अब आरक्षण का नया पेंच
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी का आरोप
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : तमाम अनियमितताओं के आरोपों में घिरी नागरिक पुलिस और प्लाटून कमांडर उप निरीक्षक भर्ती में अब आरक्षण को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है। अभ्यर्थियों के अनुसार इस भर्ती में आरक्षण नियमों की अनदेखी की गई है।
आरक्षित वर्ग के कुछ अभ्यर्थियों को सामान्य में चयनित दर्शाने से उनके आरोपों को बल मिला है। अभ्यर्थियों ने रविवार को इस बारे में विधि विशेषज्ञों से संपर्क किया। सोमवार को वे याचिका दायर कर सकते हैं।
ओएमआर शीट में व्हाइटनर के प्रयोग को लेकर दरोगा भर्ती पहले ही विवादों से घिरी हुई है। इसको लेकर बीते कई दिनों से इलाहाबाद हाईकोर्ट में बहस चल रही है। सरकार ने अदालत में सुनवाई पूरी न होने तक नियुक्ति प्रक्रिया आगे न बढ़ाने का आश्वासन दे रखा है। इसके अलावा मुख्य परीक्षा के परिणाम को लेकर भी कई याचिकाएं दायर हुई हैं। अब अभ्यर्थियों ने आरक्षण का मुद्दा उठाया है। उनके अनुसार
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत राज्य में 50 फीसद आरक्षण से अधिक नहीं दिया जा सकता। इसके अलावा क्षैतिज आरक्षण (स्वतंत्रता संग्राम, भूतपूर्व सेनानी, महिला आदि) को उनके संवर्ग में ही आरक्षण दिया जाएगा। लेकिन पुलिस भर्ती बोर्ड ने क्षैतिज आरक्षण वाले अभ्यर्थियों को सामान्य में ही चयनित किया है। अभ्यर्थियों के अनुसार क्षैतिज आरक्षण वाली सीटों का बैकलाग घोषित करने का प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद भर्ती बोर्ड ने 209 सीटें बैकलाग घोषित की है। अभ्यर्थी शिवम शुक्ला और अनीस सिंह बताते हैं कि इससे ओबीसी और अनुसूचित जाति-जनजाति के अभ्यर्थियों को नियुक्ति के अधिक अवसर मिले हैं। उनके अनुसार इसी वजह से क्षैतिज आरक्षण के अभ्यर्थियों की कट आफ मेरिट नहीं जारी की गई।
हालांकि आरक्षियों की भर्ती में यह मेरिट जारी की गई है। रविवार को अभ्यर्थियों ने इस मसले पर चंद्रशेखर आजाद पार्क में बैठक की। इसमें हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला किया गया। बैठक में शुभम शुक्ला, शैलेश पांडेय, धर्मेद्र तिवारी, धर्मेद्र प्रताप सिंह आदि उपस्थित रहे।
सरकारी नौकरी - Government of India Jobs Originally published for http://e-sarkarinaukriblog.blogspot.com/ Submit & verify Email for Latest Free Jobs Alerts Subscribe
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों की अनदेखी का आरोप
राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : तमाम अनियमितताओं के आरोपों में घिरी नागरिक पुलिस और प्लाटून कमांडर उप निरीक्षक भर्ती में अब आरक्षण को लेकर विवाद खड़ा हो सकता है। अभ्यर्थियों के अनुसार इस भर्ती में आरक्षण नियमों की अनदेखी की गई है।
आरक्षित वर्ग के कुछ अभ्यर्थियों को सामान्य में चयनित दर्शाने से उनके आरोपों को बल मिला है। अभ्यर्थियों ने रविवार को इस बारे में विधि विशेषज्ञों से संपर्क किया। सोमवार को वे याचिका दायर कर सकते हैं।
ओएमआर शीट में व्हाइटनर के प्रयोग को लेकर दरोगा भर्ती पहले ही विवादों से घिरी हुई है। इसको लेकर बीते कई दिनों से इलाहाबाद हाईकोर्ट में बहस चल रही है। सरकार ने अदालत में सुनवाई पूरी न होने तक नियुक्ति प्रक्रिया आगे न बढ़ाने का आश्वासन दे रखा है। इसके अलावा मुख्य परीक्षा के परिणाम को लेकर भी कई याचिकाएं दायर हुई हैं। अब अभ्यर्थियों ने आरक्षण का मुद्दा उठाया है। उनके अनुसार
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के तहत राज्य में 50 फीसद आरक्षण से अधिक नहीं दिया जा सकता। इसके अलावा क्षैतिज आरक्षण (स्वतंत्रता संग्राम, भूतपूर्व सेनानी, महिला आदि) को उनके संवर्ग में ही आरक्षण दिया जाएगा। लेकिन पुलिस भर्ती बोर्ड ने क्षैतिज आरक्षण वाले अभ्यर्थियों को सामान्य में ही चयनित किया है। अभ्यर्थियों के अनुसार क्षैतिज आरक्षण वाली सीटों का बैकलाग घोषित करने का प्रावधान नहीं है। इसके बावजूद भर्ती बोर्ड ने 209 सीटें बैकलाग घोषित की है। अभ्यर्थी शिवम शुक्ला और अनीस सिंह बताते हैं कि इससे ओबीसी और अनुसूचित जाति-जनजाति के अभ्यर्थियों को नियुक्ति के अधिक अवसर मिले हैं। उनके अनुसार इसी वजह से क्षैतिज आरक्षण के अभ्यर्थियों की कट आफ मेरिट नहीं जारी की गई।
हालांकि आरक्षियों की भर्ती में यह मेरिट जारी की गई है। रविवार को अभ्यर्थियों ने इस मसले पर चंद्रशेखर आजाद पार्क में बैठक की। इसमें हाईकोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला किया गया। बैठक में शुभम शुक्ला, शैलेश पांडेय, धर्मेद्र तिवारी, धर्मेद्र प्रताप सिंह आदि उपस्थित रहे।
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