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454 करोड़ का बजट, गुरूजी पर खर्च होंगे 363 करोड़ : 72825 प्रशिक्षु शिक्षकों की भर्ती Latest News

454 करोड़ का बजट, गुरूजी पर खर्च होंगे 363 करोड़
जागरण संवाददाता, बरेली : एक वक्त था जब शिक्षकों को बेहद कम वेतन मिलने के बावजूद उनमें पढ़ाने का जज्बा होता था। महीनों तक वेतन न मिलने पर गुरूजी पर कोई फर्क नहीं पड़ता था। वक्त बदला और साथ ही बदल गए गुरूजी। सन् 2009 से सर्व शिक्षा अभियान शुरू होते ही बेसिक स्कूलों का स्वरूप ही बदल गया।
शिक्षकों के वेतन का ग्राफ तो बढ़ गया लेकिन स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता गायब हो गई।

गुरूजी को नेतागिरी से फुरसत नहीं, पढ़ाए कौन। असलियत ये है कि जितनी तेजी से शिक्षा को सुधारने के लिए बजट का ग्राफ बढ़ा उतनी ही तेजी से शैक्षिक गुणवत्ता का स्तर गिरा। करोड़ों के बजट में ककहरा सीखना बच्चों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं।
इस बार सर्व शिक्षा अभियान के 454 करोड़ का बजट प्रस्तावित हैं। इसमें करीब 360 करोड़ रुपये शिक्षकों के वेतन पर खर्च होगा। हालांकि इस बार शिक्षकों की नई नियुक्ति होने से शिक्षकों की संख्या छह हजार के करीब पहुंच गई, जिसके चलते भी बजट बढ़ाया गया है। बाकी स्कूलों में चलने वाली योजनाओं पर खर्च किया जाएगा। ड्रेस, समेकित शिक्षा, निर्माण, स्कूलों का रखरखाव, शिक्षकों का प्रशिक्षण, सामुदायिक सहभागिता जैसी कई योजनाएं हैं जिनको सर्व शिक्षा के बजट से ही संचालित किया जाता है। इन सब पर बमुश्किल बीस फीसद ही बजट खर्च हो पाता है। स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता के महज बीस फीसद बजट रखा जाता है जो योजनाओं के बंदरबांट में समाप्त हो जाता है। बच्चों के हाथ लगता है बेहद घटिया क्वालिटी की ड्रेस और मिड डे मील। अगर पिछले साल की बात करें तो सवा तीन सौ करोड़ रुपये जिले में सर्व शिक्षा अभियान पर खर्च हुए थे।

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