उम्मीद है कि अगले साल जनवरी तक सरकार
द्वारा गठित सातवां वेतन आयोग अपनी रिपोर्ट पेश कर देगा। इसके लिए सभी
तबकों और वर्गों के सरकारी कर्मचारियों के संगठन अपनी-अपनी मांगें उसके
सामने रख रहे हैं।
आयोग के अध्यक्ष के सामने बहुत बड़ी चुनौती है कि वह इतने सारे कर्मचारियों के वर्ग के बीच कैसे संतुलन बनाएं। लेकिन इतना तय है कि इस बार सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाहें इतनी बढ़ जाएंगी कि बाकी लोग दांतों तले उंगली दबाते रह जाएंगे। यह आयोग देश के 36 लाख केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए बनाया गया है. इसके अलावा इसमें लाखों की तादाद में पेँशनर भी शामिल हैं।
एक अंग्रेजी अखबार ने खबर दी है कि वेतन बढ़वाने के लिए जबर्दस्त कोशिशें हो रही हैं और हर तरह के संगठनों के प्रतिनिधि अपने मेमोरेंडम पत्र दे रहे हैं।वे न केवल वेतन में मोटी बढ़ोतरी चाहते हैं बल्कि अपने पदों को भी बेहतर करवाना चाहते हैं।यानी दूसरे विभागों की तुलना में अपने पद बराबरी पर रखना चाहते हैं।
अखबार के मुताबिक अगर वेतन आयोग ने पुराने आधार पर वेतन में बढ़ोतरी की तो कर्मचारियों की तनख्वाहें इतनी हो जाएंगी कि वे मालामाल हो जाएंगे। उदाहरण के लिए भारत सरकार के सचिव की बेसिक सैलरी 2.4 लाख रुपए हो जाएगी और इसके अलावा उसे डीए भी मिलेगा।
इसी तरह कैबिनेट सचिव की सैलरी बढ़कर 2.7 लाख रुपए प्रति महीने हो जाएगी। इसके अलावा उसे डीए और अन्य तरह के भत्ते भी मिलेंगे।उन्हें शानदार बंगला, सरकारी वाहन वगैरह जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं।
दरअसल पुराना फॉर्मूला यह है कि बेसिक सैलरी को तीन गुना कर दिया जाता है।कई वेतन आयोगों ने इस पर काम किया है।
अब यह आयोग कौन सा फॉर्मूला लाता है यह देखना है।इसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत जज अशोक कुमार माथुर हैं।उनके साथ एक अर्थशास्त्री और दो नौकरशाह भी हैं।
केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी प्राइवेट जॉब की तुलना में अभी ही ज्यादा है।वहां एक नए चपरासी को 14,000 रुपए महीना सैलरी मिलती है इसके अलावा उसे महंगाई भत्ता भी मिलता है।
इसी तरह एक ड्राइवर की सैलरी 30,000 रुपए मासिक है जो प्राइवेट कंपनियों के ड्राइवरों की तुलना में ढाई गुना ज्यादा है।अब इनकी सैलरी इतनी हो जाएंगी कि प्राइवटे कंपनियों के मैनेजर भी उनका मुकाबला नहीं कर पाएंगे।
लेकिन बड़ा सवाल है कि इतने कर्मचारियों की इतनी बढ़ी हुई सैलरी भारत सरकार और रेलवे कैसे दे पाएगी?
आयोग के अध्यक्ष के सामने बहुत बड़ी चुनौती है कि वह इतने सारे कर्मचारियों के वर्ग के बीच कैसे संतुलन बनाएं। लेकिन इतना तय है कि इस बार सरकारी कर्मचारियों की तनख्वाहें इतनी बढ़ जाएंगी कि बाकी लोग दांतों तले उंगली दबाते रह जाएंगे। यह आयोग देश के 36 लाख केन्द्रीय कर्मचारियों के लिए बनाया गया है. इसके अलावा इसमें लाखों की तादाद में पेँशनर भी शामिल हैं।
एक अंग्रेजी अखबार ने खबर दी है कि वेतन बढ़वाने के लिए जबर्दस्त कोशिशें हो रही हैं और हर तरह के संगठनों के प्रतिनिधि अपने मेमोरेंडम पत्र दे रहे हैं।वे न केवल वेतन में मोटी बढ़ोतरी चाहते हैं बल्कि अपने पदों को भी बेहतर करवाना चाहते हैं।यानी दूसरे विभागों की तुलना में अपने पद बराबरी पर रखना चाहते हैं।
अखबार के मुताबिक अगर वेतन आयोग ने पुराने आधार पर वेतन में बढ़ोतरी की तो कर्मचारियों की तनख्वाहें इतनी हो जाएंगी कि वे मालामाल हो जाएंगे। उदाहरण के लिए भारत सरकार के सचिव की बेसिक सैलरी 2.4 लाख रुपए हो जाएगी और इसके अलावा उसे डीए भी मिलेगा।
इसी तरह कैबिनेट सचिव की सैलरी बढ़कर 2.7 लाख रुपए प्रति महीने हो जाएगी। इसके अलावा उसे डीए और अन्य तरह के भत्ते भी मिलेंगे।उन्हें शानदार बंगला, सरकारी वाहन वगैरह जैसी सुविधाएं भी मिलती हैं।
दरअसल पुराना फॉर्मूला यह है कि बेसिक सैलरी को तीन गुना कर दिया जाता है।कई वेतन आयोगों ने इस पर काम किया है।
अब यह आयोग कौन सा फॉर्मूला लाता है यह देखना है।इसके अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत जज अशोक कुमार माथुर हैं।उनके साथ एक अर्थशास्त्री और दो नौकरशाह भी हैं।
केन्द्र सरकार के कर्मचारियों की सैलरी प्राइवेट जॉब की तुलना में अभी ही ज्यादा है।वहां एक नए चपरासी को 14,000 रुपए महीना सैलरी मिलती है इसके अलावा उसे महंगाई भत्ता भी मिलता है।
इसी तरह एक ड्राइवर की सैलरी 30,000 रुपए मासिक है जो प्राइवेट कंपनियों के ड्राइवरों की तुलना में ढाई गुना ज्यादा है।अब इनकी सैलरी इतनी हो जाएंगी कि प्राइवटे कंपनियों के मैनेजर भी उनका मुकाबला नहीं कर पाएंगे।
लेकिन बड़ा सवाल है कि इतने कर्मचारियों की इतनी बढ़ी हुई सैलरी भारत सरकार और रेलवे कैसे दे पाएगी?
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