा के नीचे के कार्डधारक हों अथवा ग्राम्य विकास विभाग की सूची में सम्मिलित हों।
•जिसके माता-पिता या संरक्षक विकलांग, वृद्धावस्था या विधवा पेंशन लेते हैं।
•जिसके माता-पिता या संरक्षक की अधिकतम वार्षिक आय एक लाख रुपये से कम हो।
•35 हजार तक वार्षिक आय वाले माता-पिता के बच्चों को इसमें वरीयता दी जाएगी।
डीएम की अनुमति, प्रमाणपत्र जुटाना बड़ी समस्या
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत निजी स्कूलों में निशुल्क दाखिले के लिए तीन दिसंबर 2012 को शासनादेश जारी किया गया था। इसके अनुसार निजी स्कूलों की 25 प्रतिशत सीटों पर दुर्बल वर्ग के बच्चों को निशुल्क दाखिला दिया जाना है। इसके लिए बेसिक शिक्षा अधिकारी के पास आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ आय प्रमाण और निवास के साथ जिस वर्ग के तहत आवेदन कर रहा है उसका प्रमाण पत्र लगाना होता है। डीआईओएस के संतुष्ट होने पर आवेदन को डीएम के यहां भेजा जाता है। जहां से अनुमति मिलने के बाद ही बच्चे को निजी स्कूल में दाखिला मिलता है। झुग्गी-झोपड़ी और गरीबी में जीवन काटने वाले व्यक्ति के लिए ये सारे प्रमाणपत्र जुटाना आसान नहीं है।
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